आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले में बंगाल सरकार की ढिलाई पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार!
सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर अस्पताल में हुई बलात्कार और हत्या मामले को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई है. अदालत ने डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों में बेहद धीमी प्रगति पर सवाल उठाए. क्या सरकार सही दिशा में काम कर रही है? इस मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होनी है और सभी की नजरें अब इस पर हैं.
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आरजी कर अस्पताल में हुई एक गंभीर घटना पर पश्चिम बंगाल सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. यह मामला तब सामने आया जब एक 31 वर्षीय पोस्ट-ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के साथ एक नागरिक स्वयंसेवक ने कथित तौर पर बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या कर दी. इस मामले के बाद से डॉक्टरों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन किया है.
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला एवं मनोज मिश्रा शामिल थे, उन्होंने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार द्वारा डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों में प्रगति बहुत धीमी है. अदालत ने पूछा कि सीसीटीवी कैमरे लगाने, बायोमेट्रिक्स स्थापित करने और ड्यूटी रूम बनाने में क्या प्रगति हुई है.
वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने सरकार की ओर से कहा कि बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण लॉजिस्टिकल देरी हुई है और केवल 22 प्रतिशत काम ही पूरा हो सका है. इस पर कोर्ट ने हैरानी जताई और पूछा, 'प्रगति इतनी धीमी क्यों है?'
डॉक्टरों की ड्यूटी को लेकर विवाद
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी डॉक्टरों को बिना किसी अपवाद के अपने सभी कर्तव्यों का पालन करना चाहिए, जिसमें ओपीडी भी शामिल है. पश्चिम बंगाल सरकार ने आरोप लगाया कि डॉक्टर अपनी ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं, जबकि रेजिडेंट डॉक्टरों की वकील इंदिरा जयसिंह ने इस दावे का विरोध किया.
अनुशासनात्मक कार्रवाई का निर्देश
अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह आरजी कर अस्पताल के उन डॉक्टरों और अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करे जिनके खिलाफ बलात्कार, हत्या और वित्तीय अनियमितताओं के मामलों की जांच चल रही है.
अगली सुनवाई का समय
इस मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी. यह मामला न केवल डॉक्टरों की सुरक्षा का है, बल्कि यह स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार की भी मांग कर रहा है. दरअसल यह स्थिति पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है और इस मामले के बाद से राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं. क्या पश्चिम बंगाल सरकार उचित कदम उठाएगी? या यह मामला और जटिल हो जाएगा? यह सवाल अब भी सभी के मन में है.