गुरुग्राम में जलजमाव से नाराज शख्स ने कहा, अब भारत से मेरा कोई रिश्ता नहीं
मानसून की बाढ़ और खराब नागरिक बुनियादी ढांचे से तंग आकर गुरुग्राम के एक निवासी द्वारा रेडिट पर पोस्ट किया गया पोस्ट वायरल हो गया है.

Gurugram: जिसे भारत का कॉरपोरेट हब माना जाता है, वह हर मानसून में जलभराव और बुनियादी ढांचे की कमियों के कारण चर्चा में रहता है. हाल ही में, शहर में जलभराव से तंग आकर एक व्यक्ति ने अपने गुस्से को सबरेडिट पर साझा किया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर तहलका मचा गया. उनकी वायरल पोस्ट ने न केवल गुरुग्राम की समस्याओं को उजागर किया, बल्कि शहरी नियोजन और सरकारी जवाबदेही पर एक गंभीर सवाल और हवा दी. व्यक्ति ने लिखा,"मैं भारत छोड़ रहा हूं" व्यक्ति ने बताया कि कैसे लगातार जलभराव और खराब सड़कों ने उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से तोड़ दिया. उनकी यह पोस्ट न केवल उनकी व्यक्तिगत पीड़ा को दर्शाती है, बल्कि उन हजारों लोगों की भावनाओं को भी आवाज देती है, जो इस शहर की बदहाल व्यवस्था से जूझ रहे हैं.
लग्जरी कारें भी पानी में डूबीं
पोस्ट में व्यक्ति ने लिखा, "मैंने कल रात कम से कम पांच लग्जरी कारों को जलभराव में फंसा देखा, और मैं अपनी कार से उन्हें पार कर गया. यह पागलपन है." उन्होंने बताया कि गुरुग्राम जैसे समृद्ध शहर में भी बारिश का मौसम नागरिकों के लिए चुनौती बन जाता है. सड़कों पर गहरे पानी के बीच फंसे लोग और कारों का नजारा उनके लिए असहनीय था. यह स्थिति न केवल यातायात को प्रभावित करती है, बल्कि लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी को भी ठप कर देती है.
अमीरों और सरकार की चुप्पी पर सवाल
उन्होंने अपनी पोस्ट में अमीरों और उद्योगपतियों की चुप्पी पर भी सवाल उठाए. मुझे लगता है कि अमीर लोग या उद्योगपति सरकार पर दबाव डाल सकते हैं, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं होती. जिनके पास संसाधन और प्रभाव है, वे भी इस समस्या को हल करने के लिए कोई कदम नहीं उठाते. मध्यम वर्ग की निष्क्रियता को भी कटघरे में खड़ा किया गया है. व्यक्ति ने लिखा, हम जैसे लोग तो बस यथास्थिति को स्वीकार कर लेते हैं. मुझे इस मौसम में अपनी कार बाहर निकालने में डर लग रहा है, एक भी खराबी मुझे बहुत भारी पड़ जाएगी. उनकी यह बात उन लोगों की भावनाओं को दर्शाती है, जो हर साल मानसून में अपनी गाड़ियों और संपत्ति को नुकसान होने के डर में जीते हैं.
भारत छोड़ने का संकल्प
अपनी पोस्ट का अंत करते हुए व्यक्ति ने साफ किया, मैंने भारत छोड़ने का फैसला कर लिया है. मैं अपनी जिंदगी को ऐसे नहीं जीना चाहता, जहां लोग बुनियादी जरूरतों के बिना भी संघर्ष करते दिखें. उन्होंने यह भी कहा, यह एक आकस्मिक बड़बड़ाहट हो सकती है, लेकिन अब मैं बहुत गुस्से में हूं.
सोशल मीडिया पर भड़का लोगों का गुस्सा
इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने गुरुग्राम की बदहाल व्यवस्था पर खुलकर अपनी भड़ास निकाली. एक यूजर, जो साइबरहब में इंटर्नशिप कर रहा था, ने लिखा, मैं साइबरहब और उसकी इमारतों से प्रभावित होकर यहा आया था. लेकिन अंदर? क्या गड़बड़ है? पैदल काम पर जाना टेंपल रन खेलने जैसा है, सड़कें चलने लायक नहीं हैं, फुटपाथ गंदगी से भरे हैं, और हर जगह खुले तार बिखरे पड़े हैं. एक अन्य यूजर ने तंज कसते हुए कहा, इस गड़बड़ी के लिए भारी कर और ईएमआई का भुगतान करना, देश छोड़ना एक बेहतर विकल्प लगता है.
यह वायरल पोस्ट भले ही एक व्यक्ति की निराशा से शुरू हुई हो, लेकिन इसने गुरुग्राम में शहरी नियोजन, सरकारी जवाबदेही और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता पर एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म दिया है. चाहे वह व्यक्ति वास्तव में भारत छोड़े या नहीं, उनकी पोस्ट ने उन लाखों लोगों की भावनाओं को आवाज दी है, जो हर साल ऐसी ही समस्याओं से जूझते हैं.


