जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़ी जांच का सामने आएगा सच? सुप्रीम कोर्ट ने जांच रिपोर्ट मांगने वाली RTI याचिका की खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास पर नकदी मिलने की आंतरिक जांच रिपोर्ट को RTI के तहत साझा करने से इनकार कर दिया. सामाजिक कार्यकर्ता अमृतपाल सिंह खालसा द्वारा दायर आरटीआई को न्यायिक गोपनीयता और RTI अधिनियम की धाराओं 8(1)(ई) व 11(1) के आधार पर खारिज किया गया. मामला 14 मार्च की रात लगी आग और नकदी मिलने से जुड़ा है. प्रारंभिक रिपोर्ट सार्वजनिक है, लेकिन अंतिम जांच रिपोर्ट को गोपनीय रखा गया है.

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में एक आरटीआई आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास पर नकदी मिलने की आंतरिक जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की गई थी. यह आवेदन सामाजिक कार्यकर्ता अमृतपाल सिंह खालसा द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत दायर किया गया था. खालसा ने न केवल जांच रिपोर्ट की प्रति मांगी थी, बल्कि उन्होंने यह भी अनुरोध किया था कि रिपोर्ट को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्रों की प्रतियां भी उपलब्ध कराई जाएं.
RTI के तहत जानकारी देने से किया इनकार
इस आवेदन को सुप्रीम कोर्ट के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) ने 9 मई को खारिज कर दिया. सीपीआईओ ने इस खारिजी को उचित ठहराने के लिए सुप्रीम कोर्ट बनाम सुभाष चंद्र अग्रवाल मामले (2019) में दिए गए निर्णय का हवाला दिया. इस ऐतिहासिक फैसले में न्यायिक स्वतंत्रता, गोपनीयता, और संवेदनशील सूचनाओं के प्रकटीकरण से संबंधित कई मानक स्थापित किए गए थे. इसके अतिरिक्त, सीपीआईओ ने आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(ई) और 11(1) का भी उल्लेख किया, जो प्रत्ययी और तीसरे पक्ष से जुड़ी जानकारी के प्रकटीकरण पर रोक लगाती हैं.
धारा 8(1)(ई) और 11(1) का हवाला
आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(ई) के तहत ऐसी सूचनाएं जो "प्रत्ययी क्षमता" में प्राप्त हुई हैं और जिनका सार्वजनिक प्रकटीकरण जनहित में आवश्यक नहीं है, उन्हें साझा नहीं किया जा सकता. वहीं, धारा 11(1) का उपयोग उन सूचनाओं पर लागू होता है जो किसी तीसरे पक्ष से संबंधित हों और उनकी सहमति के बिना सार्वजनिक नहीं की जा सकतीं. इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट के अतिरिक्त रजिस्ट्रार ने 21 मई को लिखित रूप से पुष्टि की कि सूचना साझा नहीं की जाएगी.
कैसे शुरू हुई यह जांच?
यह पूरा मामला 14 मार्च की रात शुरू हुआ, जब दिल्ली में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर आग लग गई. आग बुझाने के प्रयास के दौरान सुरक्षा अधिकारियों को आवास के स्टोर रूम में संदिग्ध रूप से भारी मात्रा में नकदी मिली. इस घटना के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में एक प्रारंभिक जांच शुरू की गई.
जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर
घटना के बाद न्यायमूर्ति वर्मा, जो उस समय दिल्ली हाई कोर्ट में कार्यरत थे, को इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया. साथ ही, भारत के मुख्य न्यायाधीश के आदेश पर उन्हें न्यायिक कार्यों से भी अस्थायी रूप से अलग कर दिया गया. यह कदम न्यायपालिका की निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए उठाया गया था.
सार्वजनिक की गई प्रारंभिक रिपोर्ट
दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से तैयार की गई प्रारंभिक रिपोर्ट, जस्टिस वर्मा का उत्तर, और जांच के दौरान दिल्ली पुलिस द्वारा ली गई तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्डिंग सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दी गई हैं. हालांकि, आंतरिक जांच समिति द्वारा तैयार की गई अंतिम रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है, और सुप्रीम कोर्ट ने इसे आरटीआई के तहत भी साझा करने से मना कर दिया है.


