मालदीव के बाद अब बित्रा! क्या हिंद महासागर में भारत बना रहा नया सुरक्षा कवच?
भारत का एक छोटा-सा द्वीप बित्रा द्वीप अचानक चर्चा में है. ये द्वीप रणनीतिक रूप से इतना अहम क्यों है कि अब भारत सरकार इस पर खास नजर रख रही है? इसके पीछे सिर्फ समुद्री सुरक्षा नहीं, बल्कि चीन, तुर्की और मालदीव से जुड़ी बड़ी रणनीतिक सोच भी है. क्या बित्रा अगला जियोपॉलिटिकल गेमचेंजर बन सकता है?

लक्षद्वीप के सबसे छोटे आबादी वाले द्वीप बित्रा को लेकर इन दिनों राजनीतिक और सामरिक हलकों में खासा हलचल मची हुई है. प्रशासन द्वारा इसके अधिग्रहण की योजना सामने आते ही न सिर्फ स्थानीय लोगों में नाराज़गी है, बल्कि सांसद हमदुल्ला सईद ने भी इसका पुरजोर विरोध किया है. उनका कहना है कि "यह जमीन हमारे पूर्वजों की धरोहर है, जिसे हम किसी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे."
हालांकि, केंद्र सरकार इस द्वीप को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम मान रही है. बित्रा द्वीप की भौगोलिक स्थिति उसे हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी और सामरिक मौजूदगी के लिए आदर्श बनाती है. ऐसे में यह समझना जरूरी हो जाता है कि सरकार इस द्वीप को अधिग्रहण क्यों करना चाहती है और इसका वैश्विक रणनीति में क्या महत्व है.
बित्रा द्वीप की भौगोलिक स्थिति
बित्रा, लक्षद्वीप का सबसे छोटा आबादी वाला द्वीप है जो इसके उत्तरी भाग में स्थित है. यह केरल के कोच्चि से लगभग 483 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. 2011 की जनगणना के अनुसार, इसकी आबादी मात्र 271 है और इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 0.16 वर्ग किलोमीटर है.
रक्षा उद्देश्यों से अधिग्रहण की तैयारी
11 जुलाई को लक्षद्वीप प्रशासन की ओर से जारी अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया कि राजस्व विभाग बित्रा द्वीप के संपूर्ण भू-भाग को अपने अधीन कर उसे रक्षा और रणनीतिक एजेंसियों को सौंपने की योजना बना रहा है. इसका उद्देश्य अरब सागर में भारत की समुद्री सीमाओं की निगरानी को और मजबूत करना है.
तीसरा सैन्य द्वीप बन सकता है बित्रा
अगर यह योजना अमल में आती है, तो बित्रा, कावारत्ती में स्थित INS द्वीपरक्षक और मिनिकॉय में INS जटायु के बाद लक्षद्वीप का तीसरा सैन्य द्वीप बन जाएगा. यह अधिग्रहण राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रशासनिक सहजता को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा, जिससे क्षेत्र में भारत की सैन्य पहुंच और भी मजबूत होगी.
सामरिक दृष्टिकोण से क्यों अहम है बित्रा?
CSR Journal की रिपोर्ट के मुताबिक, बित्रा द्वीप की स्थिति प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार मार्गों के बेहद करीब है. यह स्थान निगरानी और नियंत्रण के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण है. भारत की नौसेना और कोस्ट गार्ड इस स्थान का इस्तेमाल अरब सागर में विदेशी गतिविधियों की सटीक निगरानी के लिए कर सकती है.
भारतीय नौसेना के निगरानी नेटवर्क में होगा शामिल
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि मिनिकॉय और एंड्रोथ द्वीपों में भारतीय नौसेना की रणनीतिक मौजूदगी पहले ही बढ़ाई जा चुकी है. अब बित्रा को भी इस नेटवर्क में जोड़ा जाएगा जिससे मलक्का जलडमरूमध्य, अदन की खाड़ी और होर्मुज जलडमरूमध्य के बीच बढ़ती गतिविधियों पर नजर रखना और आसान हो जाएगा.
चीन, तुर्की और मालदीव की गतिविधियों पर पैनी नजर
बित्रा से भारत चीन, तुर्की और मालदीव की समुद्री गतिविधियों पर पैनी नजर रख पाएगा. खासकर मालदीव में हाल के वर्षों में चीन और तुर्की की बढ़ती सैन्य मौजूदगी के बीच यह कदम और भी महत्वपूर्ण हो जाता है.
मालदीव में चीन-तुर्की की घुसपैठ
मालदीव में मुइज्जू सरकार के सत्ता में आने के बाद चीन के साथ सैन्य समझौते और तुर्की से सैन्य ड्रोन की खरीदारी भारत के लिए चिंता का विषय बन चुकी है. चीन के स्पाय शिप्स अब मालदीव में लंगर डालने लगे हैं, जिससे भारत के लिए सुरक्षा जोखिम कई गुना बढ़ गए हैं.
पाकिस्तानी नौसेना पर भी रहेगी नजर
बित्रा द्वीप से न सिर्फ चीन और तुर्की बल्कि पाकिस्तान की नौसेना की गतिविधियों पर भी नजर रखी जा सकेगी. अरब सागर में रणनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए यह अधिग्रहण भारत की एक बड़ी और ठोस रणनीतिक चाल के रूप में देखा जा रहा है.


