गुजरात में लापरवाही की कीमत, हिलता पुल, बिखरती जिंदगियां
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गुजरात त्रासदी में लोगों की जान जाना 'बेहद दुखद' है और उन्होंने पीड़ितों के लिए मुआवजे की घोषणा की.

Gujarat Bridge Accident: गुजरात के वडोदरा और आणंद को जोड़ने वाला गंभीरा पुल बुधवार सुबह एक भयावह हादसे का शिकार हो गया, जब यह 43 साल पुराना ढांचा अचानक दो हिस्सों में टूट गया. इस त्रासदी में अब तक 10 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई अन्य घायल हैं. महिसागर नदी पर बना यह पुल लंबे समय से जर्जर हालत में था, और स्थानीय लोगों की शिकायतों के बावजूद प्रशासन की उदासीनता ने एक बड़ी आपदा को न्योता दिया. यह हादसा न केवल एक तकनीकी विफलता है, बल्कि सरकारी लापरवाही और भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों का पूरा हाथ है. गंभीरा पुल, जिसे स्थानीय लोग "सुसाइड ब्रिज" के नाम से भी पुकारते थे, कई वर्षों से खतरे की घंटी बजा रहा था. इसके बावजूद, इसे यातायात के लिए खुला रखा गया, जिसके परिणामस्वरूप यह दुखद घटना घटी.
प्रशासन की लापरवाही पर सवाल
गंभीरा पुल, जिसका निर्माण 1985 में हुआ था, पिछले कई वर्षों से जर्जर हालत में था. स्थानीय निवासियों ने कई बार इसकी खराब स्थिति की शिकायत की थी, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया. वडोदरा कलेक्टर डॉ. अनिल धामेलिया ने कहा, "अब तक 9 शव बरामद किए जा चुके हैं, और कई घायलों का इलाज एसएसजी हॉस्पिटल में चल रहा है." हालांकि, यह सवाल बना हुआ है कि अगर समय रहते मरम्मत या नए पुल का निर्माण हो जाता, तो क्या यह त्रासदी टाली जा सकती थी?
रेस्क्यू ऑपरेशन और चुनौतियां
हादसे की सूचना मिलते ही राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया. नदी में कम पानी और कीचड़ की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. फिलहाल, पुलिस और आपदा प्रतिक्रिया दल राहत अभियान चला रहे हैं. अब तक जिन लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, उनमें से छह की पहचान हो गई है - वैदिक पडियार (45), नैतिक पडियार (45), हसमुख परमार (32), रमेश पडियार (32), वखासिंह जाधव (26) और प्रवीण जाधव (26).
राजनीतिक उबाल और जांच के आदेश
इस हादसे ने राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा दिया है. कांग्रेस नेता और विधानसभा में विपक्षी नेता अमित चावड़ा ने सोशल मीडिया पर लिखा, "आणंद और वडोदरा जिलों को जोड़ने वाला मुख्य गंभीरा पुल टूट गया है. कई वाहन नदी में गिर जाने से बड़ी जनहानि हई है. सरकारी अधिकारियों को तुरंत बचाव कार्य शुरू करना चाहिए और यातायात के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए." गुजरात सरकार के प्रवक्ता ने कहा, "सरकार ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं." लेकिन सवाल यह है कि क्या जांच के बाद जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी?
यह हादसा गुजरात में 2022 के मोरबी पुल हादसे की याद दिलाता है, जिसमें लगभग 135 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. उस समय भी प्रशासनिक लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया गया था. विशेषज्ञों का कहना है कि पुराने ढांचों की नियमित जांच और मरम्मत की कमी के कारण ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं. सरकार अब भी सबक लेने को तैयार नहीं है?


