महज 3 महीने बाद ही चीन को दी क्लीन चिट...PM मोदी के चीन यात्रा पर भड़के कांग्रेस नेता बोले- गलवान के शहीदों का हुआ अपमान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा के दौरान कांग्रेस ने उन पर निशाना साधा, यह आरोप लगाते हुए कि उन्होंने गलवान में शहीद जवानों को भुला दिया. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन-पाकिस्तान की मिलीभगत और MSMEs पर चीनी आयात के प्रभाव पर सवाल उठाए. साथ ही चीन की जल परियोजना पर मोदी सरकार की चुप्पी पर भी आलोचना की गई.

Modi China visit criticism : PM मोदी इन दिनों (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चीन के दौरे पर हैं, जहां वे सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं. इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय मुलाकात भी हुई, जिसे लेकर विपक्षी दलों ने गंभीर आपत्तियां दर्ज की हैं. कांग्रेस पार्टी ने पीएम मोदी की इस यात्रा को गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के बलिदान की अनदेखी बताया है. कांग्रेस का कहना है कि जिन सैनिकों ने 2020 में गलवान में चीनी आक्रामकता के खिलाफ अपनी जान गंवाई, उनके बलिदान को भूलकर प्रधानमंत्री ने चीन के राष्ट्रपति से मुस्कराते हुए हाथ मिलाया.
आज प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात का मूल्यांकन निम्नलिखित संदर्भों में किया जाना चाहिए -
जून 2020 में गलवान घाटी में चीनी आक्रामकता के चलते हमारे 20 सबसे बहादुर जवानों ने अपनी जान की क़ुर्बानी दी। इसके बावजूद, 19 जून 2020 को प्रधानमंत्री… pic.twitter.com/o9yGGcGllY— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 31, 2025
महज तीन महीने बाद ही चीन को दी क्लीन चिट
आपको बता दें कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पीएम मोदी की इस यात्रा को लेकर तीखा हमला किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने गलवान की घटना के महज तीन दिन बाद ही चीन को क्लीन चिट दे दी थी. जयराम रमेश ने यह भी कहा कि सेना प्रमुख ने लद्दाख में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पूर्व की स्थिति बहाल करने की मांग की थी, लेकिन सरकार इसे हासिल करने में विफल रही है. इसके बावजूद सरकार ने चीन से सुलह की राह पर चलते हुए उसे राजकीय दौरों से सम्मानित किया, जिससे चीन की आक्रामकता को वैधता मिल गई.
ऑपरेशन सिंदूर और चीन-पाकिस्तान गठजोड़ पर सवाल
जयराम रमेश ने यह भी दावा किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने पाकिस्तान का खुलकर साथ दिया और उसे भारत की सैन्य गतिविधियों की लाइव जानकारी मुहैया कराई. इसके बावजूद सरकार की प्रतिक्रिया न केवल कमजोर रही, बल्कि इसे नियति मानकर स्वीकार कर लिया गया. रमेश ने इस घटनाक्रम को भारत की विदेश नीति में कमजोरी का प्रतीक बताया.
चीन की जल परियोजना और MSME पर असर
इसके अलावा, कांग्रेस ने चीन द्वारा यारलुंग त्संगपो नदी पर बनाए जा रहे विशाल जलविद्युत परियोजना को लेकर भी चिंता जताई है. कांग्रेस का कहना है कि इस परियोजना से भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन केंद्र सरकार इस पर चुप है. साथ ही, चीनी सामान की अनियंत्रित डंपिंग भारतीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को नुकसान पहुंचा रही है, जिस पर सरकार कोई सख्त कदम नहीं उठा रही.
विपक्ष का सवाल: क्या यही न्यू नॉर्मल है?
कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि क्या चीन की आक्रामकता और भारत सरकार की नरमी को अब ‘न्यू नॉर्मल’ के रूप में स्वीकार कर लिया गया है? क्या देश की सुरक्षा और संप्रभुता को विदेश नीति के नाम पर दांव पर लगाया जा रहा है? विपक्ष ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्पष्ट और जवाबदेह रुख अपनाने की मांग की है.


