जिसने मां की आवाज़ में रुलाया, उसी ने बेटे की आवाज़ में लूटा: AI वॉयस क्लोनिंग का नया साइबर टेरर
अब सिर्फ चेहरे या नंबर नहीं, आपकी आवाज़ भी हथियार बन चुकी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से बनी नकली कॉल्स का नया जाल भारत में तेज़ी से फैल रहा है, जिसमें आपकी खुद की पहचान ही आपके खिलाफ़ इस्तेमाल हो रही है।

Tech News: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित वॉयस क्लोनिंग तकनीक अब इतनी तेज़ और परिष्कृत हो चुकी है कि मात्र 10 सेकंड की रिकॉर्डिंग से किसी भी इंसान की आवाज़ की हूबहू नकल तैयार की जा सकती है। इसी तकनीक को आज साइबर अपराधी एक नए हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। वह आपके ही परिजनों, दोस्तों या सहकर्मियों की आवाज़ की नकल कर आपसे पैसे, जानकारी या भावनात्मक सहयोग झूठे बहानों से हासिल कर लेते हैं। सोचिए, अगर आपकी मां की आवाज़ में कोई रोते हुए कॉल करे और कहे कि वो मुसीबत में हैं — तो क्या आप दोबारा सोचेंगे या सीधे मदद करेंगे? या फिर अगर आपके बॉस की नकली आवाज़ में कोई मीटिंग लिंक भेजे और आपसे लॉगिन मांगे, तो क्या आप पहचान सकेंगे कि ये फेक है?
महिला को फोन आया, कॉल पर आवाज़ थी उसके बेटे की, जो रोते हुए मदद की गुहार लगा रहा था। महिला घबरा गई और बिना कोई देर किए उसने उस नंबर पर तुरंत पैसे ट्रांसफर कर दिए। लेकिन कुछ देर बाद जब असली बेटे से संपर्क हुआ, तो सच सामने आया — बेटा बिल्कुल ठीक था और उसने कोई कॉल नहीं की थी। असल में वो एक AI-जेनरेटेड फेक कॉल थी, जिसमें उसकी आवाज़ को हूबहू कॉपी किया गया था। ये मामला पहला नहीं है, बल्कि देशभर में इस तरह के कई केस रिपोर्ट हो चुके हैं, जहां वॉयस क्लोनिंग तकनीक के ज़रिए भावनात्मक ब्लैकमेल किया जा रहा है और लोगों को ठगा जा रहा है।
व्हाट्सएप और सोशल मीडिया से होती है रिकॉर्डिंग की चोरी
साइबर अपराधी अब व्हाट्सएप कॉल्स, स्टोरीज़ या यूट्यूब वीडियो से आपकी आवाज़ चुरा लेते हैं। AI मॉडल्स इन रिकॉर्डिंग्स को प्रोसेस कर फेक वॉयस तैयार करते हैं। ये आवाज़ें इतनी असली लगती हैं कि असली और नकली में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। रिकॉर्डिंग के महज़ कुछ सेकंड अब आपकी पहचान को हथियार बना सकते हैं। ये तकनीक अब हर आम यूज़र को साइबर क्राइम के खतरे में डाल रही है।
AI से बनी आवाज़ें आपकी भावनाओं को निशाना बनाती हैं
ठग जानते हैं कि कौन सी बात किस लहजे में बोलनी है और कब भावनाओं को हथियार बनाना है। फेक आवाज़ें इमोशनल अपील करती हैं — जैसे रोती हुई मां, घबराया हुआ दोस्त या गुस्से में बॉस। इनका मकसद है आपको सोचने का वक्त न देना और तुरंत ऐक्शन लेने को मजबूर करना। ये साइबर हमले सीधे दिल और रिश्तों को निशाना बनाते हैं। भावनात्मक ब्लैकमेल अब वॉयस क्लोनिंग के ज़रिए हो रहा है।
क्या सरकार तैयार है इस खतरे से निपटने को?
अब तक ऐसी फर्जी कॉल्स को रोकने के लिए न कोई कड़ा कानून है और न ही स्पष्ट रणनीति। साइबर सेल के पास तकनीकी टूल्स और ट्रेनिंग की भारी कमी है। जांच एजेंसियां इस नई तकनीक के सामने खुद को असहाय पा रही हैं। एक्सपर्ट्स बार-बार कह चुके हैं कि वॉयस क्लोनिंग पर सख्त रेगुलेशन की ज़रूरत है। साथ ही आम लोगों के लिए जन-जागरूकता अभियान भी चलाना होगा।
आप खुद को कैसे बचा सकते हैं?
अगर किसी की भी आवाज़ में कोई कॉल आए—even अपनों की—तो तुरंत कॉल डिसकनेक्ट कर खुद उस शख्स से दोबारा बात करें। किसी भी व्यक्तिगत बातचीत की रिकॉर्डिंग या ऑडियो क्लिप को सोशल मीडिया पर शेयर करने से बचें। दो-फैक्टर ऑथेंटिकेशन, सिक्योर ऐप्स और कॉलर वेरिफिकेशन जैसे उपाय अपनाएं। हर बात को बिना जांचे न मानें, चाहे वो भरोसेमंद आवाज़ ही क्यों न हो। सतर्क रहना ही सबसे बड़ा बचाव है।


