पटना ही नहीं, बिहार में छठ पूजा के लिए ये घाट भी हैं मशहूर
इस साल छठ महापर्व 25-28 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. बिहार के ऐतिहासिक घाटों पर सूर्य देवता की पूजा का अद्वितीय दृश्य देखने को मिलता है. देव सूर्य मंदिर, मुंगेर का कष्टहरणी घाट, हाजीपुर का कोनहारा घाट, गया का फल्गु नदी तट और भागलपुर का बरारी घाट छठ के प्रमुख स्थल हैं.

इस साल छठ का महापर्व 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. छठ पूजा बिहार और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में बेहद धूमधाम से मनाई जाती है. इस पर्व का संबंध सूर्य देवता की पूजा से है, जिसमें व्रति उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. बिहार के घाटों पर इस पर्व की भव्यता देखी जा सकती है, जहां लाखों श्रद्धालु अपनी श्रद्धा और विश्वास के साथ एकत्र होते हैं. पटना के गंगा घाटों की तो विशेष पहचान है, लेकिन बिहार के अन्य ऐतिहासिक और धार्मिक घाट भी छठ पूजा के समय अपनी महत्ता को और बढ़ा देते हैं.
देव सूर्य मंदिर, औरंगाबाद
देव सूर्य मंदिर बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित है और यह छठ पूजा के प्रमुख स्थलों में से एक माना जाता है. यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि अपनी प्राचीन वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है. मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में किया था. मंदिर का मुख पूर्व की बजाय पश्चिम दिशा में है, जो इसे विशिष्ट बनाता है. छठ के समय यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है और सूर्यकुंड तालाब में लोग सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं, जिससे इस स्थल की धार्मिक ऊर्जा और भी प्रबल हो जाती है.
मुंगेर का कष्टहरणी घाट
मुंगेर का कष्टहरणी घाट गंगा नदी के किनारे स्थित है और यह छठ पूजा के लिए एक प्रमुख स्थान है. 'कष्टहरणी' का अर्थ होता है 'कष्टों को नष्ट करने वाला', और यह नाम घाट की धार्मिक महत्ता को दर्शाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान राम ने ताड़का का वध किया था, तो उन्होंने यहीं गंगा नदी में स्नान किया था, जिससे घाट का महत्व और भी बढ़ गया. छठ के समय यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं और सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करते हैं. यहां का दृश्य, विशेषकर सूर्यास्त और सूर्योदय के समय, अत्यंत मनमोहक होता है.
हाजीपुर का कोनहारा घाट
कोनहारा घाट हाजीपुर में स्थित गंगा और गंडक नदी के संगम पर स्थित है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है. इसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है. यहां की पवित्रता और शुद्धता छठ के दौरान और भी अधिक अनुभव होती है. यह घाट श्रद्धालुओं के लिए एक शांति और भक्ति का केन्द्र बन जाता है, जहाँ लोग गंगा स्नान करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं. छठ के दौरान यहां का दृश्य बहुत ही भव्य और शांत होता है.
गया का फल्गु नदी तट
गया बिहार का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. फल्गु नदी, जो अधिकांश समय सूखी रहती है, छठ पूजा के दौरान पुनः जीवंत हो उठती है. गया में कई प्राचीन घाट और मंदिर स्थित हैं. छठ के दौरान श्रद्धालु मुख्य रूप से नदी के किनारे अस्थायी जलकुंडों का निर्माण करते हैं और सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करते हैं. यह स्थल बिहार के धार्मिक महत्व को और भी बढ़ाता है.
भागलपुर का बरारी घाट
भागलपुर का बरारी घाट बिहार के सबसे बड़े और सबसे सुव्यवस्थित गंगा घाटों में से एक है. यह घाट अपनी विशाल चौड़ाई और पक्की सीढ़ी घाट के लिए प्रसिद्ध है, जिससे यहां लाखों श्रद्धालु एक साथ अर्घ्य अर्पित करने आते हैं. छठ पूजा के दौरान, भागलपुर के साथ-साथ आसपास के जिलों जैसे मुंगेर और बांका के श्रद्धालु भी यहां गंगा स्नान करने और गंगाजल लेने आते हैं. इस घाट का आकार और व्यवस्था इसे एक आदर्श सामुदायिक पूजा स्थल बनाती है.


