AI, बायोमेट्रिक और रियल टाइम निगरानी...टीडीपी का चुनाव आयोग से तीन सूत्रीय मांग
टीडीपी ने चुनाव आयोग से मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में पारदर्शिता, समयबद्धता और निष्पक्षता की मांग की है. पार्टी ने प्रक्रिया को नागरिकता से न जोड़ने, सुधारात्मक कदम उठाने और प्रवासी व वंचित वर्गों के लिए विशेष नामांकन अभियान चलाने की सिफारिश की है. यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित करने का प्रयास है.

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की अहम सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने चुनाव आयोग को एक विस्तारपूर्वक ज्ञापन सौंपते हुए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया में व्यापक सुधार की मांग की है. टीडीपी ने सुझाव दिया है कि एसआईआर प्रक्रिया किसी भी बड़े चुनाव से कम-से-कम छह महीने पहले पूरी कर ली जानी चाहिए. पार्टी का मानना है कि चुनावों के नज़दीक इस प्रक्रिया को अंजाम देना लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है.
नागरिकता से न जोड़ा जाए
पार्टी ने चुनाव आयोग से यह भी आग्रह किया कि एसआईआर को नागरिकता की पुष्टि से जोड़ने के किसी भी प्रयास से बचा जाए. टीडीपी ने स्पष्ट किया कि जब तक किसी मतदाता पर कोई विशेष शिकायत न हो, तब तक नागरिकता पर सवाल उठाना असंवैधानिक और भय फैलाने वाला हो सकता है.
बिहार की स्थिति पर चिंता
हालांकि ज्ञापन में बिहार का सीधा उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि टीडीपी की चिंता बिहार में चल रही एसआईआर प्रक्रिया की समय-सीमा को लेकर है. विधानसभा चुनाव के निकट चल रहे पुनरीक्षण में मतदाताओं पर दस्तावेज़ी साक्ष्य की मांग को लेकर राजनीतिक हलकों में तनाव देखा जा रहा है.
मतदाता अधिकारों की रक्षा की मांग
टीडीपी ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि एक बार मतदाता सूची में नाम दर्ज होने के बाद, उसे वैध माना जाता है और उसकी वैधता पर सवाल उठाने से पहले उचित प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए. पार्टी ने कहा कि नाम हटाने की जिम्मेदारी मतदाता की नहीं, बल्कि निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) या आपत्तिकर्ता की होती है.
चुनावी प्रक्रिया सुधार के लिए ठोस प्रस्ताव
चुनाव आयोग के साथ हुई बैठक में टीडीपी ने कई सुधारात्मक सुझाव पेश किए:
मोबाइल बीएलओ की नियुक्ति और प्रवासी मतदाताओं के लिए अस्थायी पते को मान्यता देना.
रीयल-टाइम शिकायत डैशबोर्ड की स्थापना.
- AI तकनीक के माध्यम से डुप्लिकेट प्रविष्टियों की पहचान.
- CAG के अधीन तृतीय-पक्ष ऑडिट की वार्षिक व्यवस्था.
- बायोमेट्रिक सत्यापन और आधार आधारित EPIC नंबर जारी करना.
- बीएलए की भागीदारी को पुनरीक्षण प्रक्रिया में अनिवार्य करना.
- समावेशिता और पारदर्शिता पर विशेष ज़ोर
टीडीपी ने कहा कि यह अवसर है कि विशेष रूप से प्रवासी मजदूरों, बुजुर्गों, आदिवासियों और बेघर नागरिकों को मतदाता सूची में सही स्थान देने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए. पार्टी ने सुझाव दिया कि सभी बदलावों के ज़िलेवार आँकड़े सार्वजनिक किए जाएं ताकि पारदर्शिता बनी रहे.
टीडीपी का यह कदम एनडीए के भीतर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की निष्पक्षता को लेकर बढ़ती चिंताओं को दर्शाता है और भविष्य के चुनावों के लिए मतदाता सूचियों को पारदर्शी और समावेशी बनाने की दिशा में एक अहम प्रयास है.


