6 साल के निचले स्तर पर पहुंची खुदरा महंगाई दर, जून में 2.10 प्रतिशत रहा Inflation, RBI रेपो रेट में कर सकता है कटौती
भारत की खुदरा महंगाई जून महीने में 2.10% पर आ गई है, जो छह सालों में सबसे कम है. खाद्य कीमतों में स्थिरता और आधार प्रभाव से यह गिरावट हुई है. आरबीआई ने रेपो दर में कटौती की है और वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई अनुमान 3.7% रखा है. यह आर्थिक स्थिरता का संकेत है.

भारत में जून 2025 में खुदरा महंगाई 2.10% दर्ज की गई है, जो पिछले छह वर्षों में सबसे कम है. यह जानकारी सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों में सामने आई. महंगाई में यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की कीमतों में धीमी वृद्धि और आधार प्रभाव के कारण हुई है.
महंगाई की निरंतर गिरावट
यह लगातार पांचवां महीना है जब महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 4% के मध्यम अवधि लक्ष्य से नीचे बनी हुई है. इसके अलावा, यह आठवां महीना है जब महंगाई केंद्रीय बैंक की ऊपरी सीमा 6% से नीचे रही. मई 2025 में महंगाई 2.82% थी, जबकि जून 2024 में यह 5.08% थी. यह लगातार दूसरा महीना है जब महंगाई 3% से कम दर्ज की गई.
खाद्य कीमतों में नरमी का प्रभाव
कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज के अनुसार, खाद्य कीमतों में स्थिरता के कारण महंगाई अपेक्षा से कम रही है. उन्होंने बताया कि कुछ सब्जियों को छोड़कर अधिकांश खाद्य वस्तुओं की कीमतें स्थिर हैं. उपासना ने उम्मीद जताई कि वित्त वर्ष 2025-26 में महंगाई आरबीआई के अनुमान से करीब 50 आधार अंक कम रहेगी.
मौद्रिक नीति पर असर
महंगाई में स्थिरता के चलते मौद्रिक नीति में राहत की संभावना बनी हुई है, लेकिन आरबीआई संभावित वैश्विक अनिश्चितताओं पर नजर रखेगा. जून 2025 में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो दर में 50 आधार अंक की कटौती कर इसे 5.5% पर लाया, जो इस वर्ष की तीसरी कटौती थी. आरबीआई अब आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और कीमतों को स्थिर रखने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि पिछले छह महीनों में महंगाई में काफी कमी आई है, जो अक्टूबर 2024 के सहनशीलता बैंड से नीचे आ गई है और नरमी के स्पष्ट संकेत दिखा रही है.
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई पूर्वानुमान
जून के आंकड़ों को देखते हुए, आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए खुदरा महंगाई अनुमान को संशोधित कर 3.70% कर दिया है, जो अप्रैल 2025 में दिए गए 4% के अनुमान से कम है. तिमाही वार अनुमान इस प्रकार हैं:
Q1: 2.9%
Q2: 3.4%
Q3: 3.5%
Q4: 4.4%
हालांकि महंगाई में कमी आई है, आरबीआई ने आपूर्ति पक्ष की चुनौतियों और वैश्विक आर्थिक प्रभावों पर कड़ी नजर रखने की जरूरत जताई है.
मूल्य स्थिरता में आधार प्रभाव की भूमिका
महंगाई के इस स्तर पर आने में पिछले वर्ष की ऊँची महंगाई का आधार प्रभाव भी सहायक रहा है. क्योंकि पिछले साल इसी अवधि में महंगाई अधिक थी, इसलिए इस वर्ष के कम आंकड़े तुलनात्मक रूप से और भी प्रभावशाली दिखाई दे रहे हैं.
सरकारी प्रयास और बेहतर आपूर्ति
विश्लेषकों का मानना है कि आवश्यक वस्तुओं की बेहतर आपूर्ति, सरकार द्वारा खाद्य भंडार प्रबंधन के उपाय और आर्थिक नीतियों ने महंगाई को नियंत्रित रखने में अहम भूमिका निभाई है.
इस तरह, जून 2025 का खुदरा महंगाई आंकड़ा भारत की आर्थिक स्थिरता के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है, जो उपभोक्ताओं के लिए राहत और नीति निर्माताओं के लिए भी संतोषजनक है.


