भारत दौरे पर तालिबानी सरकार के विदेश मंत्री, जयशंकर से मुलाकात के पहले बड़ी मांग, क्या भारत मानेगा अफगानिस्तान की शर्त?
Afghanistan Taliban Government: अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार के विदेश मंत्री भारत के दौरे पर हैं जहां उनकी मुलाकात विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से होने वाली है. इस अहम मीटिंग से पहले तालिबान ने भारत के सामने एक बड़ी मांग रखी है - वह चाहता है कि भारत उनकी सरकार को आधिकारिक मान्यता दे. यह दौरा और मांग दोनों देशों के रिश्तों में नया मोड़ ला सकती है.

Afghanistan Taliban Government: अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी इन दिनों भारत यात्रा पर हैं और यह दौरा दोनों देशों के बीच कूटनीतिक समीकरणों में एक नए अध्याय की शुरुआत माना जा रहा है. मुत्ताकी शुक्रवार को विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से मुलाकात करेंगे लेकिन इससे पहले ही तालिबान ने भारत से खुलकर अपनी एक बड़ी मांग सामने रख दी है. तालिबान चाहता है कि भारत उसे औपचारिक रूप से मान्यता दे.
हालांकि भारत ने अब तक तालिबानी शासन को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है लेकिन काबुल में विकास परियोजनाएं और मानवीय सहायता के जरिए भारत ने संबंधों को पूरी तरह समाप्त नहीं किया है. तालिबान इस दौरे को एक हाई-लेवल डिप्लोमैटिक एंगेजमेंट के रूप में देख रहा है जो भविष्य में द्विपक्षीय सहयोग का आधार बन सकता है.
क्या है तालिबान की मांग?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार तालिबान के कतर स्थित राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख सुहैल शाहीन ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह दौरा दोनों देशों के रिश्तों में एक नए चरण की शुरुआत है. अब समय आ गया है कि भारत इस्लामिक अमीरात अफगानिस्तान (IEA) को मान्यता दे ताकि विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग का रास्ता खोला जा सके. तालिबान का मानना है कि भारत जैसे क्षेत्रीय शक्ति से औपचारिक मान्यता मिलने से उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता मिलेगी और विकास के कई रास्ते खुल सकते हैं.
भारत का रुख
भारत ने तालिबानी सरकार को अब तक औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी है और यह विषय उसके लिए एक नाजुक मामला है. भारत का साफ कहना है कि उसकी रणनीति अंतरराष्ट्रीय समुदाय के रुख के अनुरूप रहेगी.
विदेश मंत्रालय का रुख यही रहा है कि अफगानिस्तान एक संप्रभु, लोकतांत्रिक और समावेशी राष्ट्र बने, जहां महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा हो. इसके साथ ही भारत यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि अफगान धरती का इस्तेमाल किसी भी स्थिति में भारत विरोधी गतिविधियों के लिए न हो. भले ही मान्यता न दी गई हो, लेकिन भारत ने अफगानिस्तान की मदद करना नहीं छोड़ा है. वर्तमान में भारत की विकास परियोजनाएं अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में फैली हुई हैं. इसके अलावा नई परियोजनाओं और मानवीय सहायता की भी घोषणा की गई है. भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि अफगानिस्तान की जनता के साथ उसका संबंध ऐतिहासिक, मानवीय और रणनीतिक है, जिसे वह आगे भी निभाता रहेगा.
संयुक्त राष्ट्र से मिली यात्रा की अनुमति
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मुत्ताकी पर लगे यात्रा प्रतिबंध को अस्थायी रूप से हटाया, जिससे वह भारत यात्रा कर सकें. यह खुद में इस बात का संकेत है कि भारत इस संवाद को लेकर गंभीर है और तालिबान को पूरी तरह से अलग-थलग करने की नीति नहीं अपना रहा. मुत्ताकी का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब अफगानिस्तान में पाकिस्तान ने हाल ही में हवाई हमले किए हैं, जिससे क्षेत्रीय तनाव भी चरम पर है.
आगरा और देवबंद भी जाएंगे मुत्ताकी
भारत यात्रा के दौरान आमिर खान मुत्ताकी न सिर्फ नई दिल्ली में आधिकारिक मुलाकात करेंगे बल्कि उनका आगरा और देवबंद जाने का कार्यक्रम भी है. यह दौरा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.


