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सत्यजीत रे के पैतृक घर को ध्वस्त करेगी बांग्लादेश सरकार... CM ममता ने केंद्र से हस्तक्षेप की मांग

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में स्थित महान फिल्मकार सत्यजीत रे के पैतृक घर को ढहाया जा रहा है. इस खबर की पुष्टि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से की. उन्होंने इसे "बेहद दुखद और चिंताजनक" करार देते हुए गहरी नाराज़गी जताई है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

बांग्लादेश के ढाका में स्थित महान फिल्मकार सत्यजीत रे के पैतृक घर को ढहाया जा रहा है. यह जानकारी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से दी. उन्होंने इस खबर को "बेहद दुखद और चिंताजनक" बताया.

उपेंद्र किशोर रे चौधरी का ऐतिहासिक निवास


आपको बता दें  कि यह मकान सत्यजीत रे के दादा और प्रसिद्ध लेखक-प्रकाशक उपेंद्र किशोर रे चौधरी का था, जो बंगाल के नवजागरण आंदोलन की प्रमुख हस्तियों में से एक माने जाते हैं. यह ऐतिहासिक घर ढाका के हरिकिशोर रे चौधरी रोड पर स्थित है और इसे बंगाल की सांस्कृतिक विरासत का अहम हिस्सा माना जाता है.

CM ममता ने बांग्लादेश सरकार से की अपील

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी पोस्ट में लिखा, “रे परिवार बंगाली संस्कृति का प्रतिनिधि है. उपेंद्र किशोर बंगाल के नवजागरण के स्तंभ हैं. ऐसे में यह घर हमारी सांस्कृतिक स्मृति से गहराई से जुड़ा हुआ है.” उन्होंने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और सामाजिक रूप से जागरूक नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे इस ऐतिहासिक विरासत को बचाने के लिए जरूरी कदम उठाएं.

भारत सरकार से हस्तक्षेप की मांग

ममता बनर्जी ने भारत सरकार से भी अनुरोध किया कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करे और बांग्लादेश सरकार के साथ बातचीत कर इस धरोहर को संरक्षित करने की कोशिश करे.

अकादमी के लिए गिराया जा रहा मकान

बांग्लादेश के एक अखबार के मुताबिक, यह घर पहले मॉयमेनसिंह चिल्ड्रन एकेडमी के तौर पर इस्तेमाल होता था, लेकिन लंबे समय से देखरेख के अभाव में यह जीर्ण-शीर्ण हो गया था. अब इस स्थान पर एक नई अर्ध-कंक्रीट संरचना बनाई जा रही है, जिसमें बच्चों की गतिविधियां दोबारा शुरू की जा सकेंगी.


सरकारी अधिकारी का पक्ष

ढाका के बच्चों के कार्य मामलों के अधिकारी, मोहम्मद मेहदी ज़मान ने कहा कि यह इमारत पिछले 10 वर्षों से वीरान पड़ी थी, और शिशु अकादमी किराए की इमारत से संचालित हो रही थी. उन्होंने बताया कि पुरानी इमारत बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुकी थी, इसलिए उसे ढहाने का निर्णय लिया गया. उन्होंने यह भी जोड़ा कि विध्वंस की प्रक्रिया वैधानिक अनुमति के साथ की जा रही है.

ऐतिहासिक महत्व की उपेक्षा पर उठ रहे सवाल

हालांकि, यह सवाल भी उठ रहे हैं कि इतने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के भवन को संरक्षित करने की बजाय गिराया जाना सही कदम है या नहीं. इतिहासकारों और संस्कृति प्रेमियों का मानना है कि ऐसी विरासत को संजोना चाहिए, क्योंकि यह सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि बंगाल की साहित्यिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है.

सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान

इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि इतिहास और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाना न सिर्फ भारत, बल्कि बांग्लादेश जैसे देशों के लिए भी एक बड़ी चुनौती है. सत्यजीत रे जैसे विश्व प्रसिद्ध कलाकार के पारिवारिक विरासत स्थल को बचाने की मांग केवल एक इमारत की नहीं, बल्कि हमारी साझा सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा की पुकार है.

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15 July 2025, 08:58 PM IST

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