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अटलांटिक महासागर में खुला बरमूडा का राज, मिली 20 किमी चौड़ी रहस्यमयी चट्टान!...वैज्ञानिक भी हुए हैरान

बरमूडा ट्रायंगल उत्तरी अटलांटिक महासागर में स्थित रहस्यमयी इलाका है, जहां जहाज और विमान अक्सर गायब हो जाते हैं. हाल ही में यहाँ 20 किलोमीटर चौड़ी विशालकाय चट्टान मिली है, जो समुद्र की पपड़ी और टेक्टोनिक प्लेट के नीचे फैली हुई है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

नई दिल्ली : दुनिया में कुछ जगहें ऐसी हैं, जो इंसानी समझ से परे हैं और बरमूडा ट्रायंगल उन्हीं में से एक है. यह रहस्यमयी क्षेत्र उत्तरी अटलांटिक महासागर में मियामी, बरमूडा और प्यूर्टो रिको के बीच स्थित है. लंबे समय से इस इलाके के ऊपर से गुजरने वाले जहाज और हवाई जहाज रहस्यमय ढंग से गायब हो जाते हैं. बरमूडा ट्रायंगल को लेकर तमाम कथाएँ और लोककथाएँ बनी हैं, लेकिन वैज्ञानिक अब तक इस रहस्य को पूरी तरह समझ नहीं पाए हैं. हाल ही में इस इलाके में हुई एक नई खोज ने इस रहस्य को और गहरा कर दिया है.

धरती पर पहली बार मिली विशालकाय चट्टान 

आपको बता दें कि बरमूडा ट्रायंगल के समुद्र तल में वैज्ञानिकों को 20 किलोमीटर चौड़ी विशालकाय चट्टान मिली है, जो धरती पर इससे पहले कहीं नहीं देखी गई. इस चट्टान की संरचना समुद्र की पपड़ी के नीचे तक फैली हुई है. प्रारंभिक विश्लेषण से पता चला कि इस चट्टान की खोज बरमूडा ट्रायंगल के सदियों पुराने रहस्य को सुलझाने में मदद कर सकती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस विशाल चट्टान के कारण समुद्री पपड़ी और टेक्टोनिक प्लेट के बीच असामान्य घटनाएँ होती रही हैं.

वैज्ञानिकों की हैरानी और रहस्य
बरमूडा एक ‘महासागरीय उभार’ पर स्थित है, जहां समुद्री पपड़ी अपने आसपास के क्षेत्र से लगभग 500 मीटर ऊंची है. यह इलाका पिछले 31 मिलियन वर्षों से ज्वालामुखीय गतिविधियों से मुक्त रहा है. प्रमुख लेखक विलियम फ्रेजर और उनके सह-लेखक जेफरी पार्क ने भूकंपीय डेटा का विश्लेषण किया. उनके अनुसार, बरमूडा में पपड़ी के नीचे असामान्य मोटी परत और कम सघन संरचना है, जो समुद्र तल को ऊपर उठाए रखती है. यह परत शायद पिछले विस्फोटों के दौरान पपड़ी में फंसी मंटल की चट्टान से बनी है.

भूविज्ञान और ऐतिहासिक कार्बन संरचना
स्मिथ कॉलेज की भूविज्ञानी सारा माजा के अनुसार, बरमूडा से निकलने वाले लावा में सिलिका की मात्रा कम होती है. यह उच्च कार्बन वाली चट्टान संरचना का कारण हो सकता है. माजा का मानना है कि यह कार्बन मंटल सुपरकॉन्टिनेंट पैंजिया के निर्माण के दौरान, 900 से 300 मिलियन साल पहले, गहराई में धकेला गया था. इस गहरी संरचना और असामान्य भौगोलिक स्थितियों के कारण बरमूडा ट्रायंगल के रहस्य अब तक वैज्ञानिकों के लिए चुनौती बने हुए हैं.

बरमूडा ट्रायंगल में हुई यह नवीन खोज न केवल इस इलाके की भौगोलिक और भूविज्ञान संबंधी समझ को बढ़ाएगी, बल्कि लंबे समय से चर्चित रहस्यमय घटनाओं की व्याख्या करने में भी मदद कर सकती है. वैज्ञानिक अब इस विशालकाय चट्टान और उसके प्रभावों का और गहन अध्ययन कर रहे हैं.

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13 December 2025, 07:27 PM IST

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