अधिकमास कब से लग रहा है? इस बार 30 नहीं पूरे 60 दिन का होगा मलमास, यहां जानें पूरी डिटेल
इस बार हिंदू पंचांग में एक खास और दुर्लभ संयोग बन रहा है. नए साल में 12 की जगह पूरे 13 महीने होंगे. जी हां, ज्येष्ठ महीना इस बार दो बार आएगा, और दूसरा ज्येष्ठ ही अधिकमास या पुरुषोत्तम मास कहलाएगा. यह वह पवित्र महीना है जो हर तीन साल में एक बार आता है, और इसे भगवान विष्णु को सबसे प्रिय माना जाता है. कहा जाता है कि अधिकमास में श्रीहरि विष्णु की पूजा, जप, दान, व्रत करने से सामान्य दिनों की तुलना में हजारों गुना अधिक पुण्य मिलता है.

नई दिल्ली: हिंदू कैलेंडर के अनुसार वर्ष 2026 बेहद खास माना जा रहा है, क्योंकि इस वर्ष ज्येष्ठ महीना दो बार पड़ेगा. ऐसा योग बहुत कम बनता है जब पंचांग में एक अतिरिक्त महीना जुड़ जाता है और पूरा वर्ष 13 महीनों का हो जाता है. हिंदू परंपरा में इस अतिरिक्त माह को अधिकमास या पुरुषोत्तम मास कहा जाता है, जिसे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है.
जहां ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत हर साल 1 जनवरी से होती है, वहीं हिंदू वर्ष का आरंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है. इस अनोखी ज्योतिषीय घटना के पीछे चंद्र और सूर्य वर्ष की गणनाओं में अंतर को संतुलित करने की प्रक्रिया काम करती है.
क्यों बनता है अधिकमास का संयोग?
सौर वर्ष 365 दिनों का होता है, जबकि चंद्र वर्ष केवल 354 दिनों का. दोनों के बीच हर वर्ष लगभग 11 दिनों का अंतर रह जाता है. यदि इस अंतर को समय-समय पर संतुलित न किया जाए तो त्योहार और ऋतुएं अपने प्राकृतिक समय से हटने लगेंगी. इसी असमानता को संतुलित करने के लिए लगभग हर 32 महीने 16 दिन बाद पंचांग में एक अतिरिक्त चंद्र मास जोड़ा जाता है, जिसे अधिकमास कहा जाता है.
2026 में अधिकमास की तिथियां और धार्मिक महत्व
अगले वर्ष अधिकमास 17 मई 2026 से 15 जून 2026 तक रहेगा. शास्त्रों में इस माह को भगवान विष्णु को समर्पित बताया गया है और इसे अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है. इस अवधि में पूजा-पाठ, दान, व्रत, मंत्र जप, तीर्थ स्नान और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं. इसी कारण इसे पुरुषोत्तम मास कहा जाता है, जिसका अर्थ है सबसे श्रेष्ठ महीना.
हालांकि यह महीना पवित्र माना जाता है, फिर भी इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, भूमि पूजन या नया व्यवसाय शुरू करने जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते. धार्मिक मान्यता है कि यह समय केवल आध्यात्मिक साधना और ईश्वर के प्रति समर्पण के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है.
अधिकमास क्यों आवश्यक है?
सौर और चंद्र वर्ष के बीच का 11 दिनों का वार्षिक अंतर यदि लंबे समय तक बना रहे तो मौसम, त्योहार और धार्मिक पर्व अपने निर्धारित समय से हट सकते हैं. इस असंतुलन को रोकने के लिए अधिकमास का प्रावधान किया गया है, जो समय-समय पर पंचांग में जोड़कर कैलेंडर को सटीक बनाए रखता है.
Disclaimer: ये धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.


