सरकार ने मानी मांग, मनोज जरांगे ने खत्म किया भूख हड़ताल पर रखी ये आखिरी शर्त
महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट उप-समिति ने मराठा आरक्षण आंदोलन की मांगों को मानते हुए पात्र मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने का फैसला किया. आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने भूख हड़ताल समाप्त कर जीत की घोषणा की. सरकार ने सितंबर तक आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने और पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद देने का वादा किया है. जल्द ही सरकारी आदेश (GR) जारी होगा.

Maratha Reservation : महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट उप-समिति ने मराठा आरक्षण आंदोलन की प्रमुख मांगों को मानते हुए पात्र मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने का निर्णय लिया है. इस घोषणा के बाद आंदोलन के मुखिया मनोज जरांगे ने पांचवें दिन अपनी भूख हड़ताल समाप्त करते हुए जीत का ऐलान किया, जिससे समर्थकों में उत्साह का माहौल बन गया. कैबिनेट उप-समिति की बैठक के बाद जरांगे ने प्रदर्शनकारियों को बताया कि अब आंदोलन खत्म होगा और जल्द ही सरकारी आदेश (जीआर) जारी किया जाएगा.
मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा कि सरकार प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगों को स्वीकार कर चुकी है, जिससे मराठा आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है. जीआर प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी और इसी के साथ आंदोलन समाप्त होगा. मनोज जरांगे ने हाई कोर्ट को भी भरोसा दिया कि उनके अधिकांश समर्थक मुंबई छोड़ चुके हैं और बाकी भी जल्द ही लौट जाएंगे. उन्होंने अदालत से कहा कि मुंबई में लगाए गए जुर्माने को वापस लिया जाए.
पीड़ित परिवारों को दी जाएगी आर्थिक सहायता
जरांगे ने यह भी बताया कि आंदोलन के पीड़ित परिवारों को 15 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी. इसके साथ ही राज्य परिवहन बोर्ड में नौकरियों का प्रावधान किया जाएगा, साथ ही उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं को सरकारी नौकरी देने का भी वादा किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने सितंबर तक आंदोलनकारियों पर दर्ज सभी मामले वापस लेने का भी आश्वासन दिया है. इस बीच, कैबिनेट मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल, शिवेंद्र राजे भोंसले, जय कुमार गोरे और माणिकराव कोकाटे ने आंदोलन स्थल पर पहुंचकर जरांगे को समिति की चर्चा के बारे में जानकारी दी.
जश्न मनाने का मतलब हंगामा करना नहीं...
इस पूरी प्रक्रिया के बाद मनोज जरांगे ने समर्थकों से कहा कि जैसे ही सरकारी आदेश जारी होगा, वे आंदोलन समाप्त कर जश्न मनाएंगे. उन्होंने स्पष्ट किया कि जश्न मनाने का मतलब हंगामा करना नहीं है, बल्कि शांतिपूर्ण तरीके से विजय का उत्सव मनाना है. महाराष्ट्र सरकार की यह पहल मराठा समाज की लंबे समय से चली आ रही आरक्षण की मांग को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो कई वर्षों से जारी आंदोलन को विराम देने में सहायक होगा.


