लड़के या लड़कियां कौन होता है गणित में ज्यादा तेज ? रिसर्च में हुआ हैरान करनेवाला खुलासा
हम सभी के मन में यह सवाल जरूर आता होगा कि लड़के और लड़कियों में से गणित किसका ज्यादा अच्छा होता है. इस बात को लेकर फ्रांस में एक शोध किया गया. जिसका रिजल्ट यह रहा कि लड़के अक्सर गणित में लड़कियों से बेहतर प्रदर्शन करते है. आइए जानते है इस खबर को विस्तार से...

नया शोध बताता है कि लड़के अक्सर गणित में लड़कियों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि लड़कों में गणित की योग्यता अधिक होती है. फ्रांस में किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि शुरुआती कक्षा में लड़के और लड़कियां समान गणितीय कौशल के साथ स्कूल जाना शुरू करते हैं, लेकिन केवल चार महीने के स्कूलिंग के बाद ही लड़कों का प्रदर्शन बेहतर होने लगता है.
प्रारंभिक समानता के बाद बढ़ता अंतर
अध्ययन के अनुसार, लड़कों और लड़कियों के बीच गणित में अंतर धीरे-धीरे स्कूलिंग के साथ बढ़ता है, न कि उम्र के साथ. यह अंतर परिवार, कक्षा, स्कूल के प्रकार या सामाजिक-आर्थिक स्तर जैसे कारकों से ज्यादा प्रभावित नहीं होता. इसका मतलब है कि स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही लड़कों को बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया जाता है, जबकि लड़कियों के साथ ऐसा नहीं होता.
सामाजिक धारणाओं का प्रभाव
शोध में यह भी बताया गया है कि यह अंतर मुख्य रूप से उस सामाजिक सोच का परिणाम है जिसमें 'लड़कियां गणित में कमजोर होती हैं' जैसी धारणाएं शामिल हैं. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह सोच कहां, कब और कितनी व्यापकता से शुरू होती है, लेकिन इसका प्रभाव निश्चित रूप से लड़कियों के आत्मविश्वास पर पड़ता है.
आत्मविश्वास का बड़ा फर्क
इसके साथ ही अध्ययन में यह भी पता चला कि लड़कों में गणित को समझने को लेकर ज्यादा सकारात्मक नजरिया और आत्मविश्वास होता है. जो कि उनके बेहतर प्रदर्शन का एक बड़ा कारण होता है. इसके उलट अगर हम लड़कियों की बात करें तो उनमें आत्मविश्वास की कमी होती है. जो उनकी योग्यता को भी प्रभावित करती है.
पढ़ाई का तरीका भी जिम्मेदार
वहीं, शोधकर्ताओं का मानना है कि प्रारंभिक गणित की शिक्षा का तरीका भी इस अंतर को बढ़ावा देता है. यह संभव है कि शिक्षण के तरीके और कक्षाओं का माहौल लड़कों को अधिक फायदा पहुंचाता हो, जिससे उनका प्रदर्शन बेहतर होता है.
दोनों की योग्यता में कोई अंतर नहीं
महिला और पुरुष दोनों की गणित और विज्ञान में मौलिक योग्यता में कोई अंतर नहीं है. यह बात हार्वर्ड विश्वविद्यालय की मनोविज्ञान प्रोफेसर एलिज़ाबेथ स्पेल्के ने भी कही है. असल में, यह अंतर सामाजिक और पर्यावरणीय कारणों से होता है, न कि जन्मजात क्षमताओं से.
प्रतिस्पर्धा और सामाजिक दबाव का असर
स्पेन के विश्वविद्यालय की प्रोफेसर मार्ता माचो-स्टेडलर के अनुसार, लड़के और लड़कियां प्रतिस्पर्धी माहौल में अलग-अलग प्रतिक्रिया देते हैं. परिवार और स्कूल की अपेक्षाएं भी लड़कियों को सीमित कर सकती हैं, जिससे उनका प्रदर्शन लड़कों से कम हो जाता है.
समान अवसर और प्रोत्साहन
गणित में लड़कों और लड़कियों के बीच के इस अंतर को कम करने के लिए जरूरी है कि दोनों को समान रूप से प्रोत्साहित किया जाए. माता-पिता और शिक्षक दोनों को चाहिए कि वे बच्चों में जिज्ञासा, तार्किक सोच और मेहनत को बढ़ावा दें, साथ ही गणित को लेकर सकारात्मक सोच विकसित करें.
इस शोध से यह स्पष्ट होता है कि लड़कों और लड़कियों की योग्यता में कोई अंतर्निहित फर्क नहीं है, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय कारणों से यह अंतर पैदा होता है. सही दिशा में प्रयास से इसे कम किया जा सकता है ताकि सभी बच्चों को अपनी पूरी क्षमता दिखाने का मौका मिले.


