कश्मीर पूरी तरह से भारत- PAK का निजी मामला, दखल देने में हमारी कोई रुचि नहीं...इस अमेरिकी अधिकारी ने दिया बड़ा बयान
US On Kashmir Issue : अमेरिकी विदेश विभाग ने स्पष्ट किया है कि कश्मीर भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है और अमेरिका इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगा. हालांकि, अमेरिका ने संघर्ष विराम में सहायता की थी. उधर, अमेरिका ने भारत से रूसी तेल आयात पर पुनर्विचार करने की अपील की है और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई है. अमेरिका भारत को एक भरोसेमंद साझेदार मानता है और शांति व ऊर्जा व्यापार को प्राथमिकता देता है.

US On Kashmir Issue : अमेरिकी विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि कश्मीर का मुद्दा सीधे तौर पर भारत और पाकिस्तान के बीच का मामला है और अमेरिका इसमें कोई मध्यस्थता करने का इच्छुक नहीं है. यह बयान उस समय आया है जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में यह दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष को रुकवाने में भूमिका निभाई थी. हालांकि, अधिकारी ने यह भी स्वीकार किया कि अमेरिका ने संघर्ष विराम की प्रक्रिया में मदद की थी, लेकिन उन्होंने यह दोहराया कि अमेरिका की लंबे समय से यही नीति रही है कि कश्मीर विवाद को दोनों देश आपसी बातचीत से सुलझाएं.
इस वरिष्ठ अधिकारी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के सामने कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दे हैं और कश्मीर का मामला पूरी तरह से भारत और पाकिस्तान पर छोड़ दिया गया है. अमेरिका का मानना है कि दोनों देशों को इस मुद्दे को आपसी बातचीत से सुलझाना चाहिए और जब तक दोनों पक्ष अमेरिका से कोई विशेष सहायता या भूमिका की मांग नहीं करते, तब तक अमेरिका हस्तक्षेप नहीं करेगा.
तेल व्यापार पर अमेरिका की नाराजगी
ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के इच्छुक
उन्होंने आगे यह भी जोड़ा कि अमेरिका भारत के साथ ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का इच्छुक है, जिसमें प्राकृतिक गैस, कोयला, परमाणु ऊर्जा और रसोई गैस जैसे स्वच्छ ईंधनों का समावेश है. राइट ने भारत को एक तेजी से विकसित होती हुई अर्थव्यवस्था बताया और कहा कि यहां की ऊर्जा मांग तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि भारत की जनता अपनी समृद्धि को आगे ले जा रही है.
भारत-अमेरिका ऊर्जा सहयोग की संभावनाएं
राइट ने भारत की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत न केवल दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि अमेरिका का एक मजबूत और भरोसेमंद सहयोगी भी है. उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच ऊर्जा व्यापार और रणनीतिक साझेदारी और भी मजबूत होगी. अमेरिका चाहता है कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए लोकतांत्रिक और भरोसेमंद देशों के साथ व्यापार करे.
राष्ट्रपति ट्रंप की विदेश नीति का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनका सबसे बड़ा उद्देश्य वैश्विक शांति कायम करना है, और भारत के साथ मिलकर काम करना उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.


