Chandra Grahan 2025: साल का आखिरी चंद्रगहण शुरू, लोगों में भारी उत्साह
7 सितंबर 2025 को भारत में साल का आखिरी चंद्रग्रहण लग रहा है, जिसे देशभर में श्रद्धालु और वैज्ञानिकों ने उत्साहपूर्वक देख रहे हैं. सूतक काल में धार्मिक नियमों का पालन कर रहे हैं. यह घटना धार्मिक आस्था और वैज्ञानिक जिज्ञासा का संगम रही, जिसमें लोग ध्यान, प्रार्थना और अनुष्ठानों में लीन हैं.

7 सितंबर 2025 को पूरे भारत में एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना देखी जा रही है, साल का आखिरी चंद्रग्रहण. इस चंद्रग्रहण को देश के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में लाखों लोग और आकाशदर्शी बड़े उत्साह से देख रहे हैं. यह चंद्रग्रहण न केवल खगोल विज्ञान के प्रेमियों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी विशेष माना जाता है.
चंद्रग्रहण क्या है?
चंद्रग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है. इससे चंद्रमा पूरी या आंशिक रूप से धुंधला या लालिमा लिए हुए दिखाई देता है, जिसे ‘रक्तिम चंद्रमा’ भी कहा जाता है. यह घटना रात के आकाश में एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती है और इसे देखने के लिए हजारों लोग खुले आसमान के नीचे इकट्ठा होते हैं.
सूतक काल का महत्व
चंद्रग्रहण के दौरान ‘सूतक काल’ नामक समयावधि शुरू हो जाती है, जो ग्रहण के शुरू होने से पहले से ही शुरू हो जाती है और ग्रहण समाप्त होने के बाद भी जारी रहती है. इस काल में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कई नियमों का पालन किया जाता है. खासतौर पर, इस दौरान खाना पकाने और खाने से परहेज किया जाता है. कई भक्त इस समय में शुभ कार्यों से भी दूर रहते हैं और अपनी ऊर्जा प्रार्थना, जप और ध्यान में लगाते हैं. सूतक काल का उद्देश्य मन और वातावरण को शुद्ध रखना माना जाता है ताकि ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव कम से कम पड़े.
लोगों में उत्साह
देश के विभिन्न हिस्सों में इस चंद्रग्रहण को देखने के लिए भारी संख्या में लोग इकट्ठा हुए हैं. दिल्ली में भी अनेक लोग टेलीस्कोप और अन्य उपकरणों की मदद से चंद्रग्रहण की इस अद्भुत घटना का आनंद ले रहे हैं. मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे महानगरों में भी आकाशदर्शी इसे बड़ी उत्सुकता से देख रहे हैं और अपने-अपने माध्यमों से इसे रिकॉर्ड कर रहे हैं.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण और परंपराएं
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चंद्रग्रहण को समझना आकाशीय पिंडों की गतियों को जानने में मदद करता है. यह हमें सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के बीच के जटिल संबंधों को भी समझाता है. वहीं, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से इसे शुभ और विशेष माना जाता है. कई जगहों पर लोग इस अवसर पर पूजन और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, जिससे उन्हें आध्यात्मिक शांति और ऊर्जा मिलती है.
ग्रहण के दौरान सावधानियां
ग्रहण के दौरान कुछ सावधानियों का भी ध्यान रखा जाता है. सूतक काल में खाना बनाने से बचना, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को विशेष ध्यान देना और नकारात्मक विचारों से दूर रहना इस समय की मुख्य बातें हैं. हालांकि वैज्ञानिक इसे एक प्राकृतिक घटना मानते हैं, परंपरागत दृष्टिकोण से यह समय धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है.


