एनसीपी शरद पवार खेमे में बड़ा फेरबदल, जयंत पाटिल की जगह शशिकांत शिंदे बन सकते हैं नए एनसीपी प्रमुख
महाराष्ट्र नगर निगम चुनावों से पहले एनसीपी में बड़ा फेरबदल होने जा रहा है. जयंत पाटिल ने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे का संकेत दिया है. शशिकांत शिंदे और राजेश टोपे संभावित नए नेता माने जा रहे हैं. यह बदलाव पार्टी की रणनीति और विपक्षी राजनीति पर गहरा असर डाल सकता है.

महाराष्ट्र की राजनीति में नगर निगम चुनावों से पहले एक बड़ा बदलाव सामने आया है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के शरद पवार खेमे में संगठनात्मक फेरबदल की तैयारी चल रही है. सात वर्षों से प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका निभा रहे जयंत पाटिल ने अपने पद से हटने का मन बना लिया है. उन्होंने संगठन में “नए नेतृत्व” की आवश्यकता का हवाला देते हुए इस्तीफे का संकेत दिया है.
सात साल के नेतृत्व की पारी खत्म
जयंत पाटिल ने 2018 से एनसीपी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर संगठन को नेतृत्व दिया है. उनके कार्यकाल में पार्टी ने कई अहम चुनावों का सामना किया, लेकिन हालिया वर्षों में आंतरिक चुनौतियाँ और राजनीतिक समीकरणों में बदलाव देखने को मिला है. पाटिल ने खुद को अब नई भूमिका के लिए तैयार बताया और कहा कि पार्टी को अब एक नई सोच और ऊर्जा की ज़रूरत है.
शशिकांत शिंदे बन सकते हैं नए अध्यक्ष
सूत्रों के अनुसार, शरद पवार के भरोसेमंद सहयोगी शशिकांत शिंदे को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना है. पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक मंगलवार दोपहर 3 बजे बुलाई गई है, जिसमें शशिकांत शिंदे के नाम पर मुहर लग सकती है. शिंदे को संगठनात्मक अनुभव और ज़मीनी पकड़ दोनों में मजबूत माना जाता है.
एक और संभावित नाम
पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता राजेश टोपे का नाम भी संभावित दावेदारों में गिना जा रहा है. स्वास्थ्य मंत्री रह चुके टोपे का नाम आना यह दर्शाता है कि शरद पवार खेमा अंदरूनी मजबूती और संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है. यह बदलाव केवल चेहरे का नहीं, बल्कि पार्टी की रणनीतिक दिशा में बदलाव का संकेत है.
नगर निकाय चुनावों से पहले बदलाव की आहट
महाराष्ट्र में नगर निगम चुनाव निकट हैं और भाजपा, शिंदे गुट की शिवसेना और उद्धव ठाकरे की शिवसेना पहले से ही अपनी तैयारियों में जुटी हुई हैं. ऐसे में एनसीपी का यह नेतृत्व परिवर्तन एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है, जिससे पार्टी स्थानीय स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है.
राजनीतिक समीकरणों पर पड़ेगा असर
जयंत पाटिल का इस्तीफा और शशिकांत शिंदे या राजेश टोपे जैसे नेताओं की संभावित ताजपोशी न केवल पार्टी के भीतर शक्ति संतुलन को प्रभावित करेगी, बल्कि महाराष्ट्र की पूरी विपक्षी राजनीति पर इसका असर पड़ेगा. यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावी महीनों में यह बदलाव एनसीपी को कितना लाभ दिला पाता है.


