VI यूजर्स को लग सकता है बड़ा झटका, अगले साल से बंद कर सकती है अपना सर्विस...सरकार से मांगी मदद
वोडाफोन आइडिया (वीआईएल) वित्तीय संकट का सामना कर रही है, खासकर एजीआर बकाया के कारण. सुप्रीम कोर्ट का हालिया निर्णय कंपनी की स्थिरता को प्रभावित कर रहा है, और सरकार से मदद न मिलने पर कंपनी को एनसीएलटी प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है. इससे 20 करोड़ उपयोगकर्ताओं पर असर पड़ेगा और दूरसंचार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा कम हो सकती है. सरकार को तत्काल कदम उठाकर इस संकट का समाधान करना चाहिए.

वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (वीआईएल) के लिए भविष्य में काम करना मुश्किल होता जा रहा है. कंपनी ने 17 अप्रैल, 2025 को दूरसंचार विभाग को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने तत्काल सहायता की आवश्यकता का मामला उठाया. वोडाफोन आइडिया ने चेतावनी दी कि यदि इसे कोई मदद नहीं मिलती, तो कंपनी की वापसी लगभग असंभव हो जाएगी. कंपनी का कहना है कि यह स्थिति विशेष रूप से समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से उत्पन्न हुई है, जिसने कंपनी की वित्तीय स्थिरता को प्रभावित किया और इसके लिए भारी बकाया देयताएं बढ़ा दी हैं.
एजीआर का संकट और Vi की समस्याएं
एजीआर विवाद को लेकर वोडाफोन आइडिया लंबे समय से संघर्ष कर रही है. इस विवाद की जड़ें राजस्व की परिभाषाओं से जुड़ी हैं, जिनमें सरकार का कहना है कि सभी प्रकार के राजस्व, जैसे दूरसंचार सेवाएं, लाभांश, संपत्ति की बिक्री से होने वाले लाभ, और किराया, को एजीआर के तहत शामिल किया जाना चाहिए. टेलीकॉम ऑपरेटरों का इससे असहमत होना एक प्रमुख कारण है, जिससे एजीआर बकाया की राशि बढ़ी है.
सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में सरकार के पक्ष में निर्णय दिया था, जिससे दूरसंचार कंपनियों पर भारी बकाया लगाया गया. इस फैसले का सबसे बड़ा प्रभाव वोडाफोन आइडिया पर पड़ा है, जबकि रिलायंस जियो और बीएसएनएल जैसे ऑपरेटर इससे प्रभावित नहीं हुए. जियो ने 2016 में बाजार में प्रवेश किया था और अपना बकाया चुकता कर दिया था, जबकि बीएसएनएल एक अलग ढांचे के तहत काम करता है.
एजीआर का भुगतान न करने पर संकट
वोडाफोन आइडिया ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने मदद नहीं की, तो उसे राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) प्रक्रिया में जाना पड़ सकता है. अगर ऐसा हुआ, तो यह स्थिति कंपनी के लगभग 20 करोड़ ग्राहकों को प्रभावित कर सकती है. उपयोगकर्ता अपने नंबर को अन्य कंपनियों में पोर्ट करने के लिए मजबूर हो सकते हैं. इसका असर भारतीय दूरसंचार बाजार पर प्रतिकूल रूप से पड़ेगा, जिससे प्रतिस्पर्धा में कमी और उपभोक्ताओं की पसंद पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है.
वोडाफोन आइडिया ने एजीआर बकाया के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है और साथ ही स्पेक्ट्रम स्थगन तथा विस्तार जैसे उपायों के जरिए तरलता सहायता की भी मांग की है.
एजीआर बकाया की समस्या का गहरा असर
भारत के दूरसंचार क्षेत्र में एजीआर का मुद्दा एक लंबे समय से चल रहा विवाद है. 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इस विवाद को और गहरा कर दिया, जिससे ऑपरेटरों पर भारी वित्तीय दबाव बढ़ा. वोडाफोन आइडिया का कहना है कि यह अतिरिक्त बोझ कंपनी के लिए असंभव बना रहा है, जिससे उसकी व्यावसायिक स्थिरता पर असर पड़ रहा है.
इससे पहले भी सरकार ने एजीआर पुनर्परिभाषित करने की कोशिश की थी, लेकिन वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियां अब भी संकट का सामना कर रही हैं. जियो और बीएसएनएल इस संकट से बचने में सफल रहे हैं, लेकिन वोडाफोन आइडिया और एयरटेल के लिए यह समस्या बनी हुई है.
भविष्य की दिशा: संकट या समाधान?
वोडाफोन आइडिया के लिए एजीआर बकाया और वित्तीय संकट एक बड़ा संकट बन चुके हैं. यदि यह संकट समय पर हल नहीं होता, तो कंपनी को कानूनी और वित्तीय प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है, जिसका असर भारतीय दूरसंचार क्षेत्र पर गहरा पड़ेगा. भारत के डिजिटल समावेशन और दूरसंचार क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा को भी इससे बड़ा झटका लग सकता है.
वोडाफोन आइडिया ने अपनी स्थिति को लेकर स्पष्ट किया है कि बिना सरकार की मदद के कंपनी का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है. इसके समाधान के लिए सरकार और संबंधित विभागों को जल्द से जल्द कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि उपभोक्ताओं को और दूरसंचार क्षेत्र को इस संकट से बाहर निकाला जा सके.