पढ़िए असली चंदू चैंपियन की कहानी; 9 गोली लगने के बाद भी इंडिया को दिलाया गोल्ड
Who Is Murlikant Petkar: फिल्म 'चंदू चैंपियन' सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. इस फिल्म को देखने के बाद आपको अपने जीवन से जुड़े कई पहलुओं को जानने में मदद मिलेगी. इस फिल्म की कहानी मुरली कांत की बायोपिक है और इनके किरदार को कार्तिक आर्यन ने निभाया है. यह फिल्म दर्शकों को खूब पसंद आ रही है तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कौन हैं ये मुरलीकांत?

Who Is Murlikant Petkar: हिन्दी सिनेमा (बॉलीवुड) में कई तरह की फिल्में रिलीज होती हैं. इनमें कई फिल्में मनोरंजन पर बेस्ड होती हैं तो कुछ फिल्में हमें बड़ी सीख देकर जाती है. और कुछ फिल्में रियल घटनाओं पर बनाई जाती हैं. जिन्हें देखने के बाद हमें अपने जीवन से जुड़े कई पहलुओं को जानने में मदद मिलती है. इस बीच एक ऐसी ही रियल स्टोरी पर आधारित फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई है जिसका नाम चंदू चैंपियन है. इस फिल्म की कहानी मुरली कांत की बायोपिक है और इनके किरदार को कार्तिक आर्यन ने निभाया है. 'चंदू चैंपियन' दर्शकों को खूब पसंद आ रही है तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कौन हैं ये मुरलीकांत?
मुरली कांत के बारे में जानने से पहले हम आपको फिल्म 'चंदू चैंपियन' के बारे में बताते है कि इस फिल्म की स्टोरी क्या है? यह कहानी मुरलीकांत पेटकर की है जिसको कार्तिक आर्यन ने निभाया है. मुरली कांत एक ऐसा नाम है जिसकी कहानी हर किसी को प्रेरणा देने का काम करेगी.
कौन है मुरलीकांत पेटकर?
मुरली कांत जो कि अपने पैरों से चल तक नहीं सकते थे और वह व्हीलचेयर की मदद से इधर- उधर जाने के काम करते थे. लेकिन इस सब संघर्षों के बाद उन्होंने भारत के लिए स्वर्ण पदक
लेकर आए. उनका बचपन से ही सपना था कि वह अपने देश के लिए स्वर्ण पदक लाएं. लेकिन कई लोगों ने उनके सपने को सुनने के बाद मजाक बनाया. लेकिन मुरली कांत ने हार नहीं मानी और कुश्ती खेलने लगे. बाद में ये सेना में भर्ती हुए.
मुरली कांत को कई चोटों का सामना करना पड़ा और ये लकवाग्रस्त हो गए. लेकिन इन सब के बाद भी उनके मजबूत इरादों में बिल्कुल कमी नहीं आई. आखिरकार इनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने पैरालंपिक में तैराकी में गोल्ड मेडल जीता. ऐसे में भारतीय सिनेमा ने मुरली कांत के इसी जज्बे को बड़े पर्दे पर उतार कर लोगों को बड़ी सीख देने का काम किया है.
गोली लगने के बाद भी नहीं टूटा जज्बा
साल 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई जंग में मुरलीकांत पेटकर को 9 गोली लगने के कारण बुरी तरह से घायल हो गए थे और कोमा में चले गए और हमेशा के लिए पैराडाइज हो गए. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और ठीक 7 साल बाद वो भारत के लिए पैरालंपिक के मैदान में आ गए और यहां पर भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया.
पुणे में रहते हैं मुरलीकांत पेटकर
मुरलीकांत पेटकर का जन्म 1 नवंबर 1944 को महाराष्ट्र में हुआ. उनकी उम्र अब 82 साल है और वह पुणे में रहते हैं. पैरालाइज होने के बावजूद मुरलीकांत कुश्ती, हॉकी, एथलेटिक्स में माहिर थे. मुरलीकांत ने बताया था कि वो जब कश्मीर में थे उस समय भारत-पाकिस्तान के बीच लड़ाई हो रही थी और पाकिस्तान ने हमला कर दिया था. उसी समय उनकी रीढ़ की हड्डी में गोली लग गई जो कि अभी तक उनकी रीढ़ की हड्डी में है.


