मॉरीशस के 'नेशनल डे' पर चीफ गेस्ट होंगे पीएम मोदी, जानें क्या हैं इसके मायने
पीएम रामगुलाम ने कहा कि यह हमारे देश के लिए सचमुच एक विशेष सम्मान की बात है कि हमें ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्व की मेजबानी करने का अवसर मिला है, जो अपने व्यस्त कार्यक्रम तथा पेरिस और अमेरिका की अपनी हालिया यात्राओं के बावजूद हमारे विशेष अतिथि के रूप में यहां आने के लिए सहमत हुए हैं.उनकी यह यात्रा हमारे दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों का प्रमाण है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉरीशस के '57वें नेशनल डे' पर में चीफ गेस्ट होंगे. मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम संसद में यह जानकारी दी. मॉरीशस के प्रधानमंत्री रामगुलाम ने देश की संसद को संबोधित करते हुए कहा, "हमारे देश की स्वतंत्रता की 57वीं वर्षगांठ के समारोह के संदर्भ में मुझे यह सूचित करते हुए अत्यंत खुशी हो रही है कि मेरे निमंत्रण पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमारे राष्ट्रीय दिवस समारोह के लिए मुख्य अतिथि बनने पर सहमति व्यक्त की है.
हमारे देश के लिए सचमुच एक विशेष सम्मान की बात- पीएम रामगुलाम
पीएम रामगुलाम ने कहा कि यह हमारे देश के लिए सचमुच एक विशेष सम्मान की बात है कि हमें ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्व की मेजबानी करने का अवसर मिला है, जो अपने व्यस्त कार्यक्रम तथा पेरिस और अमेरिका की अपनी हालिया यात्राओं के बावजूद हमारे विशेष अतिथि के रूप में यहां आने के लिए सहमत हुए हैं. उनकी यह यात्रा हमारे दोनों देशों के बीच गहरे संबंधों का प्रमाण है.
रामगुलाम के पदभार संभालने के बाद यह पीएम मोदी की यह पहली मॉरीशस की पहली यात्रा है. इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल नवंबर में मॉरीशस के प्रधानमंत्री चुने जाने पर उन्हें बधाई दी थी.
मॉरीशस-भारत के बीच लगातार संवाद जारी
इसके बाद भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दिसंबर 2024 में मॉरीशस का दौरा किया और प्रधानमंत्री रामगुलाम से मुलाकात की. विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, यह यात्रा निरंतर उच्च-स्तरीय संपर्कों का हिस्सा है और यह दर्शाती है कि भारत मॉरीशस के साथ अपने संबंधों को कितना महत्व देता है.
भारत ने अपनी पहलों - पड़ोसी प्रथम, विजन सागर, ग्लोबल साउथ और अफ्रीका फॉरवर्ड नीतियों के तहत मालदीव के साथ संबंधों को प्राथमिकता दी है - क्योंकि दोनों देश सुरक्षित और समृद्ध हिंद महासागर क्षेत्र के दृष्टिकोण को साझा करते हैं.
चागोस द्वीप पर मॉरीशस के दावे का भारत ने किया समर्थन
इससे पहले भारत ने चागोस द्वीप पर मॉरीशस के दावे का समर्थन किया था, जो उस समय यूनाइटेड किंगडम के ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र (BIOT) का हिस्सा था. चागोस द्वीपसमूह 58 द्वीपों से मिलकर बना एटोल का एक समूह है और इसका क्षेत्रफल लगभग 60 वर्ग किलोमीटर है. चागोस द्वीपसमूह मॉरीशस के मुख्य द्वीप से लगभग 2,200 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में और तिरुवनंतपुरम से लगभग 1,700 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है.
मॉरीशस इस द्वीपसमूह पर अपना दावा करता है, लेकिन यह लंबे समय तक ब्रिटेन के नियंत्रण में था. आखिरकार, ब्रिटेन ने पिछले साल अक्टूबर में चागोस द्वीप की संप्रभुता मॉरीशस को सौंप दी. दोनों देशों ने कहा कि संप्रभुता के हस्तांतरण में भारत ने शांत लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
पिछले साल जुलाई में एस. जयशंकर ने की थी मॉरीशस की यात्रा
इससे पहले जुलाई 2024 में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मॉरीशस की दो दिवसीय यात्रा की थी. मॉरीशस उन पहले देशों में से एक था, जहां उन्होंने विदेश मंत्री के रूप में अपने वर्तमान कार्यकाल में यात्रा की थी. अपनी यात्रा के दौरान डॉ. जयशंकर ने न केवल प्रविंद कुमार जगन्नाथ (तत्कालीन प्रधानमंत्री) बल्कि रामगुलाम के साथ द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक चर्चा की, जिसमें विकास साझेदारी, रक्षा और समुद्री सहयोग, आर्थिक और व्यापारिक संबंध तथा लोगों के बीच आपसी संपर्क शामिल थे. उन्होंने मॉरीशस की प्रगति और समृद्धि की खोज में भारत के निरंतर और निरंतर समर्थन को दोहराया.


