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क्या सच में बदलने वाला है दिल्ली का नाम? जानें क्यों राजधानी को लेकर एक बार फिर गरमाई राजनीति

Delhi Name Change: दिल्ली के नाम बदलने की मांग एक बार फिर सुर्खियों में है. भाजपा नेता करनैल सिंह ने राजधानी का नाम 'इंद्रप्रस्थ' करने का प्रस्ताव रखा है. जिसे लेकर राजनीतिक हलकों में बहस तेज हो गई है. क्या वाकई दिल्ली का नाम बदलेगा, या यह सिर्फ एक राजनीतिक चर्चा बनकर रह जाएगा? आइए जानते हैं दिल्ली के नाम का इतिहास.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Delhi Name Change: दिल्ली, जिसे इतिहास में सात बार उजाड़कर फिर बसाया गया है, एक बार फिर राजनीति के केंद्र में है. इस बार मुद्दा राजधानी के नाम परिवर्तन का है. हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता द्वारा दिल्ली का नाम बदलकर 'इंद्रप्रस्थ' करने की मांग उठाई गई है. भाजपा नेता करनैल सिंह, जिन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) के सत्येंद्र जैन को हराया है, ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संबंध में पत्र लिखने की बात कही है.

मीडिया से बातचीत के दौरान करनैल सिंह का कहना है कि दिल्ली का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ करने से भारत की असली संस्कृति का प्रतिनिधित्व होगा. उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है. विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर प्रतिक्रिया देने में जुट गए हैं. दिल्ली के नामकरण से जुड़ी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और इससे पहले भी उठी ऐसी मांगों को देखते हुए यह विषय फिर से चर्चा में आ गया है.

दिल्ली का नाम बदलने की मांग क्यों उठी?

दिल्ली के शकूरबस्ती क्षेत्र से भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक करनैल सिंह ने हाल ही में यह प्रस्ताव रखा कि दिल्ली का नाम 'इंद्रप्रस्थ' रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "मैं नरेंद्र मोदी जी से लिखित निवेदन करूंगा कि दिल्ली का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ रखा जाए ताकि दुनिया को भारत की असली संस्कृति का पता चल सके." उनके इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल गरम हो गया है. विपक्षी दल इस मांग का विरोध कर रहे हैं, जबकि भाजपा समर्थकों का कहना है कि दिल्ली को उसका ऐतिहासिक नाम वापस मिलना चाहिए.

दिल्ली के नाम का ऐतिहासिक महत्व

दिल्ली का नाम ऐतिहासिक रूप से कई बार बदला गया है. अलग-अलग कालखंडों में इस शहर को अलग-अलग नामों से जाना गया. महाभारत काल में इसे 'इंद्रप्रस्थ' कहा जाता था, जो पांडवों की राजधानी थी. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पांडवों ने श्रीकृष्ण की सहायता से खांडवप्रस्थ के जंगल को जलाकर इस नगर की स्थापना की थी. कुछ इतिहासकार मानते हैं कि मौर्य सम्राट राजा ढिल्लू ने लगभग 50 ईसा पूर्व इस शहर की स्थापना की थी, और उनके नाम पर इसे 'दिल्ली' कहा जाने लगा. वहीं, एक अन्य मत के अनुसार, तोमर वंश के एक राजा ने इस क्षेत्र का नाम 'ढीली' रखा, जो समय के साथ 'दिल्ली' में बदल गया.

क्या दिल्ली का नाम वास्तव में बदला जा सकता है?

दिल्ली का नाम बदलने की मांग कोई नई नहीं है. इससे पहले भी कई बार दिल्ली का नाम 'इंद्रप्रस्थ' करने का प्रस्ताव रखा जा चुका है. हाल ही में 10 जनवरी को स्वामी चक्रपाणि महाराज ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात कर इस विषय पर चर्चा की थी. हालांकि, किसी भी शहर का नाम बदलना एक लंबी प्रशासनिक और कानूनी प्रक्रिया होती है. इसके लिए केंद्र सरकार, संसद और राष्ट्रपति की मंजूरी आवश्यक होती है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह मांग सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी है या वास्तव में इसे अमल में लाने की कोई योजना है?

दिल्ली का ऐतिहासिक सफर

दिल्ली का नाम बदलने की मांग के बीच यह जानना जरूरी है कि यह शहर ऐतिहासिक रूप से कई शासन व्यवस्थाओं का केंद्र रहा है.

  • महाभारत काल (1000 ईसा पूर्व): इसे 'इंद्रप्रस्थ' के नाम से जाना जाता था, जो पांडवों की राजधानी थी.

  • मौर्य काल (50 ईसा पूर्व): राजा ढिल्लू के नाम पर इसे 'दिल्ली' कहा जाने लगा.

  • तोमर वंश: राजा अनंगपाल तोमर ने इस क्षेत्र को 'ढीली' नाम दिया.

  • फारसी प्रभाव: कुछ इतिहासकार मानते हैं कि 'दिल्ली' नाम फारसी शब्द 'दहलीज' या 'देहली' से निकला है, जिसका अर्थ 'प्रवेश द्वार' है.

  • 1911: दिल्ली को औपचारिक रूप से भारत की राजधानी घोषित किया गया.

  • 1947: स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद दिल्ली को भारत की आधिकारिक राजधानी बनाया गया.

क्या जनता इस बदलाव के लिए तैयार है?

दिल्लीवासियों की राय इस मुद्दे पर बंटी हुई है. कुछ लोग इसे ऐतिहासिक विरासत से जोड़कर देख रहे हैं, जबकि कई लोगों का मानना है कि नाम बदलने से कोई वास्तविक बदलाव नहीं आएगा. सोशल मीडिया पर भी इस विषय पर बहस तेज हो गई है, जहां लोग अपने-अपने तर्क रख रहे हैं.

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11 February 2025, 02:35 PM IST

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