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3000 करोड़ की कमाई, 59 नए नाम...ईडी ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में दाखिल की फाइनल चार्जशीट

प्रवर्तन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में 59 नए आरोपियों के साथ अंतिम अभियोजन दाखिल किया, कुल आरोपी 81 हुए. 2019–2022 के बीच हुए कथित घोटाले में 3,000 करोड़ से अधिक की कमाई का दावा है; कई नेता-अफसर जांच के घेरे में हैं.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

रायपुरः प्रवर्तन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कथित शराब घोटाले में जांच को निर्णायक मोड़ देते हुए अंतिम अभियोजन शिकायत दाखिल कर दी है. इस शिकायत में 59 नए आरोपियों के नाम जोड़े गए हैं. इसके साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े इस मामले में कुल आरोपियों की संख्या बढ़कर 81 हो गई है. एजेंसी का कहना है कि जिन लोगों के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी थी, उन्हें अब औपचारिक रूप से अभियोजन के दायरे में लाया गया है.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन

ईडी की ओर से पैरवी कर रहे वकील सौरभ कुमार पांडे ने बताया कि यह अंतिम अभियोजन शिकायत सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप पीएमएलए की विशेष अदालत में दायर की गई है. इससे पहले इस मामले में 22 आरोपियों को नामजद किया गया था और उनमें से कई को गिरफ्तार भी किया जा चुका है. शुरुआती जांच पूरी होने के बाद उनके खिलाफ अलग-अलग अभियोजन शिकायतें दाखिल की गई थीं.

59 नए आरोपियों पर शिकंजा

अब ईडी ने 59 और लोगों के खिलाफ अंतिम अभियोजन शिकायत दाखिल की है. एजेंसी का कहना है कि इन सभी के खिलाफ पर्याप्त सबूत जुटा लिए गए हैं. नए नामों में मुख्यमंत्री कार्यालय में तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया, पूर्व आईएएस अधिकारी निरंजन दास, शराब लाइसेंस धारक, वितरक और आबकारी विभाग से जुड़े अधिकारी शामिल हैं. इससे साफ है कि जांच का दायरा सिर्फ कारोबारी वर्ग तक सीमित नहीं रहा.

हजारों पन्नों का मजबूत केस

ईडी के मुताबिक अभियोजन शिकायत का सारांश ही करीब 315 पृष्ठों का है, जबकि कुल दस्तावेजों की संख्या लगभग 29,800 पन्नों तक पहुंचती है. इन दस्तावेजों में बैंकिंग लेन-देन के प्रत्यक्ष प्रमाण, मनी लॉन्ड्रिंग की प्रक्रिया को दिखाने वाले रिकॉर्ड और डिजिटल सबूत शामिल हैं. एजेंसी का दावा है कि इन साक्ष्यों से घोटाले की पूरी रूपरेखा सामने आती है.

अफसरों की कथित भूमिका

ईडी का आरोप है कि राज्य आबकारी विभाग के तत्कालीन आयुक्त निरंजन दास ने कथित तौर पर घोटाले को संरक्षण दिया. एजेंसी के अनुसार, उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि किसी भी स्तर पर दंडात्मक कार्रवाई न हो, जिससे अवैध गतिविधियां बिना रुकावट चलती रहीं. इसी वजह से घोटाले का दायरा लगातार बढ़ता गया.

3 हजार करोड़ से ज्यादा की कमाई का दावा

ईडी का आकलन है कि इस कथित शराब घोटाले से अपराध की कुल आय लगभग 3 हजार करोड़ रुपये रही. एजेंसी के अनुसार यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच हुआ, जब राज्य में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी. आरोप है कि इससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान पहुंचा, जबकि शराब सिंडिकेट से जुड़े लोगों को बड़ा फायदा हुआ.

नेताओं और कारोबारियों की गिरफ्तारी

इस मामले में ईडी पहले ही कई हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारियां कर चुकी है. जनवरी में कांग्रेस विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को और जुलाई में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया गया था. एजेंसी का दावा है कि लखमा मुख्य लाभार्थी थे, जबकि चैतन्य बघेल ने कथित तौर पर सिंडिकेट की कमाई को संभालने में अहम भूमिका निभाई.

ईओडब्ल्यू-एसीबी भी कर रही जांच

राज्य की आर्थिक अपराध शाखा और एंटी करप्शन ब्यूरो ने भी इस घोटाले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की है. दिसंबर में ईओडब्ल्यू/एसीबी ने चैतन्य बघेल के खिलाफ अपनी सातवीं सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी. राज्य एजेंसी का दावा है कि जांच के दौरान यह सामने आया है कि घोटाले से हुई कुल अवैध कमाई 3500 करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो सकती है.

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27 December 2025, 03:03 PM IST

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