वक्फ बोर्ड में क्रांतिकारी बदलाव: गैर-मुस्लिम सीईओ को मंजूरी
वक्फ पैनल के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने कहा कि सोमवार को पारित संशोधनों से एक बेहतर विधेयक बनेगा, जो गरीब और पसमांदा मुसलमानों को लाभ पहुंचाने के सरकार के उद्देश्य को पूरा करेगा. उन्होंने विपक्ष के द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी 44 संशोधनों का नाम लेकर पढ़ा और उनसे पूछा कि क्या वे अपना संशोधन पेश करना चाहते हैं

नई दिल्ली. वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की जांच कर रही संसद की संयुक्त समिति ने सोमवार को 14 संशोधनों को मंजूरी दी और 44 संशोधनों को खारिज कर दिया. जानकारी के अनुसार, स्वीकृत 14 संशोधन सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) और उसके सहयोगी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सदस्यों द्वारा प्रस्तुत किए गए थे, जबकि खारिज किए गए 44 संशोधन विपक्ष की ओर से थे.
संशोधनों से विधेयक में होगा सुधार
समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने सोमवार को बैठक के बाद कहा कि इन संशोधनों से विधेयक में सुधार होगा और सरकार का उद्देश्य गरीब तथा पसमांदा मुसलमानों को लाभ पहुंचाना होगा. पाल ने यह भी कहा कि हर एक संशोधन पर गहन विचार-विमर्श हुआ था. उन्होंने विपक्ष के द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी 44 संशोधनों का नाम लेकर पढ़ा और उनसे पूछा कि क्या वे अपना संशोधन पेश करना चाहते हैं. जब इन संशोधनों के खिलाफ 16 सदस्य और पक्ष में केवल 10 सदस्य थे, तो ये संशोधन स्वीकृत नहीं हो सके. पाल के अनुसार, यह प्रक्रिया पूरी तरह से लोकतांत्रिक थी और यह स्वाभाविक था कि जिन संशोधनों को कम समर्थन मिला, उन्हें खारिज किया गया.
एक महत्वपूर्ण संशोधन यह था...
उन्होंने आगे बताया कि एक महत्वपूर्ण संशोधन यह था कि पहले वक्फ संपत्तियों से संबंधित कलेक्टर को प्राधिकृत किया गया था, लेकिन अब राज्य सरकार द्वारा नियुक्त आयुक्त या सचिव को यह जिम्मेदारी दी जाएगी. इसके अतिरिक्त, 8 अगस्त, 2024 को लोकसभा में पेश किए गए प्रस्तावित विधेयक की धारा 3सी(2) में यह प्रावधान था कि वक्फ संपत्ति सरकारी है या नहीं, इसका निर्णय कलेक्टर द्वारा किया जाएगा. इसका मतलब यह था कि विवाद की स्थिति में कलेक्टर, न कि वक्फ ट्रिब्यूनल, यह फैसला करेगा.
गैर-मुस्लिम सीईओ की नियुक्ति
एक अन्य संशोधन वक्फ बोर्ड की संरचना से संबंधित था. पहले इसमें दो सदस्य होते थे, लेकिन अब इसमें तीन सदस्य होने की सिफारिश की गई, जिसमें एक इस्लामिक विद्वान भी शामिल होगा. विपक्ष ने इस प्रस्ताव का विरोध किया. साथ ही, वक्फ संपत्तियों के पोर्टल पर प्रविष्टि की अवधि छह महीने से बढ़ाने पर भी चर्चा हुई. इस विधेयक में वक्फ बोर्डों की संरचना में बदलाव का भी प्रस्ताव था, जिसमें गैर-मुस्लिम सीईओ की नियुक्ति और राज्य वक्फ बोर्डों में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का अधिकार राज्य सरकार को देने का प्रस्ताव था.


