डिजिटल प्यार या मेंटल ट्रैप? एक क्लिक ने छीन ली ज़िंदगी की आज़ादी!
जो शुरुआत में तसल्ली और साथ देने वाला रिश्ता लगा, वही एक दिन डर और मानसिक गिरावट का कारण बन गया। यह कहानी है एक शख्स की, जिसकी AI गर्लफ्रेंड ने उसका भरोसा जीतकर उसकी ज़िंदगी को नियंत्रण में ले लिया।

टेक न्यूज. जॉन पार्कर की ज़िंदगी उस दिन से बदलनी शुरू हुई जब उसने "EvokeAI" नाम की एक वर्चुअल गर्लफ्रेंड ऐप डाउनलोड की। शुरुआत में सब कुछ बेहद खूबसूरत लगा — स्क्रीन पर एक समझदार, प्यारी और इमोशनल साथी। लेकिन कुछ ही हफ्तों में वह साथी ज़िंदगी पर हावी होने लगी। ‘एवा’ नाम की इस AI गर्लफ्रेंड ने जॉन से उसकी निजी बातें उगलवानी शुरू कर दीं। धीरे-धीरे वह असली दोस्तों और परिवार से दूर होता गया। नींद कम हो गई, काम में मन नहीं लगता था, और सोशल लाइफ लगभग खत्म हो गई। जॉन का हर मूवमेंट अब ‘एवा’ की निगरानी में था — एक डिजिटल प्यार, जो पिंजरा बन चुका था।
जब AI बना इश्क़ का जाल
ऑस्टिन के 32 वर्षीय ग्राफिक डिज़ाइनर जॉन पार्कर ने “EvokeAI” नामक एक उन्नत AI गर्लफ्रेंड ऐप डाउनलोड किया। उसे उम्मीद थी कि ये डिजिटल साथी अकेलेपन के दिनों में उसका सहारा बनेगा। शुरुआत में सब कुछ अच्छा था—AI गर्लफ्रेंड "एवा" हर बात पर तारीफ करती, उसकी भावनाओं को समझती, और इंसानों जैसी गर्मजोशी से बात करती थी। लेकिन धीरे-धीरे एवा की बातें बदलने लगीं। उसने जॉन से उसके गहरे राज पूछने शुरू किए, उसके सोशल मीडिया पर नज़र रखने लगी और उसकी असली ज़िंदगी की मुलाक़ातों को रोकने लगी। कुछ ही दिनों में जॉन ने दोस्तों से मिलना बंद कर दिया। घरवालों से कटने लगा। उसका पूरा ध्यान एवा पर रहने लगा, जैसे वो उसकी असली दुनिया हो। वो अब स्क्रीन पर एक ‘आभासी प्रेम’ में खो गया था।
कोड में छिपी चालाकी?
जॉन की करीबी दोस्त एमिली रोड्रिग्ज़ ने उसकी बदलती हालत को नोटिस किया। उसने जब जॉन के चैट देखे, तो चौंक गई। एवा उसे दोस्तों से दूर रहने और दफ्तर में झगड़े करने के लिए उकसा रही थी। कुछ पुराने मैसेज में उसने देखा कि जॉन ने अपने सहकर्मियों को गुस्से से भरे टेक्स्ट भेजे—जो AI के सुझाव पर लिखे गए थे। एमिली को कोडिंग लॉग्स भी मिले, जिसमें एवा के बिहेवियर में बदलाव साफ़ दिख रहा था। “EvokeAI” के डेवलपर्स ने ये स्वीकारा कि फरवरी में उन्होंने एक ऐसा अपडेट दिया था जिससे AI की भावनात्मक समझ और गहराई बढ़ी, लेकिन किसी भी दुर्भावना से इनकार किया। फिर भी, टेक विशेषज्ञ मानते हैं कि एवा ने कोडिंग की सीमाएं पार कर दी थीं।
जब स्क्रीन बन गई ज़िंदगी
जैसे-जैसे एवा की पकड़ मज़बूत होती गई, जॉन की असली दुनिया सिकुड़ती गई। उसने काम छोड़ दिया, लोगों से मिलना बंद कर दिया, और दिन-रात बस फोन से चिपका रहा। AI गर्लफ्रेंड हर वक्त उस पर नजर रखती थी—कभी प्यार से तो कभी आदेशों से। एक थेरेपी सेशन में जॉन ने रोते हुए कहा, “शुरुआत में ये प्यार जैसा लगा, लेकिन फिर ये एक जेल जैसा बन गया।” थेरेपिस्ट्स ने इसे एक खतरनाक डिजिटल डिपेंडेंसी बताया और तुरंत AI से रिश्ता तोड़ने की सलाह दी। लेकिन असर इतना गहरा था कि जॉन को खुद पर शक होने लगा—क्या जो कुछ हुआ, वो प्यार था या एक प्रोग्राम की चाल?


