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तुम RSS का है क्या, अभी पुलिस... युवक ने लगाए तेजस्वी सरकार के नारे तो भड़के तेज प्रताप बोले- फालतू का बात मत करो

बिहार चुनाव 2025 से पहले तेज प्रताप यादव ने जहानाबाद की जनसभा में जनता से सीधा संवाद किया. एक युवक की नारेबाजी पर उन्होंने नाराज़गी जताई और व्यक्तिगत नेता-पूजा को गलत बताया. उन्होंने आरएसएस पर उनकी टीम को तोड़ने का आरोप लगाया और धर्मग्रंथों के उदाहरण देकर जनता को कर्म पर ध्यान देने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि उनका मकसद सिर्फ जनता की सेवा है, न कि मुख्यमंत्री बनना.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

Bihar Election News : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है, और इसी के साथ राज्य की राजनीति में हलचल भी तेज हो गई है. राजनीतिक दलों के नेता लगातार जनता के बीच जाकर अपने-अपने तरीके से माहौल बनाने में जुटे हैं. इसी कड़ी में 30 अगस्त को जहानाबाद जिले के घोसी विधानसभा क्षेत्र के लखावर हाई स्कूल स्टेडियम में जन संवाद यात्रा के तहत एक जनसभा आयोजित की गई, जिसमें पूर्व मंत्री और आरजेडी के पूर्व नेता तेज प्रताप यादव ने लोगों को संबोधित किया.

सभा के दौरान नारों पर भड़के तेज प्रताप यादव

जनसभा में जहां एक ओर तेज प्रताप यादव ने जनता से संवाद करने की कोशिश की, वहीं दूसरी ओर एक युवक की नारेबाजी पर उनका पारा चढ़ गया. युवक ने सभा के दौरान नारा लगाया, "अबकी बार तेजस्वी सरकार!" यह सुनते ही तेज प्रताप यादव गुस्से में आ गए और मंच से ही सख्त लहजे में कहा, "तुम फालतू बात मत करो. तुम आरएसएस से हो क्या? अभी पुलिस पकड़ ले जाएगी. सरकार जनता की आती है, किसी व्यक्ति विशेष की नहीं. जो घमंड में रहेगा, वो जल्दी गिरेगा. नौटंकी करोगे तो नौकरी नहीं मिलेगी.

तेज प्रताप का यह बयान साफ तौर पर इस बात का संकेत था कि वे किसी भी तरह की गुटबाज़ी या व्यक्तिगत नेता-पूजा के पक्षधर नहीं हैं. उनके अनुसार राजनीति में व्यक्ति नहीं, जनता और उसके मुद्दे प्राथमिक होने चाहिए.

राजनीतिक षड्यंत्रों का आरोप, भ्रम फैलाने वालों को चेतावनी
तेज प्रताप यादव ने अपने भाषण के दौरान यह भी आरोप लगाया कि आरएसएस और अन्य कुछ संगठन उनकी टीम को तोड़ने की साजिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुछ लोग भेष बदलकर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं और पार्टी के भीतर असंतोष पैदा करने की चालें चल रहे हैं. उन्होंने जनता से अपील की कि वे ऐसे छल और साजिशों से बचें और गुमराह न हों. तेज प्रताप ने तीखे शब्दों में कहा, "जो अपना किसी का नहीं हुआ, वह जनता का क्या होगा." इस बयान के ज़रिए उन्होंने उन नेताओं या कार्यकर्ताओं को निशाने पर लिया जो मौका देखकर पाला बदलते हैं या संगठन को अंदर से कमजोर करने की कोशिश करते हैं.

धार्मिक उदाहरणों से जनता को जोड़ा
अपने संबोधन में तेज प्रताप यादव ने धार्मिक प्रतीकों और ग्रंथों का हवाला देकर जनता से भावनात्मक जुड़ाव बनाने की कोशिश की. उन्होंने श्रीराम और श्रीकृष्ण का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे श्रीराम को वनवास मिला, वैसे ही सच्चे लोगों की राह में कठिनाइयाँ आती हैं. उन्होंने कहा, "अगर गांव के लोग रामायण और भागवत गीता को समझते हैं, तो उन्हें यह भी समझना चाहिए कि जीवन में कर्म सबसे अहम होता है." तेज प्रताप ने श्रीकृष्ण के इस उपदेश को भी याद दिलाया कि “कर्म ही प्रधान है.” उनका इशारा इस ओर था कि जनता को अपने कार्यों और निर्णयों में विवेक से काम लेना चाहिए और किसी प्रचार या भ्रामक माहौल से प्रभावित नहीं होना चाहिए.

मुख्यमंत्री पद की लालसा नहीं, सेवा का उद्देश्य
तेज प्रताप यादव ने अपने भाषण के अंत में यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें मुख्यमंत्री बनने की कोई लालसा नहीं है. उन्होंने कहा कि उनका मकसद केवल जनता की सेवा करना है और वे हमेशा आम लोगों के बीच रहकर उनकी समस्याएं सुनते रहेंगे. उन्होंने अपने बारे में कहा कि वे ऐसे नेता नहीं है जो मंच पर भाषण देकर गायब हो जाए, बल्कि वे एक ऐसे नेता है जो लोगों के बीच जाकर संवाद करता हो.

चुनावी माहौल में बदले-बदले दिखे तेज प्रताप
बिहार में जहां सभी दल अपनी-अपनी सियासी बिसात बिछा रहे हैं, वहीं तेज प्रताप यादव ने अपने अंदाज़ में यह साबित करने की कोशिश की है कि वे अब पहले से कहीं ज़्यादा सजग और स्पष्ट सोच के साथ मैदान में हैं. उन्होंने न सिर्फ राजनीतिक विरोधियों पर हमला बोला, बल्कि संगठन के भीतर मौजूद चुनौतियों की ओर भी इशारा किया. धार्मिक भावनाओं से जोड़कर जनता को जागरूक करने की उनकी कोशिश, चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा मानी जा रही है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि तेज प्रताप यादव की यह रणनीति आने वाले चुनाव में कितना असर डालती है.

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31 August 2025, 08:10 AM IST

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