कौन हैं माधवी लता? जिन्होंने चिनाब रेल ब्रिज में निभाई अहम भूमिका
चिनाब नदी पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल भारतीय इंजीनियरिंग की अद्भुत मिसाल है. 18 वर्षों में बना यह पुल जम्मू-कश्मीर को रेलवे से जोड़ता है. इस ऐतिहासिक निर्माण में डॉ. माधवी लता का अहम योगदान रहा, जिन्होंने भूगर्भीय चुनौतियों के बीच ‘Design as you go’ रणनीति से परियोजना को सफल बनाया.

जम्मू-कश्मीर की चिनाब नदी पर बना चिनाब रेलवे पुल आज भारतीय इंजीनियरिंग का प्रतीक बन चुका है. 359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह पुल दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल है, जिसे देखकर पूरी दुनिया भारतीय तकनीकी कौशल की सराहना कर रही है. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर की यात्रा के दौरान इस अद्भुत परियोजना का उद्घाटन किया. इसके साथ ही उन्होंने अंजी पुल का लोकार्पण किया और कुल 46,000 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं की नींव भी रखी.
18 सालों की मेहनत से बना असाधारण स्ट्रक्चर
चिनाब पुल का निर्माण 18 वर्षों में पूरा हुआ और यह न सिर्फ इंजीनियरिंग की दृष्टि से एक चमत्कार है, बल्कि जम्मू-कश्मीर को भारतीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ने वाला एक अहम कड़ी भी है. यह उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेलवे लिंक (USBRL) का हिस्सा है, जो देश की एक सदी पुरानी कनेक्टिविटी की कल्पना को साकार करता है.
डॉ. माधवी लता का अतुलनीय योगदान
इस पुल के निर्माण में कई इंजीनियरों और विशेषज्ञों ने काम किया, जिनमें से एक प्रमुख नाम है डॉ. जी. माधवी लता, जो भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC), बेंगलुरु में प्रोफेसर हैं. उन्होंने वर्ष 2005 से लेकर 17 वर्षों तक इस परियोजना में योगदान दिया. अपनी हालिया पत्रिका में उन्होंने बताया कि इस परियोजना की जटिलता और भूगर्भीय स्थितियां किस हद तक चुनौतीपूर्ण थीं.
चुनौतियां और ‘डिज़ाइन ऐज यू गो’ दृष्टिकोण
डॉ. लता ने बताया कि पुल की ऊंचाई, विषम चट्टानें, जलवायु स्थितियां, तेज़ हवाएं और भूकंपीय संवेदनशीलता इस प्रोजेक्ट को जटिल बनाते थे. इन सबके बीच उन्होंने और उनकी टीम ने एक लचीला तरीका अपनाया जिसे ‘Design as you go’ कहा गया. इसका अर्थ था कि निर्माण के दौरान ही वास्तविक समय की समस्याओं के अनुसार डिज़ाइन में बदलाव करना. उन्होंने लिखा कि यदि पारंपरिक ‘कठोर डिजाइन’ दृष्टिकोण अपनाया गया होता, तो यह परियोजना शायद अधर में लटक जाती.
भूवैज्ञानिक समस्याएं और समाधान
निर्माण के दौरान इंजीनियरों को कई अप्रत्याशित भूवैज्ञानिक स्थितियों का सामना करना पड़ा जैसे टूटे हुए चट्टानी ढांचे और छिपी हुई गुफाएं. इन समस्याओं के समाधान के लिए डॉ. लता ने रॉक एंकरिंग तकनीक का उपयोग किया. यह तकनीक विशेष रूप से खंडित या अस्थिर चट्टानों में स्ट्रक्चर की स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक होती है.
डॉ. माधवी लता: एक प्रेरणादायक शख्सियत
डॉ. जी. माधवी लता न केवल एक सिविल इंजीनियर हैं, बल्कि आईआईएससी में स्थायी प्रौद्योगिकी केंद्र की अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने JNTU से B.Tech, NIT वारंगल से M.Tech और IIT मद्रास से PhD की डिग्री हासिल की है. उनके योगदान ने चेनाब पुल को केवल एक निर्माण परियोजना नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बना दिया.


