पाकिस्तान में मारा गया लश्कर का आतंकवादी, भारत में कई बड़े हमलो में रहा शामिल
लश्कर-ए-तैयबा का वांछित आतंकी सैफुल्ला खालिद, जो भारत में कई बड़े आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड था, को पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मार गिराया गया. उसने नेपाल में फर्जी पहचान के साथ वर्षों तक छिपकर लश्कर की गतिविधियाँ चलाईं और बाद में पाकिस्तान में जमात-उद-दावा के लिए काम करने लगा. खालिद की मौत भारत की खुफिया एजेंसियों के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है.

भारत में कई बड़े आतंकी हमलों की योजना बनाने वाले और वर्षों से फरार चल रहे लश्कर-ए-तैयबा के एक शीर्ष आतंकवादी सैफुल्ला खालिद को पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सुरक्षा बलों द्वारा मार गिराया गया है. सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई हाल ही में पाकिस्तान के बदीन ज़िले में की गई, जहां वह लंबे समय से छिपा हुआ था.
कई घातक हमलों का मास्टरमाइंड
सैफुल्ला खालिद का नाम भारत में तीन बड़े आतंकी हमलों से जुड़ा हुआ है.
- 2001 में रामपुर स्थित सीआरपीएफ कैंप पर हुए हमले में कई सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे.
- 2005 में बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) पर हमला हुआ, जिसमें वैज्ञानिकों को निशाना बनाया गया था.
- 2006 में नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) मुख्यालय पर हमले की भी साजिश उसी ने रची थी.
इन तीनों हमलों में दर्जनों निर्दोष लोगों की जान गई और भारत में लश्कर-ए-तैयबा की मौजूदगी को और अधिक खतरनाक माना जाने लगा.
नेपाल में झूठी पहचान से छुपा रहा
भारतीय एजेंसियों को लंबे समय से इस बात की जानकारी थी कि खालिद नेपाल में एक नकली नाम से रह रहा है. उसने अपना नाम "विनोद कुमार" रख लिया था और वर्षों तक वहीं रहकर संगठन के लिए गतिविधियाँ संचालित करता रहा. वहां उसने स्थानीय महिला नगमा बानू से विवाह भी कर लिया था, ताकि खुद को आम नागरिक के रूप में प्रस्तुत कर सके.
नेपाल में रहते हुए खालिद ने लश्कर के लिए न केवल लोगों की भर्ती का कार्य संभाला, बल्कि आतंकियों के लिए रसद, ठिकाने और वित्तीय सहायता भी जुटाई. इस दौरान वह सतह से दूर रहकर कम प्रोफ़ाइल बनाए रखने में सफल रहा.
जमात-उद-दावा के लिए काम करता रहा
हाल के वर्षों में खालिद ने अपना ठिकाना पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बदीन जिले में बदल लिया था. वहां वह लश्कर-ए-तैयबा के फ्रंट संगठन जमात-उद-दावा के तहत काम कर रहा था. इस संगठन को आतंकवादी नेटवर्क के तहत आतंकी अभियानों के लिए फंडिंग और भर्ती जैसी गतिविधियों को अंजाम देने का काम सौंपा गया था.
बताया जा रहा है कि सिंध में उसका मुख्य काम था आतंकवाद के लिए धन जुटाना, नए युवाओं को कट्टरपंथ की ओर मोड़ना और भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए तैयार करना.
भारतीय एजेंसियों की बड़ी कामयाबी
हालांकि खालिद को पाकिस्तान की जमीन पर मारा गया, लेकिन उसकी मौत को भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और खुफिया सफलता माना जा रहा है. भारतीय एजेंसियों ने लंबे समय से उसके ठिकानों की निगरानी की थी और कई बार नेपाल व अन्य देशों में उसके पीछे हाथ धोकर पड़ी थीं.
सूत्रों के अनुसार, भारत की खुफिया जानकारी के आधार पर ही खालिद का पाकिस्तान में ठिकाना उजागर हुआ और अंततः उसे मार गिराया गया. यह घटना लश्कर के लिए भी बड़ा झटका मानी जा रही है, क्योंकि खालिद जैसे अनुभवी ऑपरेटर का नुकसान उनके नेटवर्क को कमजोर कर सकता है.


