कोई भी राष्ट्रपति संविधान की अनदेखी नहीं कर सकता, अमेरिका के 20 राज्यों ने एच-1बी वीजा फीस को लेकर ट्रंप पर किया मुकदमा
कैलिफोर्निया और 19 राज्यों ने ट्रंप के 100,000 डॉलर एच-1बी वीजा शुल्क के खिलाफ मुकदमा दायर किया है. यह शुल्क उच्च-कुशल विदेशी श्रमिकों पर वित्तीय दबाव बढ़ा सकता है और टेक, स्वास्थ्य व शिक्षा क्षेत्रों में संकट उत्पन्न कर सकता है.

नई दिल्लीः कैलिफोर्निया समेत अमेरिका के 19 अन्य राज्यों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नए एच-1बी वीजा पर 100,000 डॉलर शुल्क लगाने के फैसले के खिलाफ मुकदमा दायर किया है. इस कदम से उच्च-कुशल विदेशी श्रमिकों को काम पर रखने की लागत में भारी वृद्धि होगी, जिससे टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा क्षेत्रों में गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.
सितंबर के आदेश को चुनौती
मुकदमे में सितंबर में घोषित इस शुल्क को चुनौती दी गई है. वर्तमान एच-1बी वीजा शुल्क आम तौर पर 2,000 डॉलर से 5,000 डॉलर के बीच होता है, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने इसे 100,000 डॉलर तक बढ़ा दिया. आलोचकों का कहना है कि यह नीति विश्वविद्यालयों, अस्पतालों और प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए भारी वित्तीय बोझ पैदा कर सकती है.
राज्य राष्ट्रपति के अधिकार पर सवाल
कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा का कहना है कि राष्ट्रपति के पास इस तरह का अतिरिक्त शुल्क लगाने का अधिकार नहीं है. उनके अनुसार, संघीय कानून केवल वीजा कार्यक्रम के प्रशासनिक खर्चों को पूरा करने के लिए शुल्क वसूलने की अनुमति देता है, राजस्व बढ़ाने के लिए नहीं. बोंटा ने कहा, "कोई भी राष्ट्रपति आव्रजन कानून को फिर से नहीं लिख सकता और सरकार की किसी शाखा, कांग्रेस या संविधान की अनदेखी नहीं कर सकती."
क्या है एच-1बी कार्यक्रम?
एच-1बी वीजा अमेरिकी नियोक्ताओं को विशिष्ट क्षेत्रों में विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है, जिनके पास न्यूनतम स्नातक डिग्री या समकक्ष योग्यता होती है. टेक कंपनियां, अस्पताल, स्कूल और अनुसंधान संस्थान इस कार्यक्रम पर व्यापक रूप से निर्भर हैं.
श्रम और वित्तीय दबाव की चिंताएं
बोंटा ने चेतावनी दी कि 100,000 डॉलर शुल्क से सरकारी और निजी नियोक्ताओं पर भारी वित्तीय दबाव पड़ेगा, श्रम की कमी बढ़ेगी और शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा व सार्वजनिक सेवाओं में कटौती की संभावना होगी. उन्होंने कहा कि हजारों शिक्षक और स्वास्थ्य पेशेवर इस वीजा पर निर्भर हैं.
मुकदमे में शामिल राज्यों की भूमिका
कैलिफोर्निया के अलावा न्यूयॉर्क, मैसाचुसेट्स, इलिनोइस, न्यू जर्सी और वाशिंगटन जैसे राज्यों ने भी मुकदमे में भाग लिया है. इन राज्यों का प्रतिनिधित्व डेमोक्रेटिक पार्टी के अटॉर्नी जनरल कर रहे हैं. बोंटा और मैसाचुसेट्स की अटॉर्नी जनरल एंड्रिया जॉय कैंपबेल संयुक्त रूप से इस मामले की पैरवी करेंगी.
प्रशासन और व्हाइट हाउस का रुख
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह शुल्क कानूनी और आवश्यक है ताकि एच-1बी प्रणाली का दुरुपयोग रोका जा सके. उन्होंने बताया कि यह आदेश 21 सितंबर से पहले आवेदन करने वाले या मौजूदा वीजा धारकों पर लागू नहीं होता.
कानूनी चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं
यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स, यूनियनों, नियोक्ताओं और धार्मिक समूहों ने भी इस शुल्क के खिलाफ मुकदमे दायर किए हैं. बोंटा के अनुसार, 100,000 डॉलर का शुल्क एच-1बी याचिकाओं के वास्तविक संसाधन लागत से संबंधित नहीं है और यह अमेरिकी संविधान और संघीय कानून का उल्लंघन है.


