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कैसे काम करता है ब्लैक बॉक्स, एयर इंडिया विमान दुर्घटना रिपोर्ट में क्या पाया गया?

एयर इंडिया की AI171 फ्लाइट टेकऑफ के तुरंत बाद इंजन विफलता के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गई. प्रारंभिक जांच से पता चला कि ईंधन नियंत्रण स्विच बंद हो जाने से दोनों इंजन बंद हो गए. ब्लैक बॉक्स रिकॉर्डिंग ने पायलटों की आपातकालीन बातचीत उजागर की. हादसे की जांच अब ब्लैक बॉक्स डेटा के विस्तृत विश्लेषण पर निर्भर है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

12 जून को एयर इंडिया की अहमदाबाद से लंदन गैटविक के लिए उड़ान भरने वाली फ्लाइट AI171 एक गंभीर हादसे का शिकार हो गई. उड़ान भरते ही कुछ ही सेकंड के भीतर यह विमान एक मेडिकल हॉस्टल की इमारत से टकरा गया. शनिवार को विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की ओर से जारी की गई प्रारंभिक रिपोर्ट में इस त्रासदी के तकनीकी और मानवीय कारणों का विवरण सामने आया है.

ईंधन नियंत्रण में गड़बड़ी से हुई इंजन विफलता

AAIB की रिपोर्ट के अनुसार, बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर जैसे आधुनिक विमान के दोनों इंजन उड़ान भरते ही शक्ति खो बैठे. इसका कारण था – विमान के ईंधन नियंत्रण स्विच का बंद हो जाना. इससे इंजन बंद हो गए और विमान नियंत्रण से बाहर हो गया.

ब्लैक बॉक्स से मिले पायलट बातचीत के संकेत

ब्लैक बॉक्स से प्राप्त कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर के अनुसार, पायलटों के बीच उड़ान के अंतिम क्षणों में तीखी बातचीत हुई. एक पायलट ने कहा, “तुमने ईंधन क्यों बंद कर दिया?”, जिस पर दूसरे पायलट का जवाब था, “मैंने ऐसा नहीं किया.” यह संवाद दर्शाता है कि तकनीकी खामी या मानवीय त्रुटि ने संकट को जन्म दिया.

ब्लैक बॉक्स: हादसे की सच्चाई का गवाह

ब्लैक बॉक्स, जिसमें कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर शामिल होते हैं, विमान दुर्घटना के बाद सच्चाई जानने का मुख्य उपकरण होता है. ये रिकॉर्डर विमान के पिछले हिस्से में होते हैं, जिसे सबसे सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है. इनका रंग नारंगी होता है ताकि मलबे में इन्हें आसानी से खोजा जा सके.

ब्लैक बॉक्स का विकास

1930 के दशक में फ्रांसीसी इंजीनियर फ्रांस्वा हुसेनोट ने फ्लाइट डाटा को रिकॉर्ड करने की तकनीक विकसित की थी, जबकि 1950 में ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक डेविड वॉरेन ने कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर का विचार सामने रखा. इन दोनों की खोजों ने आधुनिक विमान सुरक्षा प्रणाली की नींव रखी.

रिकॉर्डर कैसे काम करते हैं?

कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR): यह पायलट की आवाज़, रेडियो संपर्क, इंजन शोर, और चेतावनी अलार्म जैसी ध्वनियाँ रिकॉर्ड करता है. इससे जांचकर्ता यह जान सकते हैं कि इंजन कब बंद हुआ या सिस्टम ने क्या संकेत दिए.

फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR): यह ऊंचाई, रफ्तार, दिशा, फ्लैप की स्थिति और अलार्म जैसे 1,000 से अधिक संकेतकों को रिकॉर्ड करता है. इस डेटा से एनिमेटेड वीडियो बनाकर दुर्घटना का विश्लेषण किया जाता है.

'ब्लैक बॉक्स' नाम क्यों पड़ा?

हालांकि ये रिकॉर्डर नारंगी रंग के होते हैं, लेकिन 'ब्लैक बॉक्स' नाम इसलिए पड़ा क्योंकि पुराने समय में उपयोग की गई फिल्में अंधेरे डिब्बों में चलती थीं. कुछ लोग यह भी मानते हैं कि जलने पर ये काले हो जाते हैं, जिससे यह नाम प्रचलन में आया.

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12 July 2025, 06:06 PM IST

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