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ट्रंप के 50 प्रतिशत टैरिफ के खिलाफ उतरे अमेरिकी सांसद, कांग्रेस में पेश किया प्रस्ताव, भारत को मिलेगी राहत!

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के तीन डेमोक्रेट सांसदों ने ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ को खत्म करने का प्रस्ताव पेश किया है. उनका कहना है कि ये शुल्क अवैध हैं और इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था, रोजगार और भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान हो रहा है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

नई दिल्लीः अमेरिका की प्रतिनिधि सभा के तीन सदस्यों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित राष्ट्रीय आपातकाल को खत्म करने के उद्देश्य से एक प्रस्ताव पेश किया है. इसी आपातकाल के तहत भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर 50 प्रतिशत तक का भारी शुल्क लगाया गया था. सांसदों का कहना है कि यह फैसला न केवल कानूनी रूप से संदिग्ध है, बल्कि इससे अमेरिकी श्रमिकों, उपभोक्ताओं और भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों को भी नुकसान पहुंच रहा है.

डेमोक्रेट सांसदों की संयुक्त पहल

यह प्रस्ताव प्रतिनिधि डेबोरा रॉस, मार्क वेसी और भारतीय मूल के सांसद राजा कृष्णमूर्ति के नेतृत्व में लाया गया है. यह कदम ब्राजील पर लगाए गए समान टैरिफ को खत्म करने के लिए सीनेट में लाए गए एक द्विदलीय प्रस्ताव के बाद उठाया गया है. सांसदों का मानना है कि राष्ट्रपति द्वारा आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल कर आयात शुल्क बढ़ाना कांग्रेस के अधिकारों का उल्लंघन है.

अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क रद्द करने की मांग

प्रस्ताव में खास तौर पर 27 अगस्त 2025 को भारत पर लगाए गए अतिरिक्त 25 प्रतिशत “द्वितीयक” टैरिफ को रद्द करने की मांग की गई है. यह शुल्क पहले से लागू पारस्परिक टैरिफ के ऊपर जोड़ा गया था, जिससे कई भारतीय मूल के उत्पादों पर कुल शुल्क 50 प्रतिशत तक पहुंच गया. यह सब अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियां अधिनियम (IEEPA) के तहत किया गया था, जिस पर अब सवाल उठाए जा रहे हैं.

राज्यों की अर्थव्यवस्था पर असर

कांग्रेसवुमन डेबोरा रॉस ने कहा कि उत्तरी कैरोलिना की अर्थव्यवस्था भारत के साथ व्यापार, निवेश और वहां बसे भारतीय-अमेरिकी समुदाय के जरिए गहराई से जुड़ी हुई है. उन्होंने बताया कि भारतीय कंपनियों ने राज्य में एक अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है, जिससे जीवन विज्ञान और तकनीक जैसे क्षेत्रों में हजारों नौकरियां पैदा हुई हैं. इसके अलावा, उत्तरी कैरोलिना के निर्माता हर साल सैकड़ों मिलियन डॉलर का सामान भारत को निर्यात करते हैं.

आम अमेरिकी नागरिकों पर बोझ

मार्क वेसी ने कहा कि भारत अमेरिका का एक अहम सांस्कृतिक, आर्थिक और रणनीतिक साझेदार है. उनके मुताबिक, ये टैरिफ उत्तरी टेक्सास समेत देश के आम नागरिकों पर अप्रत्यक्ष कर की तरह हैं, जो पहले ही बढ़ती महंगाई से जूझ रहे हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे कदमों से लंबे समय में अमेरिका की वैश्विक साख कमजोर हो सकती है.

रोजगार पर खतरा

सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने टैरिफ को “नुकसानदायक” बताते हुए कहा कि इससे आपूर्ति श्रृंखलाएं बाधित होती हैं, अमेरिकी श्रमिकों को नुकसान होता है और उपभोक्ताओं के लिए चीजें महंगी हो जाती हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि इन शुल्कों को खत्म करने से अमेरिका और भारत के बीच आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को मजबूती मिलेगी.

कांग्रेस बनाम राष्ट्रपति की शक्तियां

यह प्रस्ताव डेमोक्रेट सांसदों की उस व्यापक कोशिश का हिस्सा है, जिसके तहत वे व्यापार नीति पर कांग्रेस के संवैधानिक अधिकारों को फिर से स्थापित करना चाहते हैं. इससे पहले भी अक्टूबर में, इन्हीं सांसदों ने रो खन्ना समेत 19 अन्य प्रतिनिधियों के साथ मिलकर राष्ट्रपति से भारत पर लगाए गए टैरिफ वापस लेने और दोनों देशों के रिश्तों में आई खटास को दूर करने की अपील की थी.

टैरिफ बढ़ाने की वजह

गौरतलब है कि अगस्त में ट्रंप ने पहले भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाया था. इसके कुछ ही दिनों बाद भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद जारी रखने का हवाला देते हुए इसमें 25 प्रतिशत और जोड़ दिया गया, जिससे कुल टैरिफ 50 प्रतिशत हो गया. ट्रंप का तर्क था कि इससे यूक्रेन युद्ध में रूस को फायदा हो रहा है, हालांकि इस फैसले की अब अमेरिका के भीतर ही तीखी आलोचना हो रही है.

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13 December 2025, 07:58 AM IST

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