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हिमाचल में दलाई लामा की बैठक से चीन में खलबली, उत्तराधिकारी को लेकर बढ़ी हलचल

हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में चल रही तीन दिवसीय बैठक ने चीन की चिंता बढ़ा दी है. 14वें दलाई लामा के जन्मदिन से पहले हो रही इस गोपनीय बैठक में दुनियाभर के 100 से ज्यादा बौद्ध धर्मगुरु हिस्सा ले रहे हैं. माना जा रहा है कि इस बैठक में दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर बड़ा फैसला हो सकता है, जिससे चीन की बेचैनी साफ नजर आ रही है.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

धर्मशाला में हो रही एक अहम बैठक ने चीन की चिंता बढ़ा दी है. ये बैठक 14वें दलाई लामा के जन्मदिन से पहले 3 दिनों तक चलने वाली है, जिसमें दुनियाभर के 100 से ज्यादा बौद्ध धर्मगुरु हिस्सा ले रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, इस गोपनीय बैठक में दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर भी चर्चा हो सकती है. चीन को इसी बिंदु पर गहरी आपत्ति है, क्योंकि बीजिंग खुद उत्तराधिकारी तय करने की मंशा जता चुका है.

यह बैठक ऐसे वक्त पर हो रही है जब चीन लगातार तिब्बत को अपने हिस्से का क्षेत्र बताने की जिद पर अड़ा है. दलाई लामा की ओर से अगर भारत या किसी अन्य देश में नए उत्तराधिकारी की घोषणा होती है तो यह चीन के लिए सीधा कूटनीतिक और आध्यात्मिक झटका होगा.

दलाई लामा का पद क्यों है इतना खास?

दलाई लामा तिब्बती बौद्ध परंपरा के सबसे उच्च पदों में से एक है, जिसे ‘लिविंग बुद्धा’ यानी जीवित बुद्ध भी कहा जाता है. इस पद की शुरुआत 11वीं सदी में हुई थी. दलाई लामा न केवल धार्मिक नेता होते हैं बल्कि निर्वासित तिब्बती सरकार के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रतिनिधि भी हैं.

13वें दलाई लामा ने कभी तिब्बत से चीनी सेना को खदेड़कर वहां शासन किया था, लेकिन 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो के कार्यकाल में चीन ने 1960 में तिब्बत पर सैन्य कब्जा कर लिया, जिसके बाद दलाई लामा को भारत आकर धर्मशाला में निर्वासित सरकार बनानी पड़ी.

क्यों हो रही है धर्मशाला में ये अहम बैठक?

धर्मशाला में हो रही यह बैठक 2019 के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में बौद्ध धर्मगुरुओं को एकजुट कर रही है. इसमें दलाई लामा के उत्तराधिकारी की खोज को लेकर चर्चाएं हो रही हैं. सूत्रों के अनुसार, 6 जुलाई को उनके जन्मदिन के मौके पर इस संबंध में बड़ा ऐलान भी हो सकता है. बैठक को बेहद गोपनीय रखा गया है ताकि चीन की निगाहों से बचा जा सके. दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर हर फैसला सिर्फ तिब्बती बौद्ध समुदाय की परंपराओं पर आधारित होता है, और यही बात चीन को असहज कर रही है.

उत्तराधिकारी चयन को लेकर क्यों हुआ विवाद?

दलाई लामा की परंपरा के अनुसार, उनकी मृत्यु के बाद एक ऐसे बच्चे की तलाश की जाती है, जिसमें पिछले दलाई लामा की आत्मा का संचार माना जाता है. यह खोज अक्सर तिब्बत में होती थी, लेकिन इस बार भारत या किसी अन्य देश से बच्चे को चुनने की संभावना जताई जा रही है, जो परंपरा के लिहाज से बड़ा बदलाव होगा.

चीन इस प्रक्रिया को मान्यता नहीं देता. उसका कहना है कि दलाई लामा की नियुक्ति उसके अधिकार क्षेत्र में आती है क्योंकि तिब्बत चीन का हिस्सा है. चीन ने यह भी कहा है कि अगर तिब्बती लोग खुद को चीन का हिस्सा मानते हैं, तभी उनसे बातचीत हो सकती है.

चीन क्यों है घबराया हुआ?

चीन इस पूरी प्रक्रिया को अपने नियंत्रण में रखना चाहता है ताकि तिब्बत में उसका प्रभुत्व बना रहे. अगर भारत में नया दलाई लामा चुना जाता है, तो तिब्बत में उसका आध्यात्मिक प्रभाव चीन के दखल को कमजोर कर सकता है. भारत में हो रही बैठक और उसमें हो रहे मंथन से चीन की चिंता इसीलिए बढ़ गई है, क्योंकि यह उसके आध्यात्मिक नियंत्रण की रणनीति को विफल कर सकता है. बीजिंग चाहता है कि वह अपने हिसाब से एक ‘दलाई लामा’ चुने जिसे वह दुनिया के सामने पेश कर सके. मगर धर्मशाला में चल रही यह बैठक चीन की इस योजना को झटका दे सकती है.

भारत में लिया गया फैसला बन सकता है वैश्विक मुद्दा

दलाई लामा की उत्तराधिकारी चयन प्रक्रिया तिब्बती बौद्ध धर्म का भविष्य तय करेगी. यह न केवल धार्मिक बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक रूप से भी बेहद संवेदनशील मुद्दा है. चीन की आपत्ति और भारत में हो रही बैठक के बीच टकराव गहराने की आशंका है. आने वाला वक्त इस बात का गवाह बनेगा कि क्या भारत, तिब्बती परंपराओं के अनुसार नया दलाई लामा घोषित करता है या चीन की दखलअंदाजी को किसी रूप में स्वीकार किया जाएगा.

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30 June 2025, 03:15 PM IST

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