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हमने कफन खरीद लिया था... ईरान से लौटे लोगों ने साझा किया खौफनाक मंजर

ईरान की जियारत से लौटे भारतीय जायरीन की आंखों में डर और दिल में राहत थी। बरेली के ये श्रद्धालु जब दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे तो भारत की मिट्टी को चूमते हुए उन्होंने खुदा का शुक्र अदा किया. उन्होंने बताया कि कैसे मिसाइलों की गूंज, धमाकों की आवाजें और बंद एयरपोर्ट के बीच उन्होंने हर पल मौत का सामना किया.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

ईरान के तनावपूर्ण हालातों के बीच भारत सरकार द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत वहां फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापस लाया जा रहा है. इसी अभियान के तहत उत्तर प्रदेश के बरेली से गए जायरीन का एक दल भी सकुशल स्वदेश लौट आया है. लौटते वक्त इन लोगों की आंखों में डर और राहत दोनों के मिले-जुले भाव थे. वे ईरान में बिताए चार दिनों को जिंदगी का सबसे डरावना दौर बताते हैं.

ईरान से लौटे इन जायरीन का कहना है कि वहां हर पल मौत सिर पर मंडरा रही थी. मिसाइलें उनके सिर के ऊपर से गुजर रही थीं, धमाकों की गूंज हर तरफ थी, एयरपोर्ट बंद थे और हर गुजरते पल के साथ घर लौटने की उम्मीदें कमजोर पड़ती जा रही थीं. लेकिन आज जब वे भारत की मिट्टी पर वापस लौटे हैं, तो इसे दूसरी जिंदगी मिलने जैसा अनुभव बता रहे हैं.

'हमने कफन खरीद लिया था'

बरेली के कंघी टोला की नजमा बेगम बताती हैं, “चार दिन ऐसे बीते कि लगने लगा अब वतन लौटना मुमकिन नहीं. जहां हम ठहरे थे, वहां से आसमान में मिसाइलें उड़ती दिखती थीं. एक वक्त ऐसा आया जब दिल बैठ गया. हमने सोचा अगर मौत यहीं आई तो शहादत के तौर पर कबूल कर लेंगे. हमने कफन तक खरीद लिया था. ईरान का माहौल बेहद जज्बाती था. हर कोई दूसरे को हिम्मत दे रहा था, लेकिन अंदर से सब डरे हुए थे.'

'फ्लाइट कैंसिल की खबर ने हिला दिया'

थाना बारादरी क्षेत्र की रुखसार नकवी कहती हैं, “जब फ्लाइट कैंसिल होने की खबर मिली तो दिल जैसे कांप गया. सारी उम्मीदें टूटती नज़र आईं. रात भर नींद नहीं आती थी. बस एक ही दुआ थी कि किसी तरह अपने वतन लौट जाएं. भारतीय दूतावास ने मदद की और हमें कोम से मशद ले जाया गया, जहां एक अच्छे होटल में ठहराया गया. लेकिन दिल तो अपने देश की मिट्टी के लिए तड़प रहा था.'

'लोग मिसाइलों के वीडियो बना रहे थे और हम दुआ'

प्रेमनगर थाना क्षेत्र के किला छावनी निवासी हसन जाफर बताते हैं, “वहां के लोगों को इतनी आदत हो गई थी कि वो उड़ती मिसाइलों के वीडियो बना रहे थे. लेकिन हम भारतीय जायरीन डर के साए में थे. धमाकों की आवाजें दिल दहला देती थी. मशद एयरपोर्ट तक मोबाइल फोन बंद करवा दिए गए थे. हर कोई यही दुआ कर रहा था कि किसी तरह वतन लौट जाएं.'

तिरंगे से हुआ स्वागत

किला की मुजीब जहरा बताती हैं, “जायरीन को ज्यादा दिक्कतें नहीं हुईं, लेकिन डर तो सबके अंदर था. भारतीय दूतावास के मीसम रजा और ईरान में मौलाना हैदर साहब ने हमारी बहुत मदद की. जब दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे और लोगों ने तिरंगा थमाया, तो आंखें भर आई. ऐसा लगा जैसे फिर से जिंदगी मिल गई हो. भारत सरकार और ईरान सरकार की हम शुक्रगुजार हैं.'

'वतन से दूर रहना सबसे बड़ा डर था'

ईरान की ज़ियारत पर गए इन जायरीन का कहना है कि सबसे कठिन समय वो था जब वतन से दूर रहना पड़ा. मिसाइलें, धमाके, बंद एयरपोर्ट और अनिश्चितता सब मिलकर एक भयावह स्थिति बना रहे थे. लेकिन इन मुश्किलों के बीच भी इन लोगों ने हिम्मत नहीं हारी और अब जब वो सकुशल अपने देश लौटे हैं, तो अपनों के गले लगकर बहते आंसू खुद बयां कर रहे हैं कि वतन से बढ़कर कोई सुकून नहीं होता.

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25 June 2025, 10:44 AM IST

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