वर्ल्ड कप में धमाकेदार प्रदर्शन के बाद भी पदक से वंचित प्रतिका रावल, ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर की याद दिलाती है कहानी
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में वर्ल्ड कप फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराकर इतिहास रचा. इस जीत में अहम योगदान देने वाली प्रतिका रावल चोटिल होने के कारण फाइनल में नहीं खेल सकीं .

नई दिल्ली : भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में महिला वर्ल्ड कप फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराकर इतिहास रच दिया. हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए महिला क्रिकेट में अपनी पहचान और गौरव को और मजबूत किया. इस जीत ने पूरे देश को गर्व से भर दिया, लेकिन इस ऐतिहासिक सफलता में अहम भूमिका निभाने वाली खिलाड़ी प्रतिका रावल को पदक से वंचित रहना पड़ा, जो चर्चा का विषय बन गया.
प्रतिका रावल का शानदार प्रदर्शन
पदक न मिलने का कारण
रावल की जगह बांग्लादेश के खिलाफ चोटिल होने के बाद शेफाली वर्मा को टीम में शामिल किया गया, जो फाइनल में प्लेयर ऑफ़ द मैच रहीं. ICC नियमों के अनुसार, विजेता टीम के पदक केवल 15 सदस्यीय टीम को ही दिए जाते हैं. इसलिए प्रतीका रावल को पदक नहीं मिल सका, लेकिन उन्होंने व्हीलचेयर पर बैठकर टीम के जश्न में भाग लिया और टीम के साथ उत्सव मनाया.
जेसन गिलेस्पी से तुलना
प्रतिका रावल की कहानी ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज जेसन गिलेस्पी की 2003 की पुरुष वर्ल्ड कप कहानी जैसी है. गिलेस्पी ने चार मैच खेले और आठ विकेट लिए, लेकिन चोट लगने के कारण प्रतियोगिता से बाहर हो गए और विजेता पदक से वंचित रह गए. उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा कि उन्हें फाइनल का जश्न अपने साथियों के साथ नहीं मनाने का दुख रहा.
युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत
प्रतिका रावल की कहानी यह दिखाती है कि चोट और नियम कभी-कभी खिलाड़ी की मेहनत और योगदान को पूरी तरह मान्यता नहीं दे पाते. इसके बावजूद उनका जज्बा, उत्साह और टीम के प्रति समर्पण टीम की जीत में महत्वपूर्ण साबित हुआ और युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना. उनकी यह अनकही कहानी महिला क्रिकेट में संघर्ष, समर्पण और साहस का प्रतीक बनकर उभरी है.


