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सरकार के उलटे बयानों पर प्रियंका का वार-संचार साथी ऐप जनता की निगरानी का दिख रहा नया हथियार

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया कि संचार साथी ऐप अनिवार्य रूप से इंस्टॉल तो होगा, लेकिन उपयोगकर्ता चाहें तो इसे हटा सकते हैं. DoT के आदेश से उठी निगरानी और गोपनीयता की चिंताओं के बीच सरकार ने इसे सुरक्षा उपाय बताया है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

नई दिल्लीः केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संचार साथी ऐप को लेकर उठी गोपनीयता संबंधी चिंताओं पर सफाई दी है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह ऐप अनिवार्य रूप से इंस्टॉल तो किया जाएगा, लेकिन उपयोगकर्ता यदि चाहें तो इसे अपने फोन से हटा सकते हैं. सरकार के इस बयान से उस विवाद पर विराम लगाने की कोशिश की गई है, जो हाल ही में दूरसंचार विभाग के नए आदेश के बाद खड़ा हुआ था.

उपयोगकर्ता चाहें तो हटाया जा सकता है ऐप

सरकार द्वारा स्मार्टफोन निर्माताओं को यह निर्देश दिया गया था कि 90 दिनों के भीतर सभी नए मोबाइल हैंडसेट में ‘संचार साथी’ ऐप को प्री-लोड करना जरूरी होगा. इस आदेश के बाद कई नागरिकों और विपक्षी दलों ने इस ऐप को संभावित निगरानी उपकरण बताकर सवाल उठाए थे.

इन बढ़ती चिंताओं के बीच संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा अगर आप संचार साथी नहीं चाहते, तो इसे हटा सकते हैं. यह पूरी तरह वैकल्पिक है. उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार का उद्देश्य सिर्फ इस ऐप को सभी तक पहुंचाना है, ताकि सुरक्षा संबंधी सेवाएं आम यूजर्स के लिए उपलब्ध रहें. इसे अपने फोन में रखना या न रखना पूरी तरह उपयोगकर्ता की पसंद होगी.

ऐप को अनिवार्य रूप से प्री-लोड क्यों किया जा रहा है?

कुछ दिन पहले दूरसंचार विभाग (DoT) ने फोन कंपनियों को निर्देश दिया था कि सभी नए फोनों में संचार साथी ऐप पहले से इंस्टॉल होना चाहिए. सरकार का दावा है कि यह ऐप नकली और डुप्लीकेट IMEI नंबरों की पहचान में मदद करेगा. चोरी और ब्लैकलिस्टेड फोनों का पता लगाना आसान होगा. बाजार में तेजी से बढ़ रहे सेकंड-हैंड और चोरी के फोनों पर निगरानी रखी जा सकेगी. सरकार का तर्क है कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए उठाया जा रहा है, न कि किसी तरह की जासूसी के लिए.

भाजपा सांसद ने किया बचाव

सत्तारूढ़ दल भाजपा के सांसद शशांक मणि त्रिपाठी ने भी DoT के फैसले का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि संचार साथी ऐप आम नागरिकों में सुरक्षा की भावना बढ़ाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है. उनके अनुसार, यह ऐप उन उपयोगकर्ताओं की मदद करता है जो फोन चोरी होने या IMEI फर्जीवाड़े का शिकार हो जाते हैं.

क्यों बढ़ा विवाद?

DoT के आदेश के बाद गोपनीयता से जुड़े सवालों पर बहस तेज हो गई. आलोचकों का तर्क था कि एक सरकारी ऐप को प्री-लोड करना. उसे अनइंस्टॉल न कर पाने की आशंका उपयोगकर्ता डेटा की सुरक्षा को लेकर अस्पष्ट नीति, इन सबने इसे संभावित निगरानी उपकरण के रूप में प्रस्तुत कर दिया. हालांकि सिंधिया के नए बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि ऐप को हटाया जा सकता है, जिससे विवाद कम हो सकता है.

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02 December 2025, 01:21 PM IST

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