कैसे तय होती है पुल की आयु? सरकार किन बातों का रखती है ध्यान, जानें पूरी जानकारी
राजस्थान की राजनीति में चर्चा में रहे नरेश मीणा को आखिरकार राजस्थान हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान SDM को थप्पड़ मारने और उसके बाद हुई हिंसा के मामले में गिरफ्तार किए गए निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को 8 महीने बाद जमानत मिल गई है.

गुजरात के महिसागर नदी पर बना गंभीरा पुल हाल ही में अचानक टूट गया, जिससे एक ट्रक नदी में समा गया और अब तक 14 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. यह हादसा देश को एक बार फिर सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर किसी पुल की आयु कितनी होती है और सरकार इनकी मजबूती और टिकाऊपन का आकलन कैसे करती है?
देश के विभिन्न हिस्सों से पुल टूटने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. ऐसे में यह समझना जरूरी हो जाता है कि कोई भी ब्रिज कितने साल तक सुरक्षित रहता है और उसे कितने समय बाद मरम्मत या रिनोवेशन की जरूरत होती है.
एक पुल की औसतन उम्र कितनी होती है?
भारत में किसी भी पुल की औसतन उम्र 100 साल तक मानी जाती है, हालांकि यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि वह पुल किसके लिए बनाया गया है और उसकी संरचना कैसी है. मसलन, हाईवे पर बने पुलों की उम्र आमतौर पर 50 वर्ष मानी जाती है, जबकि नदी या रेलवे पुलों के लिए यह अवधि 100 साल तक हो सकती है.
सरकार कैसे करती है ब्रिज की उम्र का आकलन?
सरकार जब किसी ब्रिज के निर्माण के लिए टेंडर निकालती है, तो उसमें कंपनी के तकनीकी अनुभव, निर्माण सामग्री की गुणवत्ता, लागत और डिज़ाइन की मजबूती को प्रमुखता दी जाती है. साथ ही निर्माण कंपनी को यह साबित करना होता है कि उसका डिजाइन इतने वर्षों तक पुल को संभाल सकता है.
निर्माण में कौन-कौन से कारक अहम होते हैं?
डिज़ाइन की मजबूती: पुल का स्ट्रक्चरल डिज़ाइन यह तय करता है कि वह वज़न, मौसम और समय का कितना दबाव झेल पाएगा. कच्चे माल की क्वालिटी: कंक्रीट, सीमेंट, सरिया जैसी सामग्री की गुणवत्ता ब्रिज की आयु का निर्धारण करती है.
समय-समय पर मेंटेनेंस: यदि नियमित निरीक्षण और मरम्मत होती रहे तो पुल की उम्र बढ़ाई जा सकती है.
मरम्मत से बढ़ती है पुल की लाइफ
किसी भी पुल को मजबूत बनाए रखने के लिए जरूरी है कि समय-समय पर उसकी जांच और मरम्मत होती रहे. इससे किसी भी दरार या कमजोर हिस्से को समय रहते ठीक किया जा सकता है और बड़े हादसे रोके जा सकते हैं.
महिसागर हादसा क्यों बना चर्चा का विषय?
गुजरात का गंभीरा पुल वर्ष 1985 में बना था. यानी अभी इसे महज 40 साल ही हुए थे, लेकिन इसका एक हिस्सा ढह गया. इससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या ब्रिज के निर्माण में कहीं कोई लापरवाही हुई थी या नियमित निरीक्षण नहीं किया गया?


