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पिकअप में भेड़-बकरियों की तरह ठूंसकर ले जाए जा रहे थे 44 बच्चे, 300 रुपये पर करवानी थी मजदूरी

कोटा बाल कल्याण समिति ने बुधवार को एक पिकअप में ठूंसकर ले जाए जा रहे 44 बाल श्रमिकों को बचाया. ये बच्चे माली समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन में काम करने के लिए ले जाए जा रहे थे, जहां उन्हें 300 रुपये मजदूरी दी जानी थी. बच्चों की तबियत बिगड़ने पर कार्रवाई की गई.

Dimple Yadav
Edited By: Dimple Yadav

राजस्थान के कोटा जिले से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है. बाल कल्याण समिति ने बुधवार को 44 बाल श्रमिकों को एक पिकअप वाहन में भेड़-बकरियों की तरह ठूंसकर ले जाते हुए बचाया. ये सभी बच्चे बारां जिले के सोरसन क्षेत्र के देवपुरा गांव की बंजारा बस्ती से लाए जा रहे थे और गिरधरपुरा में आयोजित एक सामूहिक विवाह सम्मेलन में मजदूरी के लिए भेजे जा रहे थे. बच्चों को करीब 300 रुपये मजदूरी देने की बात कही गई थी.

बाल संरक्षण अधिकारी दिनेश शर्मा ने बताया कि शिवराज नामक ठेकेदार और पिकअप चालक ने इन बच्चों को एक ही गाड़ी में ठूंस-ठूंस कर बैठाया था. चिलचिलाती गर्मी, भीड़भाड़ और भोजन-पानी की कमी के कारण कई बच्चों की तबीयत बिगड़ गई. कई बच्चों को उल्टियां होने लगीं और वे बेहोशी की हालत में पहुंच गए. कुछ बच्चों ने बताया कि वे भूखे-प्यासे थे और कई घंटे से बिना कुछ खाए-पिए सफर कर रहे थे.

सूचना मिलते ही हरकत में आई प्रशासनिक टीम

इस मामले की जानकारी मिलते ही जिला कलेक्टर डॉ. रविन्द्र गोस्वामी और जिला पुलिस अधीक्षक डॉ. अमृता दुहन को सूचित किया गया. इसके बाद बाल संरक्षण अधिकारी दिनेश शर्मा, बाल अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक रामराज मीणा, आउटरिच वर्कर संजय मेहरा, भूपेन्द्र सिंह और महिमा पांचाल की टीम तुरंत मौके के लिए रवाना हुई.

टीम ने समय रहते बारां रोड स्थित सरस्वती कॉलोनी के पास पिकअप को रोक लिया. चालक और ठेकेदार को तुरंत हिरासत में लेकर एसपी ऑफिस ले जाया गया और फिर सभी को बोरखेड़ा थाने भेज दिया गया. वहां पर बाल कल्याण अधिकारी की ओर से औपचारिक परिवाद दर्ज करवाया गया.

बच्चों को मिला भोजन और राहत

कानूनी कार्रवाई के बाद सभी बच्चों को प्राथमिक राहत दी गई. उन्हें पोहे खिलाए गए और चाय पिलाई गई. बच्चे थकावट और गर्मी से परेशान थे, लेकिन भोजन मिलने के बाद उनकी हालत में कुछ सुधार आया. आगे इन बच्चों को उचित संरक्षण और पुनर्वास की प्रक्रिया से गुजारा जाएगा.

बाल मजदूरी के खिलाफ सख्ती जरूरी

इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बाल श्रमिकों का शोषण आज भी एक गंभीर समस्या बना हुआ है. बच्चों को शादी समारोह जैसे आयोजनों में मजदूरी पर ले जाना न सिर्फ कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह उनके मानवाधिकारों का सीधा हनन भी है. प्रशासन की तत्परता से 44 बच्चों को इस अमानवीय स्थिति से बचा लिया गया, लेकिन इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं कि ऐसी घटनाएं बार-बार क्यों होती हैं और दोषियों पर कठोर कार्रवाई कब होगी?

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01 May 2025, 08:49 AM IST

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