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सिक्योरिटी गार्ड है ये मुर्गा, अजनबियों की झट से कर लेता है पहचान, कीमत-और खूबियां जानकर हो जाएंगे हैरान

महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के किसान अरुण शिंदे ने असिल नस्ल के खास मुर्गे की कीमत के लिए 15 हजार रुपये का ऑफर ठुकरा दिया. अरुण का मकसद इस खास नस्ल की प्रजनन क्षमता बढ़ाना है, ताकि ज्यादा किसान इसका फायदा उठा सकें. असिल नस्ल के मुर्गे का वजन 4 से 4.5 किलो तक होता है और ये अपने ताकतवर शरीर और सुरक्षा प्रवृत्ति के लिए जाने जाते हैं.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

सोलापुर के किसान अरुण शिंदे का फार्म आज असिल नस्ल के मुर्गों के लिए एक पहचान बन चुका है. उनकी मेहनत और दूरदर्शिता का नतीजा है कि आज उनके फार्म पर मौजूद एक खास मुर्गे की कीमत 15 हजार रुपये तक पहुंच चुकी है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस भारी-भरकम ऑफर को अरुण शिंदे ने ठुकरा दिया, और इसके पीछे की वजह वाकई प्रेरणादायक है.

महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के एक छोटे से गांव कामटी खुर्द से शुरू हुई यह कहानी अब पूरे राज्य के किसानों को एक नई दिशा दिखा रही है. अरुण शिंदे ने मुर्गी और बत्तख पालन को न सिर्फ एक व्यवसाय के रूप में अपनाया, बल्कि उसमें नवाचार कर एक मिसाल भी कायम की है. उनका कहना है कि उनका उद्देश्य सिर्फ मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि इस असिल नस्ल की गुणवत्ता और संख्या दोनों को बढ़ाना है.

असिल नस्ल के मुर्गे की खासियतें

अरुण शिंदे के फार्म पर जो असिल नस्ल के मुर्गे पाए जाते हैं, वे सामान्य मुर्गों से काफी अलग होते हैं। यह नस्ल मूलतः आंध्र प्रदेश की है और इसकी पहचान है इसकी मजबूत कद-काठी और लड़ाकू स्वभाव.

- नर मुर्गे का वजन 4 से 4.5 किलो तक होता है  

- मादा मुर्गी का वजन लगभग 2 से 2.5 किलो  

- आक्रामक स्वभाव और तेज सजगता  

- अजनबियों और जानवरों के प्रति रक्षात्मक व्यवहार

अरुण शिंदे के मुताबिक, "असिल मुर्गा केवल एक पक्षी नहीं, बल्कि एक फार्म का सच्चा रक्षक भी है."

फार्म पर गार्ड की भूमिका निभाता है मुर्गा

असिल नस्ल के यह मुर्गे सिर्फ दिखने में ही शानदार नहीं, बल्कि व्यवहार में भी अनोखे हैं। फार्म में आने वाले अजनबियों या अन्य जानवरों के प्रति यह मुर्गे तुरंत सतर्क हो जाते हैं और पूरी तरह से अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। यही कारण है कि इन्हें फार्म के 'नेचुरल सिक्योरिटी गार्ड' भी कहा जाता है.

15 हजार का ऑफर ठुकराया

रत्नागिरी से एक व्यापारी ने अरुण शिंदे के फार्म पर आकर इस असिल मुर्गे के लिए 12 से 15 हजार रुपये की कीमत ऑफर की थी। लेकिन अरुण ने यह सौदा करने से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि हमारा मकसद प्रजनन क्षमता को बढ़ाना है, ताकि यह नस्ल आगे भी जिंदा रहे और ज्यादा किसानों तक पहुंचे. उनका मानना है कि अगर वे अभी इसे बेच देते हैं, तो लंबे समय में इस नस्ल की विरासत और कृषि-आधारित मॉडल को नुकसान हो सकता है.

खेती-पशुपालन को नई दिशा दे रहे हैं अरुण शिंदे

अरुण शिंदे का प्रोत्साहन एग्रो फार्म न सिर्फ असिल नस्ल के लिए प्रसिद्ध हो चुका है, बल्कि यह महाराष्ट्र के ग्रामीण युवाओं के लिए एक प्रेरणा का केंद्र बन गया है. उन्होंने दिखा दिया है कि यदि परंपरागत खेती के साथ इनोवेशन और धैर्य जोड़ा जाए, तो उससे शानदार मुनाफा भी कमाया जा सकता है और समाज में सकारात्मक बदलाव भी लाया जा सकता है.

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29 April 2025, 12:53 PM IST

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