कांग्रेस ने ऑपरेशन सिंदूर को बताया 'सामूहिक ध्यान भटकाने वाले हथियार', भारतीय डेलिगेट्स को लेकर क्या बोले जयराम रमेश?
कांग्रेस ने केंद्र सरकार के ऑपरेशन सिंदूर के तहत विदेश भेजे गए प्रतिनिधिमंडलों को दिखावटी और ध्यान भटकाने की रणनीति करार दिया. जयराम रमेश ने सरकार पर आरोप लगाया कि यह सब संसद सत्र बुलाने से बचने और असली मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर भी सवाल उठाए, और सरकार से स्पष्टता की मांग की. कांग्रेस का मानना है कि यह कदम केवल राजनीतिक दिखावा है, न कि वास्तविक समाधान.

कांग्रेस ने गुरुवार को केंद्र सरकार के उस कदम पर तीखा हमला किया, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर के तहत प्रतिनिधिमंडल विभिन्न देशों में भेजे गए थे. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इसे एक "निरर्थक दिखावटी कवायद" और सरकार का "सामूहिक ध्यान भटकाने का हथियार" करार दिया. उन्होंने कहा कि यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद सत्र बुलाने से बचने और जनता का ध्यान अन्य मुद्दों से हटाने के लिए किया जा रहा है.
रमेश ने आरोप लगाया, "प्रधानमंत्री लगातार संसद सत्र बुलाने से इंकार कर रहे हैं, जबकि दूसरी ओर 50 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल विभिन्न देशों में भेजा जा रहा है. यह सब दिखावा है, और इससे किसी भी समस्या का समाधान नहीं होगा." उनका कहना था कि सरकार की यह कवायद पूरी तरह से राजनीतिक और मीडिया का ध्यान भटकाने के उद्देश्य से की जा रही है.
कांग्रेस का सामूहिक विनाश के हथियारों पर बयान
जयराम रमेश ने बयान दिया कि भारत और पाकिस्तान दोनों के पास सामूहिक विनाश के हथियार हैं, लेकिन भारत के पास एक और वर्ग का सामूहिक विनाश का हथियार है जो पाकिस्तान के पास नहीं है. उनका आरोप था कि ऑपरेशन सिंदूर और प्रतिनिधिमंडल भेजने की कवायद "सामूहिक विनाश के हथियारों की" दिखावटी प्रक्रिया का हिस्सा है. उनका कहना था कि पाकिस्तान को लेकर भारत की नीति को समझने की बजाय सरकार केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि को चमकाने की कोशिश कर रही है.
भारत ने चलाया ऑपरेशन सिंदूर
भारत ने 7 मई को पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर ऑपरेशन सिंदूर के तहत सटीक हमले किए थे. आपको बता दें कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 निर्दोष पर्टयक मारे गए थे. भारत ने पश्चिमी सीमा पर भी कई हमलों और जवाबी हमलों की कार्रवाई की, जिसमें भारतीय लड़ाकू विमान, मिसाइल, सशस्त्र ड्रोन, और तोपखाने की भी कार्रवाई शामिल थी. नौ-दस मई की रात को भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के 13 हवाई ठिकानों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया. चार दिन की लड़ाई के बाद 10 मई को दोनों देशों के बीच एक युद्ध विराम समझौता हुआ.
ट्रंप का बयान और भारत का रुख
10 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि उनकी मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमति बनी है. इसके बाद से ट्रंप और उनके प्रशासन ने यह दावा किया कि उन्होंने दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने में मदद की है. हालांकि, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस पर स्पष्ट किया कि यह समझौता अमेरिका की मध्यस्थता से नहीं, बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे बातचीत का परिणाम था.
पहलगाम हमले से संबंधित सवाल
जयराम रमेश ने पहलगाम आतंकवादी हमले को लेकर भी सवाल उठाए. उन्होंने कुछ समाचार रिपोर्टों का हवाला दिया, जिनमें दावा किया गया था कि पहलगाम हमले में शामिल आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में पहले हुए तीन अन्य आतंकी हमलों में भी शामिल थे. उन्होंने कहा, "अगर यह सच है कि ये आतंकवादी पहले के तीन हमलों में भी शामिल थे, तो यह बहुत गंभीर सवाल है. जब सांसद विभिन्न देशों में घूम रहे हैं, तब आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में आज़ाद घूम रहे हैं."
सरकार से स्पष्टीकरण की मांग
रमेश ने कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या पहलगाम हमले में शामिल आतंकवादी पहले हुए अन्य हमलों से जुड़े हुए थे या नहीं. उन्होंने कहा कि यह स्थिति जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की गंभीर स्थिति को दर्शाती है, और सरकार को इस पर स्पष्टता प्रदान करनी चाहिए.
ध्यान भटकाने की साजिश
कांग्रेस के नेताओं का आरोप है कि सरकार इन सब मुद्दों को छिपाने के लिए केवल दिखावे के कदम उठा रही है. संसद सत्र की लगातार अनदेखी और विदेशों में प्रतिनिधिमंडल भेजने को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर सामूहिक ध्यान भटकाने का आरोप लगाया है, जबकि असल मुद्दों पर कोई गंभीर कदम नहीं उठाया जा रहा है.


