समोसे, जलेबी और लड्डू पर नहीं लगेगा कोई चेतावनी लेबल, केंद्र सरकार ने दी ये स्पष्ट जानकारी
देश में कुछ दिनों से सोशल मीडिया और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए यह भ्रम फैलाया जा रहा था कि सरकार समोसे, जलेबी, लड्डू जैसे लोकप्रिय भारतीय स्नैक्स पर स्वास्थ्य चेतावनी लेबल लगाने जा रही है. लेकिन केंद्र सरकार ने अब इस पर पूरी तरह से स्थिति साफ कर दी है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह साफ जानकारी दी है कि समोसे, जलेबी और लड्डू पर कोई भी चेतावनी लेबल नहीं लगेगी.

केंद्र सरकार ने साफ किया है कि समोसे, जलेबी, लड्डू या किसी भी पारंपरिक भारतीय स्नैक पर कोई चेतावनी लेबल लगाने की योजना नहीं है. हाल के दिनों में ऐसी अफवाहें फैल रही थीं कि सरकार भारतीय स्ट्रीट फूड्स को निशाना बना रही है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को स्पष्ट कर दिया कि ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है.
स्ट्रीट फूड नहीं, स्वस्थ जीवनशैली है उद्देश्य
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि हाल में जो स्वास्थ्य संबंधी सलाह जारी की गई है, वह विशेष रूप से किसी खाद्य वस्तु या विक्रेता के लिए नहीं है. यह सलाह सिर्फ कार्यालयों और कार्यस्थलों में लोगों को स्वस्थ खानपान की आदतों के लिए प्रेरित करने के मकसद से दी गई है.
मंत्रालय के अनुसार, यह पहल भारत की समृद्ध स्ट्रीट फूड संस्कृति को लक्षित नहीं करती, बल्कि इसका उद्देश्य है लोगों को ज्यादा चीनी और वसा वाले खाद्य पदार्थों के संभावित नुकसान के बारे में जागरूक करना.
There have been some media reports claiming that the Union Health Ministry has directed to issue Warning Labels on food products such as samosa, jalebi and laddoo. These media reports are misleading, incorrect, and baseless. The Union Health Ministry had separately issued an… pic.twitter.com/SG4TLjayn1
— ANI (@ANI) July 15, 2025
कार्यस्थलों पर लगाए जाएंगे जागरूकता बोर्ड
इस अभियान के तहत, कार्यालयों की लॉबी, कैंटीन, कैफेटेरिया और मीटिंग रूम्स जैसी जगहों पर शैक्षणिक बोर्ड लगाए जाएंगे. इन बोर्डों पर सरल और स्पष्ट संदेश होंगे, जो यह बताएंगे कि अधिक तेल, चीनी और वसा का सेवन कैसे हृदय रोग, मोटापा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों को जन्म देता है.
शारीरिक गतिविधियों को भी मिलेगा बढ़ावा
स्वास्थ्य मंत्रालय की इस सलाह में केवल खानपान पर ही नहीं, बल्कि शारीरिक गतिविधियों पर भी ज़ोर दिया गया है. इसमें लोगों को प्रोत्साहित किया गया है कि वे सीढ़ियों का इस्तेमाल करें, हर घंटे कुछ कदम चलें, और फल, सब्जियाँ तथा कम वसा वाले विकल्प चुनें. यह पूरा अभियान स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए लोगों को एक सरल रास्ता दिखाने की कोशिश है.
गैर-संचारी रोगों के खिलाफ राष्ट्रीय कार्यक्रम
बता दें कि यह अभियान एक नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज (NP-NCD) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. भारत में हाल के वर्षों में हृदय रोग, मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियाँ तेजी से बढ़ी हैं, जिनका एक बड़ा कारण है गलत खानपान की आदतें और अत्यधिक चीनी व तेल का सेवन.
नागपुर से होगी इस पहल की शुरुआत
इस स्वास्थ्य जागरूकता अभियान की शुरुआत नागपुर से की जा रही है. एम्स नागपुर को इस योजना के लिए पायलट साइट के रूप में चुना गया है. वहां की कैंटीन और सार्वजनिक भोजन क्षेत्रों में ऐसे बोर्ड लगाए जाएंगे, जो लोगों को सरल भाषा और आकर्षक डिजाइन के ज़रिए यह समझाएंगे कि चीनी और वसा का अधिक सेवन सेहत के लिए कितना खतरनाक हो सकता है.
संतुलित आहार के लिए सरकार की पहल
सरकार की यह पहल खानपान पर रोक लगाने के लिए नहीं, बल्कि एक सकारात्मक दिशा में कदम है, जिससे लोग अपने रोजमर्रा के फैसलों में थोड़ा बदलाव लाकर बेहतर और लंबा जीवन जी सकें. समोसे, जलेबी या लड्डू जैसे भारतीय व्यंजनों को निशाना नहीं बनाया गया है, बल्कि संतुलित मात्रा और जागरूकता के साथ उपभोग पर ज़ोर दिया गया है.


