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Ekodisht Shradh 2026: क्यों खास है एकोदिष्ट श्राद्ध? जानें इसका महत्व और शुभ मुहूर्त

माघ मास में पितरों की शांति के लिए एकोदिष्ट श्राद्ध का विशेष महत्व होता है. माघ शुक्ल अष्टमी को भीष्म अष्टमी मनाई जाती है. इस दिन श्राद्ध, तर्पण और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.

हिंदू धर्म में साल के सभी महीने किसी न किसी धार्मिक महत्व से जुड़े होते हैं, लेकिन माघ मास को विशेष पुण्यदायी माना गया है. शास्त्रों में बताया गया है कि यह महीना मां गंगा को समर्पित होता है. माघ के दौरान गंगा स्नान, दान, तप और पूजा का खास महत्व होता है. देशभर से श्रद्धालु इस पावन महीने में तीर्थराज प्रयाग पहुंचकर कल्पवास करते हैं और नियमित रूप से गंगा स्नान करके पुण्य अर्जित करते हैं. 

माघ मास में केवल स्नान और दान ही नहीं, बल्कि पितरों की शांति के लिए किए जाने वाले कुछ विशेष कर्म भी किए जाते हैं. इन्हीं में से एक है एकोदिष्ट श्राद्ध, जिसका अपना अलग धार्मिक महत्व है. आइए जानते हैं कि एकोदिष्ट श्राद्ध क्या होता है, इसे कब किया जाता है और इसका शुभ समय क्या है. 

क्या होता है एकोदिष्ट श्राद्ध?

धर्माचार्यों के अनुसार, एकोदिष्ट श्राद्ध पितरों को समर्पित एक विशेष श्राद्ध कर्म है. यह श्राद्ध मुख्य रूप से मृत पिता और पितामह के लिए किया जाता है. इसके अलावा किसी विशेष पुरुष की पुण्यतिथि पर भी एकोदिष्ट श्राद्ध किया जा सकता है. शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को एक विशेष श्राद्ध किया जाता है, जिसे भीष्म पितामह से जोड़ा जाता है. इसी दिन भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण काल में अपने प्राण त्यागे थे. 

पांडवों ने किया था भीष्म पितामह का श्राद्ध

माघ शुक्ल अष्टमी को हर साल भीष्म अष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भीष्म पितामह का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध विशेष फलदायी होता है. शास्त्रों में बताया गया है कि भीष्म पितामह का श्राद्ध कोई भी सामान्य व्यक्ति कर सकता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में भीष्म पितामह के पंचतत्व में विलीन होने के बाद पांडवों ने उनका विधिवत श्राद्ध और तर्पण किया था. 

एकोदिष्ट श्राद्ध की तिथि और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 25 जनवरी को रात 11 बजकर 10 मिनट पर होगी. यह तिथि 26 जनवरी को रात 9 बजकर 17 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार भीष्म अष्टमी और एकोदिष्ट श्राद्ध 26 जनवरी को मनाया जाएगा. इस दिन एकोदिष्ट श्राद्ध करने का शुभ समय सुबह 11 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. इसी अवधि में श्राद्ध, तर्पण और पितरों के निमित्त दान करना उत्तम माना गया है.

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