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भोपाल गैस त्रासदी के जहर का अंत! यूनियन कार्बाइड का 337 टन कचरा पूरी तरह नष्ट

भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ी सबसे बड़ी सफाई प्रक्रिया आखिरकार पूरी हो गई है. यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में वर्षों से जमा 337 टन जहरीले कचरे को वैज्ञानिक विधियों से पीथमपुर स्थित संयंत्र में पूरी तरह जलाकर नष्ट कर दिया गया है. पांच मई से शुरू हुई यह प्रक्रिया 29 जून को खत्म हुई.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 1984 की गैस त्रासदी के बाद वर्षों से पड़ा यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का जहरीला कचरा आखिरकार खत्म कर दिया गया है. पांच मई को शुरू हुई यह प्रक्रिया 29 जून को समाप्त हुई, जिसमें कुल 337 टन कचरे को वैज्ञानिक विधियों से पूरी तरह भस्म कर दिया गया. यह कार्रवाई उच्च न्यायालय के निर्देश पर केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में की गई.

पीथमपुर के एक अत्याधुनिक अपशिष्ट निपटान संयंत्र में कचरे को 270 किलोग्राम प्रति घंटे की दर से जलाया गया. अधिकारियों के मुताबिक, पूरे ऑपरेशन के दौरान प्रदूषण मानकों का सख्ती से पालन किया गया और आसपास के इलाकों पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा.

कैसे किया गया कचरे का निपटान?

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्रीनिवास द्विवेदी ने बताया कि यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का 307 टन शेष कचरा 5 मई की रात 7:45 बजे से जलाना शुरू किया गया. यह प्रक्रिया 29 और 30 जून की दरम्यानी रात 1:00 बजे पूरी हुई. इससे पहले तीन अलग-अलग परीक्षणों में 30 टन कचरा पहले ही नष्ट किया जा चुका था.

हर घंटे 270 किलो जलाया गया कचरा

द्विवेदी के मुताबिक, “उच्च न्यायालय के निर्देशों के तहत यह कार्य केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तकनीकी विशेषज्ञों की निगरानी में किया गया. संयंत्र में एक ऑनलाइन निगरानी तंत्र लगाया गया था, जो उत्सर्जन स्तरों को वास्तविक समय में रिकॉर्ड कर रहा था.”

नहीं हुआ आसपास के इलाकों पर कोई असर

द्विवेदी ने दावा किया कि इस पूरे ऑपरेशन के दौरान उत्सर्जन मानक सीमा के भीतर रहे और आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर कोई विपरीत असर नहीं देखा गया. उन्होंने यह भी बताया कि बची हुई राख और अन्य अवशेषों को लीक-प्रूफ स्टोरेज शेड में सुरक्षित रखा जा रहा है.

नवंबर तक बनेगा लैंडफिल सेल

इन अवशेषों को जमीन में दफनाने से पहले वैज्ञानिक तरीके से उपचार किया जाएगा. इसके लिए नवंबर तक एक विशेष ‘लैंडफिल सेल’ तैयार किया जा रहा है. अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला, तो दिसंबर तक इनका पूरी तरह से निपटान कर दिया जाएगा.

कहां से आया था ये कचरा?

बता दें कि भोपाल के पुराने यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में वर्षों से जमा यह कचरा राजधानी भोपाल से करीब 250 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर संयंत्र में 2 जनवरी को लाया गया था. इसके साथ ही गैस त्रासदी के वर्षों पुराने जहर को वैज्ञानिक रूप से खत्म करने की एक बड़ी प्रक्रिया पूरी हुई.

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30 June 2025, 02:20 PM IST

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