चेक गणराज्य की राजकुमारी के हाथ से गुम गई थी अगुंठी, MP के आदिवासियों ने ढूढ कर निकाला, इनाम भी नहीं लिया
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में पातालकोट के आदिवासियों ने एक शानदार ईमानदारी की मिसाल पेश की. चेक गणराज्य की राजकुमारी जित्का क्लेट की ₹22 लाख की खोई हुई अंगूठी को आदिवासियों ने ढूंढकर लौटाया. इसके बदले में राजकुमारी ने ₹5 लाख का इनाम दिया, जिसे आदिवासियों ने ठुकरा दिया.

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में पातालकोट के आदिवासियों ने एक अनोखी ईमानदारी की मिसाल पेश की है. चेक गणराज्य की राजकुमारी जित्का क्लेट की ₹22 लाख की शादी की अंगूठी, जो उन्होंने मध्य प्रदेश के एक झरने के पास खो दी थी, आदिवासियों ने खोज निकाली. इसके बाद, राजकुमारी ने इनाम में ₹5 लाख का प्रस्ताव दिया था, जिसे आदिवासियों ने सख्त मना कर दिया और केवल ₹41,000 स्वीकार किए. यह घटना देशभर में चर्चा का विषय बन गई है.
यह पूरा घटनाक्रम आयुर्वेदाचार्य प्रकाश इंडियन टाटा से जुड़ा है, जिनकी मदद से राजकुमारी जित्का ने पातालकोट की जड़ी-बूटियों से इलाज कराया था. उनके साथ हुए इस अविस्मरणीय अनुभव ने न सिर्फ भारत में, बल्कि विदेशों में भी ईमानदारी की एक नई मिसाल कायम की है.
अंगूठी खोने की घटना
राजकुमारी जित्का क्लेट 16 अप्रैल 2025 को अपनी यात्रा के दौरान छिंदवाड़ा पहुंचीं. यहां के प्राकृतिक स्थल, जैसे पातालकोट और छोटा महादेव, की सैर के दौरान, उन्होंने एक झरने में मस्ती करते हुए अपनी शादी की अंगूठी खो दी. यह अंगूठी ₹22 लाख की थी, और राजकुमारी ने तुरंत इसके खो जाने पर चिंता जताई. उन्होंने घोषणा की कि जो भी उनकी अंगूठी को ढूंढकर लाएगा, उसे ₹5 लाख का इनाम दिया जाएगा. हालांकि, अंगूठी की तलाश कई घंटों तक नहीं हो पाई, जिससे वह बेहद परेशान हो गईं.
आदिवासियों की मेहनत और ईमानदारी
अगले दिन 18 अप्रैल को पातालकोट के आदिवासियों ने अंगूठी की तलाश शुरू की. उन्होंने पहले झाड़ू और पेड़ के पत्तों को हटाकर मैदान को साफ किया, लेकिन अंगूठी नहीं मिली. फिर उन्होंने झरने के पास रेत में गहरे तक खुदाई शुरू की. इस कठिन मेहनत के बाद, आखिरकार उन्होंने राजकुमारी की कीमती अंगूठी ढूंढ निकाली. आदिवासियों ने तुरन्त प्रकाश टाटा को सूचित किया, जिन्होंने जित्का को फोन करके अंगूठी मिलने की खबर दी.
₹5 लाख का इनाम ठुकराया
जब राजकुमारी जित्का ने आदिवासियों से उनकी खोज के लिए ₹5 लाख का इनाम देने की पेशकश की, तो आदिवासियों ने इसे ठुकरा दिया. उन्होंने कहा, "आप हमारी बहन हैं, हम आपसे इतना पैसा नहीं लेंगे." इसके बाद, वे केवल ₹41,000 ही स्वीकार करने पर राजी हुए. यह दिखाता है कि आदिवासी समाज में सम्मान और ईमानदारी की कोई कीमत नहीं है. जित्का ने उनका आभार व्यक्त करते हुए कहा, "दुनिया में इतने ईमानदार लोग कहीं नहीं देखे."
राजकुमारी की प्रतिक्रिया
राजकुमारी जित्का की खुशी का ठिकाना नहीं था जब उन्होंने अपनी अंगूठी वापस पाई. उन्होंने आदिवासियों के साथ सेल्फी ली और वादा किया कि जब वह अगली बार छिंदवाड़ा आएंगी तो उनके लिए गिफ्ट लाएंगी. 19 अप्रैल को जित्का अपने देश चेक गणराज्य के लिए रवाना हो गईं, लेकिन यह घटना देशभर में आदिवासियों की ईमानदारी और मानवता की मिसाल बन गई.


