score Card

पूर्वोत्तर बना आपदा का केंद्र: 50 मौतें, खौफ और मलबे में दबा जनजीवन

पूर्वोत्तर भारत में प्राकृतिक आपदाएं साल दर साल आती रहती हैं। असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर समेत कई राज्यों में भारी बारिश के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है।

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

नई दिल्ली. पूर्वोत्तर भारत में साल दर साल प्राकृतिक आपदाएं जारी हैं। असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर समेत कई राज्यों में भारी बारिश के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। गुरुवार को असम में थोड़ा सुधार हुआ, लेकिन स्थिति अभी भी सामान्य से कोसों दूर है। अकेले असम और अरुणाचल में अब तक 50 से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 1500 से ज़्यादा गांव बुरी तरह प्रभावित हैं।

असम में स्थिति गंभीर, काजीरंगा जलमग्न

असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) के अनुसार, राज्य में मरने वालों की संख्या अब 21 तक पहुँच गई है, जिसमें बच्चों और बुज़ुर्गों की संख्या भी शामिल है। राज्य के 12 जिलों में बाढ़ ने व्यापक तबाही मचाई है और करीब 5.6 लाख से ज़्यादा लोग इससे प्रभावित हुए हैं। इनमें से हज़ारों लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है, जहां खाने-पीने और दवाओं की सीमित व्यवस्था है। सबसे ज़्यादा प्रभावित श्रीभूमि ज़िला है, जहाँ 215,000 लोग सीधे तौर पर बाढ़ की चपेट में आए हैं। ग्रामीण इलाकों में सड़क संपर्क पूरी तरह से कट गया है, जिससे राहत पहुंचाना और भी मुश्किल हो रहा है।

काजीरंगा डूबा, वन्यजीव संकट में

असम का गौरव माने जाने वाला काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भी जलमग्न हो गया है। यहां रहने वाले गैंडे, हाथी और हिरण जैसे दुर्लभ वन्यजीवों के जीवन पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। कई जानवर ऊंचे स्थानों की ओर भागते देखे गए हैं, जबकि कुछ मारे भी गए हैं। निचले इलाकों में जलभराव के कारण रेल सेवाएं पूरी तरह से बाधित हो चुकी हैं। कई छोटी दूरी की ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं और लंबी दूरी की ट्रेनों का संचालन या तो रोका गया है या सीमित कर दिया गया है, जिससे हज़ारों यात्री फंसे हुए हैं।

अरुणाचल प्रदेश में भूस्खलन से तबाही

अरुणाचल प्रदेश की स्थिति भी बेहद चिंताजनक बनी हुई है। राज्य के 24 जिलों में 33,000 से ज़्यादा लोग बाढ़ और भूस्खलन की दोहरी मार झेल रहे हैं। कुल 481 मकान पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं और 432 मवेशी मारे गए हैं। कई जगहों पर खेत और फसलें भी तबाह हो गई हैं, जिससे ग्रामीणों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। पिछले 24 घंटों में राज्य के अलग-अलग हिस्सों में अचानक हुए भूस्खलन से कम से कम 9 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा अन्य आपदाजनित घटनाओं में 3 और लोगों की जान चली गई है। सड़कों पर मलबा जमा होने से परिवहन पूरी तरह ठप है और कई गांवों का संपर्क जिला मुख्यालयों से कट गया है।

सेना ने संभाला मोर्चा; 'ऑपरेशन जलराहत' जारी

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने सेना और अर्द्धसैनिक बलों को राहत अभियान में लगा दिया है। भारतीय सेना और असम राइफल्स ने 'ऑपरेशन जलराहत' नाम से एक व्यापक राहत और बचाव अभियान शुरू किया है। इस ऑपरेशन में सैकड़ों सैनिक दिन-रात लगे हुए हैं, जो बचाव नौकाओं, ट्रकों और हेलीकॉप्टरों के माध्यम से फंसे हुए लोगों तक पहुंच बना रहे हैं। अब तक हज़ारों लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया है, लेकिन दुर्गम और दूरदराज के इलाकों में बचाव कार्य अभी भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। खराब मौसम, टूटी सड़कों और मोबाइल नेटवर्क की अनुपलब्धता ने राहत कार्यों को और जटिल बना दिया है। प्रशासन ने लोगों से धैर्य बनाए रखने और अफवाहों से बचने की अपील की है।

क्या यह जलवायु संकट का संकेत है?

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इस तरह की लगातार आपदाएं सिर्फ मौसमी लहरें नहीं हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन की सीधी चेतावनी हैं। असम, अरुणाचल और मिजोरम में पिछले कुछ सालों में बाढ़ और भूस्खलन की तीव्रता बढ़ी है। ब्रह्मपुत्र जैसी नदियां लगातार उफान पर हैं, जो शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों के लिए खतरनाक संकेत है।

calender
06 June 2025, 12:43 PM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag