भारत को सुपरपावर बनाना चाहते हैं डोनाल्ड ट्रंप! कोर-5 की योजना से मिला बड़ा संकेत
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 'कोर-5' या 'सी5' नामक एक सुपर क्लब बनाने पर विचार कर रहे हैं, जिसमें अमेरिका, चीन, रूस, भारत और जापान शामिल होंगे.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई विदेश नीति की अफवाहें वाशिंगटन से निकलकर पूरी दुनिया में फैल रही हैं. पोलिटिको और डिफेंस वन की रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप एक 'कोर-5' या 'सी5' नामक सुपर क्लब बनाने पर विचार कर रहे हैं, जिसमें अमेरिका, चीन, रूस, भारत और जापान शामिल होंगे.
यह जी7 (अमेरिका, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, कनाडा) का विकल्प हो सकता है. भारत की भूमिका को लेकर चर्चाएं तेज हैं कि क्या यह नया गुट वैश्विक शक्ति संतुलन बदल देगा ?
कोर-5 का क्या है प्लान ?
यह विचार अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के एक अप्रकाशित ड्राफ्ट में सामने आया है. रिपोर्ट्स कहती हैं कि यह समूह उन देशों पर आधारित होगा जिनकी आबादी 10 करोड़ से ज्यादा है. जी7 की तरह ही इसमें नियमित शिखर सम्मेलन होंगे, लेकिन फोकस विशिष्ट मुद्दों पर होगा. व्हाइट हाउस ने इसकी आधिकारिक पुष्टि से इनकार किया है, लेकिन पूर्व अधिकारियों का कहना है कि यह ट्रंप की 'स्ट्रॉन्गमैन' सोच से मेल खाता है.
ट्रंप के पुराने संकेत
ट्रंप ने जून 2025 के जी7 शिखर सम्मेलन में ही रूस और चीन को गुट में शामिल करने का सुझाव दिया था. उन्होंने कहा था कि 2014 में क्रीमिया विवाद के बाद रूस को जी7 से निकालना 'बड़ी भूल' थी, जिससे यूक्रेन संकट हुआ. ट्रंप का मानना है कि रूस को शामिल रखा होता तो युद्ध न होता. अब यह विचार पांच देशों के क्लब में बदल गया है, जो एशिया की तीन बड़ी ताकतों (भारत, चीन, जापान) को अमेरिका और रूस के साथ जोड़ेगा.
क्या होगा पहला एजेंडा ?
अगर यह समूह बनता है, तो पहली बैठक मध्य पूर्व की सुरक्षा पर हो सकती है. खासतौर पर इजरायल-सऊदी अरब संबंधों को सामान्य बनाने पर जोर होगा. ट्रंप के पहले कार्यकाल में शुरू हुए अब्राहम समझौते को सऊदी को शामिल कर मजबूत करना लक्ष्य है. भारत के लिए यह अवसर हो सकता है, क्योंकि वह मिडिल ईस्ट में ऊर्जा और व्यापार के मामले में अहम है.
भारत निभा सकता है केंद्रीय भूमिका
भारत, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, इस क्लब में केंद्रीय भूमिका निभा सकता है. इससे अमेरिका-भारत संबंध मजबूत होंगे, लेकिन चीन और रूस के साथ सहयोग चुनौतीपूर्ण होगा. क्वाड (अमेरिका, भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया) जैसे मौजूदा गठबंधनों पर असर पड़ सकता है. यूरोपीय सहयोगी चिंतित हैं कि यह रूस को वैधता देगा और पश्चिमी एकता कमजोर करेगा.
भारत के लिए यह जी7 में अपनी सीट की मांग को मजबूत करने का मौका भी है. बता दें, ट्रंप की यह योजना अभी कागजों पर है, लेकिन अगर साकार हुई तो वैश्विक राजनीति का नक्शा बदल सकता है.


