जब सरकार ने डीए जोड़ने से किया इनकार क्या आठवां वेतन आयोग कर्मचारियों को देगा राहत
सरकार ने लोकसभा में स्पष्ट कहा कि महंगाई भत्ता को मूल वेतन में शामिल करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है, जिससे 8वें वेतन आयोग को लेकर कर्मचारियों की चिंता बढ़ गई है।

New Delhi: सरकार ने लोकसभा में लिखित जवाब में स्पष्ट कहा कि अभी महंगाई भत्ता को मूल वेतन में जोड़ने का कोई प्रस्ताव नहीं है। यह बयान आने के बाद कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की उम्मीदों को झटका लगा। पिछले कुछ महीनों से सोशल मीडिया और कर्मचारी संगठनों में चर्चा थी कि सरकार डीए को बेसिक में शामिल कर सकती है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि इस समय सरकार ऐसा करने पर विचार नहीं कर रही। इससे साफ हुआ कि तत्काल राहत की संभावना कम है। अब कर्मचारी 8वें वेतन आयोग की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं।
क्यों उठी यह मांग?
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि 30 वर्षों में महंगाई इतनी बढ़ी कि डीए और वास्तविक खर्च में अंतर रह गया। कई कर्मचारी चाहते हैं कि कम से कम 50% डीए को मूल वेतन में जोड़ा जाए। सांसद आनंद भदौरिया ने भी यही बात संसद में उठाई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि मामला केवल वेतन नहीं बल्कि आर्थिक संतुलन से जुड़ा है। भावनात्मक अपेक्षाओं के साथ सरकार को बजट अनुशासन भी देखना होता है। इसलिए बिना विस्तृत मूल्यांकन के ऐसा कदम जोखिमभरा हो सकता है।
क्या फिटमेंट फैक्टर बढ़ेगा?
वेतन विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार डीए जोड़ने के बजाय फिटमेंट फैक्टर पर विचार कर सकती है। अभी यह 2.57 है और यदि इसे बढ़ाकर 3.0 किया जाए तो मूल वेतन करीब 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। इसके साथ एचआरए, टीए और अन्य भत्ते भी स्वतः बढ़ जाएंगे। पेंशनभोगियों को भी ऐसे बढ़े वेतन का लाभ मिलेगा क्योंकि पेंशन हमेशा नए वेतन के 50 प्रतिशत पर निर्भर होती है। इस विकल्प को कम खर्चीला और व्यवहारिक बताया जा रहा है।
कब खत्म होगा सातवां आयोग?
सातवें वेतन आयोग की अवधि 31 दिसंबर 2025 को समाप्त होगी। कर्मचारियों में यह सवाल उठ रहा है कि जब तक आठवां वेतन आयोग लागू नहीं होता तब तक डीए और डीआर की गणना कैसे होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल सरकार से स्पष्ट संकेतों का इंतजार किया जा रहा है। अभी संभावना है कि मौजूदा व्यवस्था लागू रहे और डीए बढ़ोतरी पुराने तरीके से जारी रहे। अगर निर्णय में देरी हुई तो यह कर्मचारियों के लिए चिंता का विषय बन सकता है।
क्या छह महीने में राहत?
सरकार ने भरोसा दिया कि डीए और डीआर की समीक्षा हर छह महीने में होती रहेगी। इससे महंगाई के कारण वेतन और पेंशन की वास्तविक कीमत कम नहीं होनी चाहिए। यह समीक्षा AICPI-IV यानी औद्योगिक श्रमिकों के मूल्य सूचकांक के आधार पर होगी जो श्रम ब्यूरो जारी करता है। इससे कर्मचारियों को आंशिक राहत मिल सकती है। हालांकि इसे स्थायी समाधान नहीं माना जा रहा है। इसलिए आठवें वेतन आयोग की संरचना महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
क्या आठवां आयोग उम्मीद देगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि आठवें वेतन आयोग में फिटमेंट और भत्तों पर बड़ा फैसला आ सकता है। हालांकि अभी सरकार ने कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की। चुनावी माहौल होने के कारण वित्तीय दबाव भी सामने है। कर्मचारी चाहते हैं कि नए आयोग में महंगाई को विशेष महत्व दिया जाए। अगर सरकार संतुलित तरीके से सुधार करती है तो इससे करोड़ों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को राहत मिल सकती है। फिलहाल वे केवल सरकारी संकेतों का इंतजार कर रहे हैं।


