score Card

परमाणु ऊर्जा का सरताज बनेगा भारत! PM मोदी देखेंगे फ्रांस की न्यूक्लियर साइट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय फ्रांस दौरे पर हैं और आज वह इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) साइट का दौरा करेंगे. भारत न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में वैश्विक नेता बनने के लिए 2 बिलियन डॉलर का निवेश करने का वादा कर चुका है. ITER परियोजना परमाणु ऊर्जा के भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली है, और भारत इस परियोजना का अहम साझेदार है.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय फ्रांस के दौरे पर हैं, जहां उनका प्रमुख कार्यक्रम इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) साइट का दौरा है. यह परियोजना परमाणु ऊर्जा के भविष्य की दिशा को तय करने में अहम भूमिका निभा रही है, और भारत इस प्रोजेक्ट का अहम साझेदार है. ITER रिएक्टर में भारत द्वारा निर्मित क्रायोस्टेट भी स्थापित किया गया है, जो भारतीय तकनीकी कौशल की शानदार मिसाल है. प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे का उद्देश्य न केवल भारत के परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में योगदान को बढ़ाना है, बल्कि भारत को एक वैश्विक परमाणु ऊर्जा शक्ति के रूप में स्थापित करना भी है.

भारत का परमाणु ऊर्जा में वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ने का यह रास्ता न सिर्फ वैज्ञानिक विकास का है, बल्कि यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीति को भी मजबूती देगा. आइए जानते हैं कि भारत को इस दिशा में कितना निवेश और समय चाहिए होगा, और इससे देश को किस प्रकार का लाभ हो सकता है.

भारत का न्यूक्लियर ऊर्जा में निवेश

भारत ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी महत्वाकांक्षाओं को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया है. भारत ने 2 बिलियन डॉलर (करीब 1,73,02,26,53,800 रुपये) का निवेश करने का वादा किया है ताकि परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा सके. इस निवेश से न केवल ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि कानूनी बदलाव भी किए जाएंगे ताकि इस क्षेत्र में निवेश आकर्षित हो सके. इस दिशा में भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले ही कई घोषणाएं की हैं, जिनसे यह स्पष्ट होता है कि सरकार इस क्षेत्र में वृद्धि के लिए तैयार है.

न्यूक्लियर ऊर्जा के फायदे और भारत का लक्ष्य

परमाणु ऊर्जा से बिजली उत्पादन एक स्थिर और ग्रीनहाउस गैसों से मुक्त तरीका है. इस ऊर्जा स्रोत से कार्बन उत्सर्जन नहीं होता, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. भारत का लक्ष्य है कि 2047 तक वह अपनी परमाणु ऊर्जा क्षमता को कम से कम 100 गीगावाट तक बढ़ाए, जिससे लगभग 6 करोड़ भारतीय घरों को एक साल तक बिजली मिल सकेगी. इस योजना से न केवल देश की ऊर्जा जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि यह क्लाइमेट चेंज से निपटने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम होगा.

न्यूक्लियर ऊर्जा की आवश्यकता

ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में कोयला, तेल और गैस जैसे प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन को छोड़कर न्यूक्लियर ऊर्जा जैसे स्रोतों का इस्तेमाल बढ़ाना आवश्यक होगा. खासकर, ऐसे देशों के लिए जो ऊर्जा की उच्च मांग से जूझ रहे हैं और जहां सूरज और हवा जैसी स्रोत हमेशा उपलब्ध नहीं होते. हालांकि, भारत के परमाणु क्षेत्र की शुरुआत अभी छोटी है और यहां इस उद्योग को लेकर लोगों में संशय और नकारात्मक धारणा भी है. इस धारणा को बदलने के लिए सरकार परमाणु दायित्व कानून में बदलाव करने जा रही है.

छोटे रिएक्टरों में निवेश

भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को विकसित करने के लिए अमेरिका के साथ सहयोग महत्वपूर्ण हो सकता है. अमेरिका में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र अत्यधिक विकसित है और वहां छोटे और सस्ते परमाणु रिएक्टरों पर काम हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगली यात्रा अमेरिका होगी, जहां वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे और परमाणु ऊर्जा पर बातचीत करेंगे. भारत भी छोटे रिएक्टरों में निवेश करने की योजना बना रहा है, क्योंकि ये रिएक्टर सस्ते होते हैं और जल्दी बनते हैं, हालांकि इनमें कम बिजली उत्पादन होता है.

भारत की चुनौतियाँ

भारत ने पिछले दशक में अपनी परमाणु ऊर्जा क्षमता को दोगुना करने में सफलता प्राप्त की है, लेकिन अभी भी भारत में केवल 3% बिजली परमाणु ऊर्जा से उत्पन्न होती है. इस स्थिति में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि स्थानीय लोगों को यह समझाया जाए कि परमाणु संयंत्र उनके लिए खतरनाक नहीं हैं. जैसे कि कुडनकुलम और महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन हुए हैं, जहां लोग सुरक्षा और पर्यावरणीय चिंताओं को लेकर विरोध कर रहे हैं. 

calender
12 February 2025, 11:51 AM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag