SIR विवाद: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले विपक्ष ने कसी कमर, बना रही ये रणनीति... जानें क्या है पूरा प्लान
Bihar voter List 2025 : बिहार में विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) के तहत अंतिम मतदाता सूची जारी होने के बाद विपक्षी दलों ने अब तक चुप्पी साध रखी है, लेकिन वे गहराई से इसका विश्लेषण कर रहे हैं. कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियां सात अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले सूची में कथित गड़बड़ियों को उजागर करने की तैयारी में हैं, ताकि चुनाव आयोग पर राजनीतिक और कानूनी दबाव बनाया जा सके.

SIR Final List : बिहार में विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के तहत अंतिम मतदाता सूची जारी कर दी गई है, लेकिन यह सूची अब सियासी विवाद का कारण बनती जा रही है. सूची के प्रकाशन के बाद, विपक्षी दलों विशेष रूप से कांग्रेस ने सार्वजनिक रूप से कोई तात्कालिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि वे निष्क्रिय हैं. दरअसल, विपक्ष अंदरखाने पूरी रणनीति के साथ इस सूची का गहन विश्लेषण कर रहा है और दशहरा के बाद चुनाव आयोग को घेरने की तैयारी में है.
विपक्ष की चुप्पी के पीछे कानूनी तैयारी
कांग्रेस की रणनीति पर शीर्ष नेतृत्व की नजर
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल और पार्टी के प्रमुख कानूनी सलाहकार अभिषेक मनु सिंघवी इस पूरे मामले की राजनीतिक और कानूनी रणनीति पर व्यक्तिगत निगरानी रख रहे हैं. पार्टी का मानना है कि यह सिर्फ एक सूची की बात नहीं है, बल्कि लोकतंत्र की नींव निष्पक्ष चुनाव से जुड़ा मुद्दा है. इसी कारण, पार्टी नेतृत्व ने बिना किसी जल्दबाज़ी के, तथ्यों और सबूतों के आधार पर मजबूत केस तैयार करने को प्राथमिकता दी है.
राहुल और खरगे भी जुड़े संवाद में...
भले ही राहुल गांधी दक्षिण अमेरिकी देशों के दौरे पर हैं और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे हाल ही में हृदय की सर्जरी से गुज़रे हैं, फिर भी दोनों नेताओं से डिजिटल संवाद के ज़रिए संपर्क बना हुआ है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, खरगे जल्द ही वर्चुअल बैठकों के जरिए इस विषय पर रणनीतिक चर्चा में शामिल होंगे.
सुप्रीम कोर्ट और राजनीतिक मोर्चे पर दोहरी तैयारी
यह पहला मौका नहीं है जब एसआईआर को लेकर विवाद हुआ है. इससे पहले भी ड्राफ्ट सूची को लेकर विपक्ष चुनाव आयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटका चुका है. अब अंतिम सूची आने के बाद, विपक्ष उसे एक नया हथियार मान रहा है, जिससे वे आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता को सवालों के घेरे में ला सकें.
बिहार में मतदाता सूची का मुद्दा अब केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक और संवैधानिक विषय बन गया है. विपक्ष की रणनीति साफ है कानूनी मोर्चे और जन समर्थन, दोनों के जरिए चुनाव आयोग पर दबाव बनाना और इस पूरे मामले को राष्ट्रीय स्तर पर उठाना. आने वाले दिनों में यह विवाद बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है.


