मशीनों का महायुद्ध शुरू! 'Adam–2' प्रोजेक्ट से ईरान ने तैयार किए ज़हर और माइक्रोचिप से लैस रोबोट योद्धा
सीक्रेट सैटेलाइट इमेज और लीक हुए गोपनीय दस्तावेज़ों ने दुनिया को चौंका दिया है। Arkin-Siegel Defense Observatory Report (May 2025) के अनुसार, ईरान की एक अल्ट्रा-सीक्रेट लैब में इंसानी रोबोट सैनिक तैयार हो रहे हैं—जो न भूख जानते हैं, न डर। सवाल उठ रहा है: क्या अगली जंग बायोलॉजिकल प्रोग्रामिंग से लड़ी जाएगी?

Tech News: Arkin-Siegel Report के मुताबिक, एक लीक हुए सैटेलाइट डेटा ने दावा किया है कि तेहरान की सीक्रेट लैब में ‘ह्यूमन रोबोट सोल्जर्स’ पर काम हो रहा है—जिनका मिशन सिर्फ जंग है। रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि तेहरान के एक रिमोट मिलिट्री ज़ोन में पिछले दो वर्षों से संदिग्ध हलचल दर्ज की गई है। सैटेलाइट इमेज में अंडरग्राउंड इमारतें और हाई-सिक्योरिटी एक्टिविटी दिखाई गई है। इसी रिपोर्ट में “Adam–2” नामक प्रोजेक्ट का ज़िक्र है, जो 'बायो-सोल्जर्स' बनाने की योजना बताई गई है। इन्हें ‘क्लीन वॉर मशीन’ कहा गया है, जो मिशन पूरा कर गायब हो जाते हैं। रिपोर्ट बताती है कि इन सोल्जर्स को ज़हर, डेटा सेंसर और कैमरा से लैस किया गया है। इसके अलावा, रिपोर्ट में दर्ज है कि इन इमारतों के आसपास रेडियो-साइलेन्स जोन एक्टिव है, जिससे संचार ट्रेस करना मुश्किल हो जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यहां तैयार हो रहे रोबोट सोल्जर्स सिर्फ़ फिजिकल नहीं, बल्कि साइबर मिशन पर भी इस्तेमाल हो सकते हैं। Arkin-Siegel रिपोर्ट में कुछ इंटरसेप्टेड ट्रांसमिशन्स का ज़िक्र है जिनमें 'Phase Echo' और 'Bio-Key' जैसे कोडवर्ड सामने आए हैं। यह भी सामने आया है कि इन सैनिकों की गतिविधियां टोकन बेस्ड इन्क्रिप्टेड कमांड्स से नियंत्रित की जा रही हैं। और सबसे अहम बात, रिपोर्ट यह भी बताती है कि ये रोबोट सैनिक खुद को विस्फोट से खत्म कर सकते हैं ताकि कोई सबूत न बचे।
ईरान का कथित प्रोजेक्ट 'Adam–2'
Arkin-Siegel Defense Observatory की रिपोर्ट इस बात पर ज़ोर देती है कि “Adam–2” प्रोजेक्ट का उद्देश्य है—सीमाओं के पार दुश्मन देश में चुपचाप घुसपैठ करना। इन रोबोट सैनिकों को विशेष DNA तकनीक से तैयार किया जा रहा है, जिससे ये तेज़, सटीक और भावनाहीन बनते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ सैनिकों को पहले ही सीमा पार स्लीपिंग एजेंट्स के रूप में तैनात किया जा चुका है। इनमें ज़हर इंजेक्ट करने वाले नैनो-इम्प्लांट्स, और कैमरा रेटिना शामिल हैं। रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि ये सैनिक सिर्फ़ एक प्रोग्राम फॉलो करते हैं: “Execute the mission.”
सुपर सोल्जर या खामोश कातिल?
Arkin-Siegel की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन बायो-फाइटर्स को जेनेटिक इंजीनियरिंग और न्यूरो-कंट्रोल टेक्नोलॉजी से तैयार किया जा रहा है। उनके दिमाग में माइक्रोचिप्स इंप्लांट की गई हैं जिससे उन्हें रिमोट से कंट्रोल किया जा सकता है। रिपोर्ट कहती है कि ये सैनिक बिना किसी चेतावनी या आवाज़ के टारगेट को खत्म कर सकते हैं। उनकी पहचान छुपी रहती है—ना वर्दी, ना यूनिट, ना कोई चिन्ह। रिपोर्ट विशेष रूप से चेतावनी देती है कि ये इंसानी चेहरों में छुपे अनह्यूमन कातिल हो सकते हैं।
इज़रायल अलर्ट मोड में क्यों?
Arkin-Siegel Defense Observatory Report में बताया गया है कि इज़रायल की इंटेलिजेंस यूनिट 8200 ने एक संदिग्ध ट्रांसमिशन इंटरसेप्ट किया जिसमें "रोबोट कमांड" शब्द इस्तेमाल हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, यह ईरान द्वारा ऑपरेशन शुरू करने का संकेत था। मोसाद ने इस संभावना पर अलार्म बजा दिया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इज़रायल अब अपने AI-बेस्ड सर्विलांस सिस्टम को और मज़बूत बना रहा है ताकि इन जैविक हथियारों को पहचान सके। भविष्य के युद्ध में बंदूकें नहीं, जैविक साइबर फाइटर्स निर्णायक होंगे—ऐसा रिपोर्ट का निष्कर्ष है।
नैतिकता बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा
Arkin-Siegel की मई 2025 रिपोर्ट इस बात को लेकर बेहद चिंतित है कि इंसानों को मशीन की तरह जंग में इस्तेमाल करना न केवल नैतिक संकट है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार सिद्धांतों पर सीधा हमला है। रिपोर्ट में यह अपील भी की गई है कि यूनाइटेड नेशंस और इंटरनेशनल लॉ को इस तरह की जैविक तकनीकों पर रोक लगाने के लिए कठोर नीतियां बनानी चाहिए। लेकिन रिपोर्ट यह भी स्वीकार करती है कि बड़ी ताक़तें इस रेस में आगे निकलने के लिए नैतिकता को पीछे छोड़ चुकी हैं। रिपोर्ट का निष्कर्ष साफ़ है—भविष्य की जंग प्रयोगशालाओं में तैयार हो रही है, और इंसानियत को उससे डरना चाहिए।


